प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर, कैबिनेट ने भारत के चुनावी परिदृश्य के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी गई है, जिसे कई लोग देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए संभावित गेम-चेंजर के रूप में देख रहे हैं, आइए जानते हैं इसकी पूरी डिटेल्स
कैबिनेट की मंजूरी: एक राष्ट्र एक चुनाव समिति द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है और इसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।
समिति की पृष्ठभूमि: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में, समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च 2023 में अपनी रिपोर्ट पेश की। यह पहल पहले 100 दिनों के लिए कानून मंत्रालय के एजेंडे का हिस्सा थी।
एक साथ चुनाव: समिति ने शुरुआती चरण के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है, जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं।
कार्यान्वयन समूह: समिति की सिफारिशों को क्रियान्वित करने की व्यावहारिकता का पता लगाने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' बनाने का सुझाव दिया गया है।
अपेक्षित लाभ:
लागत में कमी: एक साथ चुनाव कराने से अलग-अलग चुनाव कराने से जुड़ी लागत में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।
संसाधन दक्षता: चुनावों की आवृत्ति को कम करके, सरकार प्रशासनिक और सुरक्षा संसाधनों पर बोझ को कम कर सकती है।
विकास पर ध्यान: एकीकृत चुनाव कार्यक्रम से केंद्र और राज्य दोनों सरकारें लगातार चुनाव मोड में रहने के बजाय शासन और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
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