उत्तराखंड के पवित्र तीर्थस्थल ज्योतिर्मठ के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगी है। भगवान श्री बदरीविशाल के कपाट खुलने की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अथक प्रयासों के फलस्वरूप केंद्र सरकार ने ज्योतिर्मठ को आपदा से सुरक्षित करने के लिए 291.15 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है। यह राशि न केवल ज्योतिर्मठ के पुनर्निर्माण और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों और लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी एक सुरक्षित भविष्य का वादा करती है।
ज्योतिर्मठ में आपदा का खतरा और मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई
पिछले साल जनवरी 2023 में ज्योतिर्मठ में भू-धंसाव की समस्या ने स्थानीय निवासियों और प्रशासन को चिंता में डाल दिया था। शहर की लगभग 22% संरचनाओं में दरारें दिखाई देने लगी थीं, जिससे कई घर और बुनियादी ढांचे खतरे में पड़ गए। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत कार्रवाई की।
उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और विशेषज्ञों की एक 35 सदस्यीय टीम गठित की। इस टीम में एनडीएमए, आईआईटी रुड़की, यूएनडीपी, और वाडिया इंस्टीट्यूट जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के विशेषज्ञ शामिल थे। अप्रैल 2023 में इस टीम ने ज्योतिर्मठ का दौरा किया और आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन (PDNA) किया।
इस आकलन में आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, स्वच्छता, सड़क, और पुल जैसे बुनियादी ढांचे की क्षति का विस्तृत अध्ययन किया गया। विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर एक उच्च स्तरीय समिति ने ज्योतिर्मठ के पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए योजनाएं तैयार कीं। इन योजनाओं को लागू करने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की गई।
मजबूत भविष्य की नींव
मुख्यमंत्री धामी ने इस मुद्दे को बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाया। उनके निरंतर प्रयासों और गृह मंत्रालय की सिफारिशों के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने 291.15 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की। इस राशि से ज्योतिर्मठ में भू-धंसाव को रोकने, जलनिकासी और सीवरेज सिस्टम को बेहतर करने, और अलकनंदा नदी के किनारे सुरक्षात्मक कार्य करने की योजना है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इन परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की है। पहले चरण में अस्थिर क्षेत्रों को स्थिर करने, ढलान स्थिरीकरण, और जल-स्वच्छता सुविधाओं को बेहतर करने पर ध्यान दिया जाएगा। ये कदम न केवल ज्योतिर्मठ को आपदा से सुरक्षित करेंगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि भगवान बदरीविशाल के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से अपनी यात्रा पूरी कर सकें।
स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं के लिए नया विश्वास
इस परियोजना का प्रभाव ज्योतिर्मठ के हर कोने में दिखाई देगा। भू-धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा, जिससे स्थानीय निवासियों को सुरक्षित आवास और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही, नरसिंह मंदिर के आसपास के क्षेत्र, जहां भगवान बदरीविशाल का शीतकालीन प्रवास होता है, को भी सुरक्षित किया जाएगा। यह परियोजना ज्योतिर्मठ को एक सुनियोजित, सुरक्षित, और आधुनिक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “ज्योतिर्मठ की देवतुल्य जनता और श्रद्धालुओं के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। एक सुरक्षित और सुंदर ज्योतिर्मठ का सपना जल्द साकार होगा।”
ज्योतिर्मठ का भविष्य: विकास और आस्था का संगम
यह परियोजना केवल आपदा प्रबंधन तक सीमित नहीं है। यह ज्योतिर्मठ को एक आधुनिक और सुरक्षित तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मजबूत सड़कों, बेहतर जलनिकासी, और सुरक्षित आवासों के साथ, ज्योतिर्मठ न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी एक आदर्श गंतव्य बनेगा। यह परियोजना उत्तराखंड के विकास और आस्था के प्रति केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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