कालसर्प योग से बचने के लिए पुरोहितों से कराई गई खास पूजा
वाराणसी,29 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में नागपंचमी पर्व पर मंगलवार को जैतपुरा नवापुरा स्थित नागकूप पर दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने नागकूप का दर्शन पूजन कर परिसर स्थित नागेश्वर महादेव के दरबार में हाजिरी लगाई। दरबार में शिवलिंग का जलाभिषेक कर श्रद्धालुओं ने घर परिवार,देश और समाज में सुख शांति की नागेश्वर महादेव से कामना की। दरबार में दर्शन पूजन के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु कतारबद्ध होते रहे। मंदिर में नागेश्वर महादेव और उनके गले में लिपटे सर्प देवता को बेल पत्र, धतूरा, फूल, हल्दी चावल, दूध आदि चढ़ाकर लोगों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की।
इसके पहले भोर में मंदिर के गर्भगृह में महादेव की विधिवत आराधना, मंगला आरती के बाद आम भक्तों के लिए पट खोल दिया गया। सुबह ही भगवान नागेश्वर महादेव की पूजा बिल्वार्चन और दुग्धाभिषेक से की गई।
गौरतलब हो कि नागकूप के बारे में पौराणिक मान्यता है कि नागकूप के नीचे बने कुआं से ही नागलोक का रास्ता जाता है। शेषावतार नागवंश के महर्षि पतंजलि ने सैकड़ों साल तक इसी जगह तपस्या की थी। माना जाता है कि काशी के इस प्राचीन नागकूप का इतिहास 3 हजार साल से अधिक पुराना है। इस कूप के अंदर सात कुएं है और उनके नीचे भी सीढ़ियों के जरिए रास्ता बना हुआ है, जो नागलोक तक जाता है। इस कुंए के अंदर शिवलिंग भी स्थापित है और साल में एक बार नागपंचमी पर कूप और कुआं का सारा पानी निकाल कर शिवलिंग का श्रृंगार कर विशेष पूजा की जाती है। इसके बाद पानी निकालने वाले पंप को बंद कर दिया जाता है, थोड़ी देर में ही कुंआ व नागकुंड दोनों ही पानी से भर जाता है।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश पांडेय बताते है कि कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूरे देश में तीन ही स्थान है। इसमें काशी का नागकूप मुख्य है। नाग पंचमी के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। जिन लोगों को सर्प दंश का भय होता है वो इस कुंड में स्नान करते है तो उन्हें इससे मुक्ति मिल जाती है।
नागकूप पर शाम को शास्त्रार्थ के लिए संस्कृत के विद्वानों का जमावड़ा
नागपंचमी पर्व पर मंगलवार को नागकूप पर परम्परानुसार शास्त्रार्थ के लिए संस्कृत के विद्वानों का जमावड़ा होगा। नागकूप शास्त्रार्थ समिति की ओर से आयोजित शास्त्रार्थ सभा में संस्कृत के विद्वान शास्त्रार्थ में शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि नागकूप पर शेषावतार महर्षि पतंजलि ने अपने गुरु महर्षि पाणिनी के व्याकरण अष्टाध्यायी पर महाभाष्य रचा था। योग सूत्र की रचना उन्होंने कभी इसी स्थान पर की थी, यहां नाग पंचमी पर शास्त्रार्थ की परंपरा का इतिहास है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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