— कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने किया उद्घाटन, 4000 पुरा छात्रों ने कराया ‘आभा’ अतिथि गृह का निर्माण
वाराणसी,2 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पुरा छात्रों के योगदान से निर्मित पहले अतिथि गृह ‘आभा’ का उद्घाटन sunday को कुलपति प्रो.अजित कुमार चतुर्वेदी ने किया. विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के पुरा विद्यार्थियों की संस्था ‘आभा’ के सहयोग से निर्मित अतिथि गृह के निर्माण में हुए खर्च को संस्थान के 4000 पुरा विद्यार्थियों ने वहन किया. यह अतिथि गृह लगभग 1000 वर्ग मीटर में फैला है. 17 कमरों और भोजन कक्ष के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है.
इस अवसर पर कुलपति प्रो.चतुर्वेदी ने कहा कि ‘यह बीएचयू के इतिहास का एक मील का पत्थर है. इतने लोगों ने मिलकर इस पहल को शुरू किया, उसे बनाए रखा और आज साकार किया—यह वास्तव में प्रेरणादायक है’. आभा टीम को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि टीम ने यह दिखा दिया है कि यदि सब एक साथ और ईमानदारी से कार्य करें, तो असंभव भी संभव हो सकता है. प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि बीएचयू ने यह दिखाया है कि दान और पूर्व विद्यार्थियों के सहयोग से कैसे शैक्षणिक संस्थान आत्मनिर्भर बन सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि महामना पं. मदन मोहन मालवीय ने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि मानवीय प्रयास और भावना से चमत्कार किए जा सकते हैं. आभा अतिथि गृह के बारे में प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि यह योगदान का एक नया स्वरूप है, जो पहली पीढ़ी के सफल पुरा विद्यार्थियों से उनके संस्थानों को प्राप्त हो रहा है. कुलपति ने कहा, “हमारे लिए यह उदाहरण है कि हम दान की परिभाषा को कैसे पुनर्परिभाषित करें और उत्कृष्टता हासिल करने की ओर प्रगति करें.” उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान संस्थान के पुरा छात्रों की यह अनुकरणीय पहल एक प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करेगी. कुलपति ने विश्वविद्यालय के विशिष्ट पुरा छात्र तथा आभा अतिथि गृह के विचार को साकार बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले दिवंगत मंडावा वेंकटा रमय्या तथा एम. प्रभाकर राव के चित्रों का अनावरण भी किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि,एम. प्रभाकर राव (अध्यक्ष, नुज़ीवेडु सीड्स) ने कहा कि बीएचयू अन्य विश्वविद्यालयों से अलग है . क्योंकि यहां महामना मालवीय की भावना महसूस होती है. उन्होंने कहा कि यह भावना हमें याद दिलाती है कि हमें समाज के प्रति अपने योगदान को किसी न किसी रूप में निरंतर जारी रखना चाहिए. संस्थान के निदेशक प्रो. यू. पी. सिंह ने स्वागत भाषण दिया. अतिथि गृह के संरक्षक तथा आभा के प्रवक्ता डॉ. तरुण वर्मा ने एम. वेंकटा रमय्या का परिचय प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में Andhra Pradesh स्टेट सीड अथॉरिटी के सेवानिवृत्त निदेशक एवं बीएचयू कृषि संकाय के विशिष्ट पुरा छात्र डॉ. बेथी गोपाल रेड्डी ने बताया कि एम. प्रभाकर राव ने इसके लिए 1 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. आभा के सचिव प्रो. एस. के. सिंह ने बताया कि हमारी पंजीकृत संस्था है, जिसकी स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी. उन्होंने आभा अतिथि गृह के निर्माण की पूरी यात्रा को साझा किया औऱ बताया कि कैसे संस्थान के पुरा छात्रों ने निरन्तर यह लक्ष्य हासिल करने के लिए मेहनत की.
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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