New Delhi, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . दिल्ली उच्च न्यायायल ने कहा है कि शहर की सरकार गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की फीस संरचना को केवल मुनाफाखोरी, शिक्षा के व्यवसायीकरण और कैपिटेशन फीस की वसूली पर अंकुश लगाने के लिए ही रेगुलेट कर सकती है. चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार गैर सहायता प्राप्त स्कूलों पर फीस बढ़ाने पर रोक लगाने का आदेश नहीं दे सकती है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार की ओर से फीस को रेगुलेट करने के लिए तभी कदम उठाया जाना चाहिए तब सरकार को लगे कि स्कूलों की ओर से वसूले जाने वाले फीस से होने वाले लाभ का इस्तेमाल संस्थान की भलाई को छोड़कर दूसरे कामों के लिए किया जा रहा हो. कोर्ट ने कहा कि स्कूलों को छात्रों से मिलने वाले फीस से स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों और स्टाफ की सैलरी और भविष्य की बेहतरी के लिए उठाये गए कदमों पर खर्च करना होता है.
उच्च न्यायालय में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से कई याचिकाएं दायर की गई थीं. शैक्षणिक संस्थानों और दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सिंगल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ब्लूबेल्स इंटरनेशनल स्कूल एवं लीलावती विद्या मंदिर को 2017-18 में फीस बढ़ाने पर रोक लगा दिया गया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर किसी स्कूल की ओर से फीस का स्टेटमेंट शिक्षा निदेशालय को दाखिल किया गया एवं शिक्षा निदेशालय पाता है कि फीस की बढ़ोतरी नियमों के अनुकूल नहीं है तो वो संबंधित स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है.
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
You may also like
फैंस को समझाया, भीड़ से निकाला... रोहित शर्मा के लिए बॉडीगार्ड बने उनके दोस्त अभिषेक नायर
Kerala High Court On Waqf Board: 'एक दिन ताजमहल और लाल किला को भी अपना बता देंगे', मुनंबम जमीन विवाद में केरल हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड के कदम को हड़पने की रणनीति भी कहा
राजस्थान: हनीट्रैप में फंसा अलवर का मंगत सिंह, ISI के लिए जासूसी करते समय गिरफ्तार
30mm की पथरी हो या गांठ हो बरसों` पुरानी ये देसी साग कर देगा जड़ से साफ। डॉक्टर भी रह गए हैरान
दिल्ली के प्रदूषण से निपटने में आप भी बन सकते हैं हिस्सेदार, सरकार लाई 'इनोवेशन चैलेंज', जानें कैसे दे सकते हैं आइडिया