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शर्मिष्ठा पनोली को लेकर TMC नेता बोले- “अगर मेरी बेटी होती तो अंतिम संस्कार कर चुका होता!”

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सोशल मीडिया आज के समय में अभिव्यक्ति का एक शक्तिशाली मंच है, लेकिन यह कई बार विवादों का केंद्र भी बन जाता है। हाल ही में, कोलकाता की एक 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने सुर्खियां बटोरीं, जब उन पर सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप लगा। इस मामले ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई, बल्कि समाज में भी गहरे सवाल खड़े किए। क्या यह केवल सोशल मीडिया पर वायरल होने की चाह थी, या इसके पीछे कोई बड़ा एजेंडा था? आइए, इस मामले को गहराई से समझते हैं।

विवाद का केंद्र: शर्मिष्ठा पनोली का वीडियो

कोलकाता की रहने वाली शर्मिष्ठा पनोली, जो एक लॉ स्टूडेंट हैं, ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो पोस्ट किया, जिसे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाला माना गया। इस वीडियो ने जल्द ही लोगों का ध्यान खींचा और विवादों की आग में घी डालने का काम किया। कोलकाता पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कोर्ट के वारंट के आधार पर शर्मिष्ठा को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस घटना ने न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक बहस को भी जन्म दिया।

टीएमसी प्रवक्ता का कड़ा रुख

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता रिजू दत्ता ने इस मामले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि शर्मिष्ठा ने यह कदम जानबूझकर उठाया, ताकि वह सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर सकें और कुछ खास राजनीतिक समूहों का ध्यान आकर्षित कर सकें। दत्ता ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “यदि वह मेरी बेटी होती, तो मैं उसे अस्वीकार कर चुका होता। वह कोई बच्ची नहीं, बल्कि 22 साल की पढ़ी-लिखी लॉ स्टूडेंट है, जिसने यह सब सोच-समझकर किया।” उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ लोग, खासकर बीजेपी आईटी सेल, इस मामले को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं और #IStandWithSharmistha जैसे ट्रेंड्स चला रहे हैं। लेकिन दत्ता के मुताबिक, शर्मिष्ठा के साथ केवल उनके माता-पिता और उनके वकील ही खड़े हैं।

सोशल मीडिया का दुरुपयोग: एक चेतावनी

रिजू दत्ता ने युवाओं और उनके माता-पिता को चेतावनी देते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर गलत सामग्री साझा करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “कुछ लोग सेलफोन के पीछे छिपकर अपनी रोटी कमाते हैं, लेकिन इस तरह के कृत्य आपके बच्चों का भविष्य बर्बाद कर सकते हैं।” दत्ता ने जोर देकर कहा कि कोलकाता पुलिस ने केवल अपने कर्तव्य का पालन किया और कोर्ट के आदेशों का अनुसरण किया। यह मामला अब कानून के दायरे में है, और अदालत ही इस पर अंतिम फैसला लेगी।


समाज के लिए सबक

यह घटना हमें सोशल मीडिया के जिम्मेदार उपयोग की महत्ता को याद दिलाती है। आज के दौर में, जहां एक क्लिक लाखों लोगों तक पहुंच सकता है, हमें यह समझना होगा कि हमारी कही या साझा की गई बातें समाज पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। शर्मिष्ठा का मामला हमें यह भी सिखाता है कि सोशल मीडिया पर लोकप्रियता हासिल करने की जल्दबाजी में गलत कदम उठाने से न केवल व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो सकता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी खतरे में पड़ सकता है।

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