Sun transit in Virgo 2024: 16 सितंबर 2024 सोमवार के दिन सूर्यदेव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करने लगेंगे। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को कन्या संक्रांति कहते हैं। कन्या संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में छठे महीने की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय किए जाते हैं। तर्पण, पिंडदान और पंचबलि कर्म करने से भी लाभ मिलेगा। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को 4 राशियों के लिए शुभ नहीं माना जा रहा है। ALSO READ: Surya in kanya : 16 सितंबर को सूर्य के कन्या राशि में जाने से 4 राशियों के बुरे दिन होंगे शुरू
कन्या संक्रांति पुण्य काल:-
कन्या संक्रान्ति पुण्य काल- दोपहर 12:16 से शाम 06:25 तक।
कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल- शाम 04:22 से 06:25 तक।
कन्या संक्रान्ति का क्षण- रात्रि 07:53 बजे।
पूजा का शुभ मुहूर्त:-
अमृत काल: सुबह 07:08 से 08:35 तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:51 से दोपहर 12:40 के बीच।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:25 से शाम 06:48 के बीच।
कन्या संक्रांति कब है?
16 सितंबर 2024 सोमवार के दिन।
कन्या संक्रांति का महत्व :
- कन्या संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में छठे महीने की शुरुआत का प्रतीक है।
- कन्या संक्रांति का दिन पितरों के निमित्त शांति कर्म करने के लिए बहुत ही उत्तम होता है।
- इस दिन पितृ तर्पण या पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इस दिन पितरों की आत्मा की शांति कराने से सभी तरह के संकट दूर होते हैं।
- कन्या संक्रांति के दिन गरीबों को दान दिया जाता है। दान देने से सभी तरह की आर्थिक समस्या का निराकरण होता है।
- इस दिन नदी स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और फिर दान पुण्य का कार्य करें।
- कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
- उड़ीसा और बंगाल जैसे क्षेत्रों में इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।
- उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में कन्या संक्रांति के दिन को साल के प्रारंभ के तौर पर माना जाता है जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ राज्यों में इस दिन को साल की समाप्ति के तौर पर जाना जाता है।ALSO READ: Shukra gochar : शुक्र ग्रह के कन्या राशि में जाने से 4 राशियों की चमक गई है किस्मत, जानें क्या होगा फायदा
कन्या संक्रांति की पूजा विधि:-
- इस दिन प्रात: उठकर सबसे पहले पानी में तिल डालकार स्नान करें।
- स्नान करके एक तांबे के लौटे में जल भरें और भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करें।
- अर्थात एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ मिलाकर सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है।
- सूर्य को जल चढ़ाते हुए ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप किया जाता है।
- कहते हैं कि पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- कन्या संक्रांति के दिन व्रत रखा जाता है। व्रत रखने का संकल्प लेकर श्रद्धा के अनुसार दान किया जाता है।
- सूर्य देव को जल चढाने के बाद दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से बांटे जाते हैं।
- कन्या संक्रांति के दिन शाम को नदी में दीपदान करेंगे तो आर्थिक समस्या से मुक्ति मिलेगी।ALSO READ: कन्या पूजा और भोज की कथा, जानें किस उम्र की कन्याएं देती हैं कौनसा आशीर्वाद
You may also like
iQOO Z9 Turbo+ China launch date officially confirmed, to feature MediaTek Dimensity 9300+ chipset
20 सितम्बर को सोने से भी तेज चमकेगा इन 3 राशियों का भाग्य
शादीशुदा महिला ने अपने से 5 साल छोटे प्रेमी पर लुटाया प्यार, उसने कर दिया वारदात को अंजाम….
Apple iPhone 16 models are easier to repair thanks to these changes