भोपाल, 21 सितंबर . भारत-रत्न, संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी का उद्घोष करने वाले प्रेरणा स्रोत, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. यह राष्ट्रीय संगोष्ठी, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल और साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में भोपाल स्थित केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षण संस्थान के पं. सुंदरलाल शर्मा सभागार में 20 एवं 21 सितंबर को आयोजित हुई.
संगोष्ठी में साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सचिव के. श्रीनिवास राव ने कार्यक्रम के स्वागत वक्तव्य में उपयोगिता, प्रासंगिकता तथा तात्कालिकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. विशिष्ट वक्ता के रूप में साहित्य अकादमी के हिंदी परामर्श मंडल के संयोजक डॉ. गोविन्द मिश्रा ने राजनीति के स्तर के उन्नयन के लिए साहित्य के स्पर्श की आवश्यकता बताई. मुख्य वक्ता के रूप में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने करुणा के महत्व को रेखांकित किया. विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने स्व. वाजपेयी की वैश्विक व्यापकता के साथ साथ सम्यक दृष्टि, उदारवादी चरित्र और राष्ट्रीयता को महत्त्वपूर्ण बताया.
संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों में विभिन्न संदर्भों पर आलेख वाचन प्रस्तुत किया गया. अटल युगीन विश्व और हिंदी, भारत की समावेशी संस्कृति के शिल्पी अटल जी, अटल जी और पत्रकारिता, भारत की एकात्मता हिंदी और अटल जी, राष्ट्र निर्माण में अटल जी का योगदान एवं अटल जी वैज्ञानिक दृष्टिकोण सहित विभिन्न संदर्भों पर विभिन्न विषयविदों द्वारा संस्मरण साझा किए गए. इनमें दयानंद पांडेय, चंद्रचारु त्रिपाठी, उर्मिला शिरीष, मनोज श्रीवास्तव, मुकेश मिश्रा, अलका प्रधान, विजय मनोहर तिवारी, संजय द्विवेदी, आनंद सिंह, कुसुमलता केडिया, राजीव वर्मा एवं नुसरत मेंहदी शामिल थीं. साहित्य अकादमी नई दिल्ली के उप सचिव शैलेन्द्र कुमार जैन ने आभार व्यक्त किया.
तोमर
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