-धरती से जुड़ाव और परंपराओं के सम्मान का महापर्व हरेला : चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने हरेला पर्व पर शिक्षिकाओं और मातृशक्ति को पौधे भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने सभी से ‘एक पौधा मां के नाम’ और ‘एक पौधा धरती मां के नाम’ रोपने का संकल्प कराया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने हरेला पर्व को उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति का महत्वपूर्ण लोकपर्व बताते हुए कहा कि हरेला पर्व, हरियाली और नई फसल के आगमन का प्रतीक है। हरेला पर्व, पर्यावरण जागरूकता का आंदोलन है। यदि हर नागरिक एक-एक पौधा रोपे और उसका पालन-पोषण अपने बच्चों की तरह करे, तो धरती फिर से हरी-भरी हो सकती है। हमारी संस्कृति में प्रकृति को देवता माना गया है और हरेला पर्व इस भावना को और भी सशक्त करता है।
उन्होंने कहा कि आज जब पृथ्वी पर वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले रही है, तब हरेला जैसे प्रकृति काे समर्पित पर्वों की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। हरेला पर्व हमें स्मरण कराता है कि प्रकृति केवल उपयोग की वस्तु नहीं है, वह हमारी मां है। उसकी रक्षा करना हमारा धर्म है।
स्वामी ने कहा कि प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जागृत कर हम आने वाले कल को सुरक्षित और हरा-भरा कर सकते हैं। उन्हाेंने कहा कि आइए, हम सब मिलकर हरेला को हरित जीवन और हरित भविष्य की ओर एक पवित्र पहल बनाएं। हरेला मनाएं,पौधे लगाएं,धरती को हरियाली से सजाएं।
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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
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