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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर रोचक दोहे : हमारे कृष्ण

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Shri Krishna couplets

दोहे

कृष्ण कन्हैया क्या लिखूं, आप जगत आधार।

योगेश्वर जग के गुरु, आप अगम्य अपार।

मन्वन्तर वैवस्वतः अट्ठाइस के पार।

कृष्ण अष्टमी भाद्रपद, कृष्ण लिया अवतार।

अर्धरात्रि की रोहणी, मात देवकी गर्भ।

काल कोठरी जेल की, कृष्ण जन्म संदर्भ।

बहुयामी श्री कृष्ण का, है विराट व्यक्तित्व

संघर्षों की धार पर, बना ईश अस्तित्व।

जन्म काल से ही रहा, मृत्यु का संघर्ष।

जीवन भर सहते रहे, संकट पीर अमर्ष।

हैं मनुष्य श्री कृष्ण या, योगी संत सुजान।

परिभाषा श्री कृष्ण की, सबसे कठिन विधान।

जीवन भर भटका किए, बने सहारा दीन।

कर्मयोग जीवन जिया, योगी बने प्रवीण।

सुख दुःख से आबद्ध है, पूरा कृष्ण चरित्र।

शठता के शत्रु रहे, सदा सत्य के मित्र।

कृष्ण आत्म के सार हैं, चेतन सत्य स्वरूप।

ज्ञान भक्ति सद् भाव के, ईश्वर शक्ति अनूप।

राधा प्रेम स्वरूप है, कृष्ण प्रेम का अर्थ

अर्थ रूप दोनों मिलें, बनता प्रेम समर्थ।

संघर्षों की राह पर, सदा सत्य परिवेश।

कर्म करो फल त्याग कर, यही कृष्ण सन्देश।

यही सिखाता है हमें, कृष्ण चरित आचार।

मानव को संसार में, क्या करना व्यवहार।

कृष्ण जन्माष्टमी पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।


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