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कांग्रेस खुद नक्सल समस्या की जननी और संरक्षक है : विकास मरकाम

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Raipur, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) . भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता के बयान जिसमें उन्होंने नक्सलवाद पर भाजपा को नाकाम बताने की कोशिश की थी, उस पर जबरदस्त प्रहार किया है. मरकाम ने कहा है कि पहले तो कांग्रेस को नक्सलवाद पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नही है क्योंकि ये खुद नक्सल समस्या की जननी और संरक्षक है. हर बार नक्सली कार्रवाई पर पहला विलाप कांग्रेसियों का ही आता है. इस बार प्रदेश के उप Chief Minister एवम गृहमंत्री विजय शर्मा द्वारा नक्सल पीड़ित परिवारजनों को केंद्रीय गृहमंत्री से मिलवाने पर कांग्रेस के पेट में दर्द होने पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि किसी बड़े नक्सली के मारे जाने पर भी इनके पेट में सबसे पहले ऐंठन मरोड़ होने लगती है.

विकास मरकाम ने Friday को जारी अपने बयान में बताया कि 16 अप्रैल को सुरक्षा बलों के एक बड़े ऑपरेशन में कुख्यात नक्सली कमांडर समेत 29 दुर्दांत नक्सली ढेर हो जाते है तब इनके नेता भूपेश बघेल सुरक्षा बलों की पीठ थपथपाने के बजाए कहते है, भाजपा शासनकाल में फर्जी नक्सली मुठभेड़ होते हैं. बीते चार महीनों के दौरान ऐसे मामले बढ़े हैं. बस्तर में Police पर आरोप लगाते हैं कि भोले-भाले ‘आदिवासियों’ को डराती है. जैसे ही उनके बयान की चौतरफा आलोचना शुरू हुई, उन्होंने इससे पल्ला झाड़ सुरक्षा बलों की तारीफ की. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत नक्‍सलियों को महिमामंडित करने का काम करती दिखती हैं, वह मारे गए नक्‍सलियों को ‘शहीद’ बताती हैं. 25 लाख के इनामी नक्सली के ढेर होने पर कांग्रेस कहती है जो शहीद हुए हैं उनकी जांच होनी चाहिए. राज्यसभा Member of parliament रंजीत रंजन का नक्‍सली समर्थक बयान सामने आ चुका है. Member of parliament रंजीत रंजन ने नक्‍सलियों को भोला-भाला इंसान करार दिया था. वास्‍तव में कांग्रेस ने अपने कार्यकाल के दौरान नक्सलवाद को मुख्यधारा में ला खड़ा किया. उन्होंने सलाह दी कि पार्टी को अपना नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (माओवादी) या माओवादी कांग्रेस पार्टी कर लेना चाहिए.

विकास मरकाम ने कहा जब कोई नक्‍सली Police मुठभेड़ में मारा जाता है तो उसके नेता नक्‍सली के घर जाकर उसे श्रद्धांजलि देने में भी परहेज नहीं करते. छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर रीजन के कांकेर में मारे गए माओवादी (नक्सली) नेता सिरीपेल्ली सुधाकर उर्फ शंकर राव के घर कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता और तेलंगाना की कांग्रेस सरकार में मंत्री अनुसुइया दनसारी उर्फ सीताक्का अभी कुछ दिन पहले ही पहुंची थीं. उनका इससे जुड़ा वीडियो भी वायरल है. यह सर्वविदित है कि नक्सली आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति सुधाकर कई हिंसक घटनाओं में शामिल था और सुरक्षा बलों को उसकी तलाश थी. शर्म आनी चाहिए कांग्रेसियों को जो सुरक्षा बलों के बलिदानियों के परिवारों से हमदर्दी रखने के बजाए नक्सलियों से हमदर्दी रखती है. ये वही ए लोग है जो अर्बन नक्सलियों से मिलकर देश की आंतरिक सुरक्षा को चोट पहुंचाने तक से भी परहेज नहीं करते.

विकास मरकाम ने कहा पिछले 10 सालों में केंद्र की भाजपा सरकार के आक्रामक कार्रवाई के परिणाम स्वरूप आज नक्सली बीजापुर नारायणपुर की छोटी सी गुफा में सिमट कर रह गए है. पी एल जी ए सप्ताह के ठीक पहले नक्सलियों ने पर्चा जारी कर स्वीकार किया है कि लगातार हो रहे एनकाउंटर और सरेंडर के चलते उनकी कमर टूट गई है. उनके पास लाल लड़ाके नही है. नक्सलियों की कमर टूट गई है आत्मसमर्पण की संख्या बढ़ी है. नक्सली वारदातों में गिरावट आई है. स्थानीय लोगों का विश्वास विकास और शांति की ओर बढ़ा है, लेकिन पूर्ण सफाया में सबसे बड़ी बाधा कांग्रेसी नेताओं का नक्सली समर्थन रवैया है. शहरों में बैठे पंजा छाप अर्बन नक्सल हैं. इससे कांग्रेसियों को बाज आने की हिदायत विकास मरकाम ने दी.

उन्होंने कांग्रेस से प्रश्न पूछा, झीरम कांड संदर्भ में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा के मांग के बौजूद कांग्रेस सरकार ने बड़े कांग्रेसी नेताओं का नार्को टेस्ट क्यों नही कराया? सुकमा विधायक कवासी लखमा जो हमले में अकेले जीवित बचे उनका नार्को टेस्ट क्यों नही कराया? जिन कांग्रेसियों पर अपने ही बड़े नेताओं कीMurder के साजिश के आरोप हो उन्हें दूसरों पर प्रश्न उठाने का कोई अधिकार नहीं है.

विकास मरकाम ने कहा भाजपा डबल इंजन के साथ बस्तर के विकास में पूरा दम झोक रही है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए सड़क और पुल बनाए जा रहे हैं. इस वर्ष अभी तक 90 किलोमीटर लंबी 16 सड़कों, 2 पुलों और 72 पुलियों का निर्माण किया गया है. 118 मोबाइल टावर भी स्थापित किए गए हैं. सुरक्षाबलों के प्रत्येक शिविर के प्रत्येक शिविर के आसपास के 5-5 गांवों तक नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव) योजना सहित सभी सरकारी योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है. सामुदायिक Policeिंग के कारण भी ग्रामीणों का नक्सलियों से मोह भंग हो रहा है. राज्य में नक्सली घटनाओं पर कुशल अनुसंधान एवं अभियोजन की प्रभावी कार्रवाई के लिए राज्य अन्वेषण एजेंसी का गठन किया गया है.

(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

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