नई दिल्ली, 07 अप्रैल . अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी ने दुनिया भर के स्टॉक मार्केट को तबाह करने के साथ ही ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) की कीमतों को भी 4 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. आज ब्रेंट क्रूड गिर कर 62.53 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया. इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड भी 60 डॉलर के लेवल से भी नीचे लुढ़क कर 59 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया.
जानकारों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी के कारण आर्थिक मंदी का डर बन गया है. ऐसा होने पर क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) के ग्लोबल डिमांड में भी कमी आएगी. इसी आशंका की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है. माना जा रहा है कि अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी की वजह से ट्रेड वॉर शुरू हो सकता है, जिसके कारण आने वाले दिनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है. वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण पिछले सप्ताह भी कच्चे तेल की कीमत में करीब 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई कमी का असर घरेलू शेयर बाजार में ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के शेयरों पर भी पड़ा है. यह दोनों कंपनियां भारत में कच्चे तेल का उत्पादन करती हैं. इसलिए कच्चे तेल के कीमत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली वाले उतार-चढ़ाव का असर इन कंपनियों के मुनाफे पर भी पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने से इन कंपनियों का मुनाफा भी घट जाता है. इसी तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर इन कंपनियों के मुनाफे में भी तेजी आ जाती है.
मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमत 4 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है. इसलिए ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के मुनाफे पर भी इसका प्रभाव पड़ना तय है. यही वजह है कि आज घरेलू शेयर बाजार में इन दोनों कंपनियों के शेयरों के भाव में जबरदस्त गिरावट का रुख बना रहा. ओएनजीसी के शेयर आज 2.73 प्रतिशत की गिरावट के साथ 219.84 रुपये के स्तर पर बंद हुए, जबकि ऑयल इंडिया लिमिटेड के शेयर 4.05 टूट प्रतिशत टूट कर 343.25 रुपये के स्तर पर बंद हुए.
जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमत में अभी और गिरावट आने की संभावना बनी हुई है. इसकी एक बड़ी वजह सऊदी अरब द्वारा मई महीने के लिए कच्चे तेल की कीमत में 2.3 डॉलर प्रति बैरल की कटौती करना भी है. इसके साथ ही ओपेक प्लस देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने का भी ऐलान किया हुआ है. इसकी वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आने की बात कही जा रही है.
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/ योगिता पाठक
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