पाकिस्तान: मेष लग्न की कुंडली में पाकिस्तान की कुंडली में इस वक्त शुक्र मार्केश अवस्था में चल रहा है। उसकी महादशा चल रही है। इससे उसकी आर्थिक स्थित खराब हो चली है। उसमें बुध की अंतरदशा चल रही है। बुध जो स्वयं चंद्रमा की राशि में शुक्र, शनि के साथ फंसा हुआ है। इसके चलते पाकिस्तान के बुरे दिन चल रहे हैं।
पाकिस्तान की कुंडली में सूर्य की महादशा में केतु की अंतरदशा चल रही है। केतु की अंतरदशा 4 मई 2025 तक रहेगी। इसके बाद शुक्र की अंतरदशा प्रारंभ होगी। इससे सूर्य को केतु का ग्रहण है। केतु तीसरे स्थान पर है। तीसरा स्थान पड़ोसी का है जो उसे पड़ोसियों के साथ धोके के लिए उकसाता है। नवांश कुंडली में सूर्य 12वें स्थान में बैठे हैं, जो नुकसान देता है। दशांस स्थान में केतु और मंगल की युति बन रही है। दाशांश कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष भी लगा है। इसलिए सिंधु जल संधि पर असर हुआ। रुद्रांश कुंडली में शुक्र नीच का है। चतुर्थांश कुंडली में केतु भी 12वें स्थान है। यह स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान की भूमि का नाश होगा। पाकिस्तान की कुंडली में मार्केश शुक्र, लग्नेश बुध के साथ और द्वादश सूर्य के साथ और छठा स्थान जो शनिदेव का है। शुक्र शत्रु राशि कर्क राशि में शनिदेव के साथ बैठा है।ALSO READ:
बृहद पराशर होरा शास्त्र के अनुसार सूर्य की महादशा में यदि शुक्र की अंतरदशा होती है और शुक्र यदि शत्रु राशि में हो या शत्रु राशि के स्वामी के साथ बैठा हो तो अनिष्ट कारक योग के चलते अपमृत्यु यानी समय के पहले मृत्यु का योग बनता है जिसके लिए महामृत्युंजय का जप करना चाहिए
रनध्रारिष्फसमायुक्ते अपमृत्युर्भविष्यति
तद्दोषपरिहारार्थ मृत्युंजय चरेत्।
श्वेतां गां महिषीं दद्याद्रुद्र जाप्यं च कारयेत्।।89।।
यदि दूसरे और सातवें भाव का स्वामी शुक्र यदि छठे या आठवें भाव से संबंध बनाए तो शरीरिक दर्द और अकाल मृत्यु होती है। जब शरीर में नाड़ी और दोषों का मिलन होता है, तब अपमृत्यु (अर्थात शीघ्र मृत्यु) का खतरा उत्पन्न होता है। ऐसे समय में मृत्यु को जीतने के लिए 'मृत्यंजय' का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही श्वेत रंग की गाय और महिष को दान देना चाहिए, तथा रुद्र जाप (शिव के मंत्रों का जाप) करना चाहिए।"ALSO READ:
भारत: भारत की आजादी की कुंडली वृषभ लग्न की है। भारत की कुंडली में चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतरर्दशा चल रही है। चंद्र और सूर्य दोनों ही तृतीय स्थान में बैठे हुए हैं। तृतीय भाव पड़ोसी का भाव भी है। इससे भारत अपने खोए हुए राज्य प्राप्त करेगा।
चंद्रस्यान्तर्गत सूर्ये स्वेच्चे स्वक्षेत्रसंयुते।
केंद्रात्रिकोणलाभे वा धने वा सोदरे बले।।151।।
अर्थात चंद्रमा की दशा में अपने उच्च या अपनी स्वयं की राशि में गए हुए केंद्र या त्रिकोण या लाभ वा धन में वा तीसरे भाव में बैठे हुए बली सूर्य के अंतर में होगा लाभ।
नष्टराज्य धनप्राप्तिं गृहे कल्याण शोभनम्।
मित्रराजप्रदसादेन ग्रामभूम्यादिलाभकृत।।।152।।
अर्थात नष्ट हुए राज्य की प्राप्ति और धन का लाभ, गृह में कल्याण का अनुभव, मित्र और राजा की प्रसन्नता से ग्रामभूमि आदि का लाभ होगा। 152।ALSO READ:
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