नई दिल्ली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिंदी फ़िल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक प्रार्थनापत्र दिया गया है। उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म पर दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को आज ही चुनौती दी गई है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को दिए गए प्रार्थनापत्र में कहा गया है कि उदयपुर फाइल्स जैसी फ़िल्में समाज में नफ़रत और विभाजन को बढ़ावा देती हैं। इसके प्रचार-प्रसार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल हो सकती है। पत्र में आगे लिखा गया है कि हमारा देश सदियों से गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक रहा है, जहां हिंदू-मुस्लिम एक साथ रहते आए हैं। ऐसी फ़िल्मों से देश की सांप्रदायिक एकता को गंभीर ख़तरा उत्पन्न हो सकता है। यह फ़िल्म पूर्णतः घृणा पर आधारित है और इसके प्रदर्शन से देश में शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
सरकार को यह भी स्मरण कराया गया है कि नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान के चलते भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले ही बहुत बदनामी हो चुकी है, जिस कारण भारत सरकार को राजनयिक स्तर पर स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था कि भारत सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान करता है। साथ ही नूपुर शर्मा को बीजेपी प्रवक्ता के पद से हटाना पड़ा था। इन्हीं वजहों से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को आंशिक सुधार मिला। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस फ़िल्म के निर्माता अमित जानी का अतीत और वर्तमान दोनों ही भड़काऊ गतिविधियों से भरा हैं। फ़िल्म में कई काल्पनिक बातें दिखाई गई हैं, जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। इसलिए इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जाए।
(Udaipur Kiran) /मोहम्मद ओवैस
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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद
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