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मप्र में साक्षरता दर वृद्धि के लिए संचालित किया जा रहा है उल्लास-नव साक्षरता कार्यक्रम

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– नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार वर्ष 2027 तक तैयार किया गया है कार्यक्रम

भोपाल, 8 अप्रैल . मध्य प्रदेश में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप साक्षरता कार्यक्रम लागू किया जा रहा है. साक्षरता कार्यक्रम वर्ष 2022 से 2027 तक की अवधि के लिये तैयार किया गया है. प्रदेश में निरक्षरता उन्मूलन के लिये उल्लास-नव साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत यह कार्यक्रम पांच व्यापक उद्देश्य को लेकर संचालित किया जा रहा है. इनमें मुख्य रूप से मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करना महत्वपूर्ण जीवन कौशल बुनियादी शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा और सतत् शिक्षा प्रदान करना है. यह कार्यक्रम 15 वर्ष से अधिक आयु समूह के व्यक्तियों के लिये है.

जनसम्पर्क अधिकारी मुकेश मोदी ने मंगलवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के परिदृश्य को ध्यान में रखकर राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा अक्षर पोथी नाम से प्रवेशिका बनाई गई है. यह प्रवेशिका सीखने की परिष्कृत गति एवं विषय वस्तु पर आधारित है. इस प्रवेशिका में बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मकता के साथ महत्वपूर्ण जीवन कौशल जैसे वित्तीय, कानूनी, डिजिटल साक्षरता और आपदा प्रबंधन जैसे विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया है.

उन्होंने बताया कि प्रदेश में असाक्षरों के पठन-पाठन के लिये छात्र-छात्राओं, सरकारी-गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है. सहयोग देने वाले व्यक्ति को अक्षर साथी का नाम दिया गया है. राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष में 2 बार नवसाक्षरों के लिये बुनियादी साक्षरता परीक्षा लिये जाने का प्रावधान है. सितम्बर 2024 में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम में आयोजित परीक्षा में 16 लाख 49 हजार से अधिक नवसाक्षर शामिल हुए थे. शामिल नवसाक्षरों में से 90 प्रतिशत नवसाक्षरों ने परीक्षा में उत्तीर्ण होकर प्रमाण-पत्र हासिल किये हैं.

तोमर

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