तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में एक ऐसी घटना ने सबको झकझोर दिया है, जो न सिर्फ एक मासूम छात्रा के साथ हुए अन्याय को उजागर करती है, बल्कि समाज में मासिक धर्म को लेकर बनी गलत धारणाओं पर भी सवाल उठाती है। एक निजी स्कूल में आठवीं कक्षा की एक छात्रा को मासिक धर्म के दौरान कक्षा से बाहर फर्श पर बैठकर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया। यह कहानी सिर्फ एक स्कूल की नहीं, बल्कि उस सोच की है, जो आज भी लड़कियों को उनके प्राकृतिक बदलावों के लिए दंडित करती है।
सेनगुट्टईपलायम की घटना: दर्द के साथ अपमान
यह घटना पोलाची के पास सेनगुट्टईपलायम में स्थित एक स्कूल की है। एक आठवीं कक्षा की छात्रा, जो अपनी पढ़ाई में मेहनती और होनहार है, को उसकी मासिक धर्म की स्थिति के कारण अपमान का सामना करना पड़ा। छात्रा के माता-पिता ने स्कूल से अनुरोध किया था कि उनकी बेटी को इस दौरान अलग डेस्क पर बैठने की अनुमति दी जाए, ताकि उसे आराम मिले और संक्रमण का खतरा न हो। लेकिन स्कूल ने इस संवेदनशील मांग को नजरअंदाज कर दिया। सोमवार को पहली परीक्षा के दौरान छात्रा को कक्षा से बाहर सीढ़ियों पर फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया गया। बुधवार को दूसरी परीक्षा के लिए जब वह स्कूल पहुंची, तो उसे फिर वही अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। कठोर सतह पर घंटों बैठने से उसके पैरों में दर्द हुआ, और उसका मन भी आहत हुआ।
मां की हिम्मत और वायरल वीडियो
छात्रा की मां ने इस अन्याय को चुपचाप सहन करने के बजाय हिम्मत दिखाई। जब एक रिश्तेदार ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी को कक्षा के बाहर बैठाया गया है, तो वह तुरंत स्कूल पहुंचीं और अपनी बेटी की स्थिति का वीडियो रिकॉर्ड किया। इस वीडियो में छात्रा ने बताया कि स्कूल के प्रिंसिपल ने ही उसे बाहर बैठने का आदेश दिया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसने न सिर्फ लोगों का गुस्सा भड़काया, बल्कि अधिकारियों को भी हरकत में ला दिया। यह एक मां की उस लड़ाई का प्रतीक है, जो अपनी बेटी के सम्मान और हक के लिए लड़ी।
स्कूल प्रबंधन पर सवाल और जांच का दौर
वायरल वीडियो के बाद प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए। मैट्रिकुलेशन स्कूलों के निदेशक ए. पलानीसामी ने बताया कि मुख्य शैक्षिक अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा गया है, और जांच पूरी होने के बाद उचित कार्रवाई का वादा किया गया है। सहायक पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह भी इस मामले की तहकीकात में जुटी हैं। उन्होंने पुष्टि की कि छात्रा की मां ने 6 अप्रैल को कक्षा शिक्षक से और अगले दिन प्रिंसिपल से अलग सीट की व्यवस्था के लिए बात की थी, लेकिन उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया। इस बीच, स्कूल के कॉरेस्पॉन्डेंट ने प्रिंसिपल को शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 17 के तहत निलंबित कर दिया है, जो बच्चों के शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न को रोकने का प्रावधान करती है।
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