कानपुर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Uttar Pradesh के कानपुर जनपद में कल्याणपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के लाइफ लॉन्ग लर्निंग, समाज कार्य एवं क्लिनिकल साइकोलॉजी विभाग द्वारा राजकीय बालिका गृह, सूर्य विहार में सर्व समन्वय फाउंडेशन और पिनाकल एजुकेशन फाउंडेशन के संयुक्त रूप से एक दिवसीय एनीमिया स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. यह जानकारी विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने दी.
मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय पोषण माह के मौके पर आयोजित हुआ, जिसका प्रमुख उद्देश्य बालिकाओं में एनीमिया की रोकथाम, संतुलित आहार के प्रति जागरूकता, और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करना था.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही आयुर्वेदाचार्य प्रो. वंदना पाठक ने कहा कि “जब एक बालिका स्वस्थ होगी, तभी समाज सशक्त होगा. यह पहल भविष्य की पीढ़ी को स्वस्थ, जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय का सशक्त कदम है. हर निवाला पोषण से भरपूर हो, तभी जीवन स्वस्थ और उज्जवल हो सकता है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य जांच और एनीमिया स्क्रीनिंगशिविर के दौरान कुल 70 बालिकाओं की हीमोग्लोबिन जांच की गई हैं.जिसमे जांच में यह पाया गया कि कुछ बच्चियां माइल्ड एनीमिया से ग्रसित थीं, इन सभी को विश्वविद्यालय और फाउंडेशन की टीम द्वारा व्यक्तिगत परामर्श दिया गया.बालिकाओं को बताया गया कि आयरन युक्त आहार, पर्याप्त नींद, स्वच्छता और नियमित व्यायाम से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ाया जा सकता है. इस मौके पर सभी छात्राओं के ईजीआरएक्स द्वारा हीमोग्लोबिन ई-हेल्थ कार्ड दिया गया तथा उन्हें नियमित स्वास्थ्य परीक्षण के लिए प्रेरित किया गया.
विश्वविद्यालय की ओर से प्रो. संदीप कुमार सिंह ने अत्यंत रोचक तरीके से बच्चों को “तिरंगा डाइट” के सिद्धांत से परिचित कराया. उन्होंने बताया कि जैसे हमारा तिरंगा तीन रंगों से बना है, वैसे ही हमारे भोजन में भी तीन रंगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
• केसरिया रंग (ऊर्जा) – गाजर, शकरकंद, पपीता, कद्दू जैसे खाद्य पदार्थ,
• सफेद रंग (प्रोटीन) – दूध, पनीर, दही, सोया उत्पाद,
• हरा रंग (विटामिन और खनिज) – हरी पत्तेदार सब्जियाँ, पालक, मेथी, मटर आदि.
उन्होंने कहा कि इस तिरंगे भोजन से न केवल शरीर को पोषण मिलता है, बल्कि राष्ट्रभक्ति और जिम्मेदारी का भाव भी विकसित होता है – “हमारे शरीर का पोषण, हमारे राष्ट्र की शक्ति का प्रतीक है.”
सामाजिक प्रभाव और भविष्य की दिशा
यह शिविर केवल एक स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का आंदोलन बन गया. बालिकाओं ने न केवल अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की, बल्कि वे यह भी समझ सकीं कि छोटे-छोटे बदलाव – जैसे भोजन में हरी सब्जियाँ शामिल करना, फास्ट फूड से बचना, और समय पर भोजन करना – कैसे उनके जीवन में बड़ा अंतर ला सकते हैं.
कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपने परिवार और समुदाय में भी एनीमिया मुक्त समाज के संदेश को फैलाएंगे.
कार्यक्रम का संचालन अत्यंत अनुशासित, संवादात्मक और प्रेरक माहौल में संपन्न हुआ.
इस कार्यक्रम में लाइफ लॉन्ग लर्निंग, समाज कार्य और क्लिनिकल साइकोलॉजी विभाग के शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने सक्रिय भूमिका निभाई. कार्यक्रम का समन्वयन और सफल संचालन डॉ. सत्येन्द्र सिंह चौहान, डॉ. प्रियंका शुक्ला, डॉ. अभिषेक मिश्रा, डॉ. अंशिका मिश्रा, और डॉ. दुर्गा यादव द्वारा किया गया.
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
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