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स्वीडन और यूक्रेन के बीच बड़ा रक्षा समझौता, 150 ग्रिपेन फाइटर जेट की आपूर्ति पर हस्ताक्षर

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लिंकॉपिंग (स्वीडन), 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन की वायुसेना को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए स्वीडन और यूक्रेन ने बुधवार को 100 से 150 तक ग्रिपेन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति को लेकर ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ (Letter of Intent) पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता स्वीडन की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी साब (Saab) के साथ एक संभावित दीर्घकालिक निर्यात अनुबंध का मार्ग प्रशस्त करता है.

स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने यूक्रेन के President वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ बुधवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह फिलहाल किसी नए दान के बारे में नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक साझेदारी की दिशा में एक ठोस कदम है. आज से हम इस दिशा में संभावनाओं की पूरी तरह पड़ताल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”

क्रिस्टरसन ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच एयर डिफेंस सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाएगा. उन्होंने कहा, “स्वीडन और यूक्रेन के बीच आज की यह बैठक और कल ब्रुसेल्स में होने वाला सम्मेलन इस बात का प्रतीक है कि हमारे सहयोग की तीव्रता कितनी बढ़ चुकी है. स्वीडन यूक्रेन और उसके लोगों के साथ पूरी तरह एकजुट खड़ा है.”

दूसरी ओर, President जेलेंस्की ने बताया कि यूक्रेन का लक्ष्य है कि अगले वर्ष तक ग्रिपेन जेट्स की प्राप्ति और उनका उपयोग शुरू किया जा सके. उन्होंने कहा, “हमारे लिए ग्रिपेन सर्वोच्च प्राथमिकता हैं, यह न सिर्फ युद्ध रणनीति बल्कि लागत और संचालन की दृष्टि से भी बेहद उपयुक्त हैं.”

सूत्रों के अनुसार, यूक्रेनी पायलट हाल के महीनों में स्वीडन में ग्रिपेन विमानों का परीक्षण कर चुके हैं, ताकि भविष्य में विमानों की डिलीवरी और संचालन में कोई तकनीकी अड़चन न आए.

साब कंपनी के मुख्यालय लिंकॉपिंग में दोनों नेताओं ने उत्पादन सुविधा का भी दौरा किया. कंपनी वर्तमान में प्रति वर्ष 20 से 30 ग्रिपेन विमान तैयार करने की क्षमता विकसित कर रही है. अब तक लगभग 280 ग्रिपेन विमान बनाए जा चुके हैं, जिनमें नवीनतम ग्रिपेन ई मॉडल शामिल है.

क्रिस्टरसन ने यह भी कहा कि दुनिया को अब रूस के President व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाना चाहिए, ताकि यूक्रेन में जारी युद्ध का अंत हो सके.

इस ऐतिहासिक समझौते से न केवल यूक्रेन की सैन्य शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, बल्कि स्वीडन की रक्षा उद्योग को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी.

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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