कानपुर, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) . जीएसटी काउंसिल ने ईंटों पर कर दर न घटाकर सीधे जनहित की अनदेखी करते हुए जले पर नमक डालने का कार्य किया है. सरकार ने हमारी पीड़ा को अनदेखा कर जीएसटी काउंसिल के माध्यम से ईंटों पर कर दर न घटाकर भारी प्रहार किया है, ईंटों पर कर दर में 06 प्रतिशत व 12 प्रतिशत का हम पुरजोर विरोध करते हैं. यह बातें बुधवार को कानपुर ब्रिक क्लिन ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपी श्रीवास्तव ने कही. आगे कहा, ईंट भट्ठा उद्योग एक सीजनल ग्रामीण कुटीर उद्योग है. जिसमें खेती किसानी से बचे समय में स्थानीय स्तर पर ग्राम वासी भट्ठे पर अधिक संख्या में रोजगार पाते है. जिससे शहरी पलायन भी रूकता है.
ईंट भट्ठा कारोबारियों ने आर्य नगर स्थित गैंजेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मानव जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान तीनों की पूर्ति का ईंट प्रमुख घटक है, परन्तु सरकार को जनहित से कोई सरोकार नहीं है. यह इस बात से साबित है कि तीन सितम्बर राजधानी दिल्ली में सम्पन्न जीएसटी काउंसिल 56वीं मीटिंग में ईंटों पर जीएसटी दर न घटाने के निर्णय से लाल ईंट निर्माताओ में नाराजगी है.
साल 2017 में जीएसटी काउसिंल द्वारा ईंट निमार्ताओं पर लागू कम्पोजीशन स्कीम को मार्च 2022 में समाप्त करके 01 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत व आईटीसी लेने पर 05 प्रतिशत के स्थान पर 12 प्रतिशत कर थोपा गया था. तभी से व्यापारी जी.एस.टी. दर को कम करने की मांग कर रहे थे तथा सरकार से वैट के समय लागू समाधान योजना की तरह जीएसटी में भी समाधान योजना की मांग कर रहे थे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 15 अगस्त को की गई घोषणा के क्रम में जीएसटी काउसिंल द्वारा 56वीं मीटिंग में लाल ईंट निर्माताओं पर न तो टैक्स घटाया गया और न ही समाधान योजना का विकल्प दिया गया.
जबकि सीमेंट पर जीएसटी दर में 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की कमी की गई तथा दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली कि 12 प्रतिशत का स्लैब जी.एस.टी. काउसिंल द्वारा समाप्त कर दिया गया है लेकिन बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि जीएसटी काउसिंल द्वारा एक तरफ 12 प्रतिशत कर दर को समाप्त करने की घोषणा की गई है. जबकि लाल ईंट निर्माताओं पर 12 का टैक्स रेट अभी भी लागू है.
आगे उन्होंने कहा कि सस्ता और टिकाऊ घर बनाने के लिये ईंट भट्ठे पर तैयार लाल ईंट की खपत सामान्य नागरिक ही कर रहा है. सरकार ने तो प्रधानमंत्री आवास योजनाओं जैसी अनेक सरकारी गैर सरकारी प्रोजेक्टों में लाल ईंट की उपयोगिता को नहीं के बराबर कर दिया है और कई सरकारी योजनाओं में लाल ईंट को प्रतिबंधित कर दिया है. सरकार का ईंट भट्ठा उद्योग के प्रति अनदेखा व भेद-भाव पूर्ण रवैया इस उद्योग को बहुत नुकसान पहुँचा रहा है. ईंटों पर इस प्रकार बिना सोच-विचार के अनुचित, अव्यवहारिक एंव मनमानी कर दर वृद्धि गलत एवं अन्यायपूर्ण है. साथ ही तथा लाल ईंट के उत्पादन में मुख्य ईंधन कोयला को 05 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की श्रेणी में रखकर सरकार ने जले पर नमक डालने का कार्य किया है.
पदाधिकारियों ने माँग की सरकार लाल ईंट निर्माताओं के साथ किये जा रहे भेद-भाव को भूलकर लाल ईंट निर्माता के 1.50 करोड़ टर्नओवर वाले व्यापरियों को कम्पोजीशन स्कीम लागू करते हुये 01 प्रतिशत कर दर की श्रेणी में एवं 12 प्रतिशत के स्थान पर 05 प्रतिशत कर दर इनपुट के साथ करने का निर्णय ले. पहले से ही ये उद्योग मंदी की तरफ था और अब सरकार के रूखे रवैये से अब ये उद्योग बन्दी की तरफ जा रहा है.
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
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