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हिन्दी दिवस का इतना मजेदार चुटकुला आपने कहीं नहीं पढ़ा होगा: अंग्रेजी में बहुत कमियां हैं

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एक गांव की नई नवेली दुल्हन अपने पति रमन से अंग्रेजी भाषा सीख रही थी,

लेकिन अभी तक वो 'C' अक्षर पर ही अटकी हुई है।

...क्योंकि, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि

'C' को कभी 'च' तो

कभी 'क' तो

कभी 'स' क्यूं बोला जाता है?

...

एक दिन वो अपने पति रमन से बोली, आपको पता है,

चलचत्ता के चुली भी च्रिचेट खेलते हैं...

...

रमन ने यह सुनकर उसे प्यार से समझाया,

यहां 'C' को 'च' नहीं 'क' बोलेंगे।

इसे ऐसे कहेंगे,

'कलकत्ता के कुली' भी क्रिकेट खेलते हैं।

...

पत्नी पुनः बोली- 'वह कुन्नीलाल कोपड़ा तो केयरमैन है न?

...

पति उसे फिर से समझाते हुए बोला, यहां 'C' को 'क' नहीं 'च' बोलेंगे।

जैसे कि- चुन्नीलाल चोपड़ा तो चेयरमैन है न...।

...

थोड़ी देर मौन रहने के बाद पत्नी फिर बोली,

'आपका चोट, चैप दोनों चॉटन का है न?

...

अब रमन थोड़ा झुंझलाते हुए तेज आवाज में बोला,

अरे तुम समझती क्यूं नहीं, यहां 'C' को 'च' नहीं 'क' बोलेंगे...

ऐसे- आपका कोट, कैप दोनों कॉटन का है न...।

...

पत्नी फिर बोली- अच्छा बताओ, 'कंडीगढ़ में कंबल किनारे कर्क है?

अब तो रमन को बहुत गुस्सा आ गया और वो बोला,

'बेवकूफ, यहां 'C' को 'क' नहीं 'च' बोलेंगे।

जैसे- चंडीगढ़ में चंबल किनारे चर्च है न..

...

अब पत्नी सहमते हुए धीमे स्वर में बोली,'

...और वो चरंट लगने से चंडक्टर और च्लर्क मर गए क्या?

...

अब तो रमन ने अपने बाल ही नोच लिए और बोला, 'अरी मूरख,

यहां 'C' को 'च' नहीं 'क' कहेंगे...

यानि कि करंट लगने से कंडक्टर और क्लर्क मर गए क्या?

...

इस पर पत्नी धीमे से बोली,

'अजी आप गुस्सा क्यों हो रहे हो...

इधर टीवी पर देखो-देखो...

...

'केंटीमिटर का केल और किमेंट कितना मजबूत है...

रमन अपना पेशेंस खोते हुए जोर से बोला,

'अब तुम आगे कुछ और बोलना बंद क दो,

वरना मैं पगला जाऊंगा।'

ये अभी जो तुम बोली यहां 'C' को 'क' नहीं 'स' कहेंगे-

यानि सेंटीमीटर, सेल और सीमेंट

...

हां जी, पत्नी बड़बड़ाते बोली,

अब इस 'C' से तो मेरा भी सिर दर्द करने लगा है।

...

और अब मैं जाकर चेक खाऊंगी,

उसके बाद चोक पियूंगी फिर

चॉफी के साथ

चैप्सूल खाकर सोऊंगी

तब जाकर चैन आएगा।

...

उधर जाते-जाते रमन भी बड़बड़ाता हुआ बाहर निकला..

तुम केक खाओ,

पर मेरा सिर न खाओ..

तुम कोक पियो या कॉफी,

पर मेरा खून न पिओ..

तुम कैप्सूल निगलो,

पर मेरा चैन न निगलो..

...

सिर के बाल पकड़ रमन ने निर्णय कर लिया कि अंग्रेजी में बहुत कमियां हैं,

ये निहायत मूर्खों की भाषा है,

...और ये सिर्फ हिन्दुस्तानियों को मूर्ख बनाने के लिए बनाई है।

हमारी मातृभाषा हिन्दी ही सबसे अच्छी है।

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