सवाईमाधोपुर, 22 सितंबर . रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के खण्डार रेंज में एक बाघ (टी-2312) की मौत हो गई. टेरिटोरियल फाइट में वह बुरी तरह घायल हो गया था. इसी से उसकी मौत हुई है. तीन साल के इस बाघ के शव को नाका राजबाग लाया गया, दोपहर 12.30 बजे पोस्टमॉर्टम किया गया. इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया.
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के डीएफओ रामानंद भाकर ने बताया कि रविवार सुबह नाका परिया के वनकर्मी गऊ घाटी में गश्त कर रहे थे. इस दौरान उन्हें बाघ का शव मिला. वनकर्मियों ने शव की शिनाख्त टी-2312 के रूप में की. इसके बाद उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई. भाकर अन्य अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने मौका मुआयना किया. पोस्टमॉर्टम के लिए बाघ के शव को नाका राजबाग लाया गया. अमूमन एक बाघ की टैरेटरी (इलाका) 25 से 30 वर्ग किलोमीटर इलाके में होती है. इसमें वह स्प्रे (पेड़ों-झाड़ियों पर पेशाब कर) करके अपनी टेरिटरी बनाता है. एक बाघ के इलाके में दूसरा बाघ नहीं आ सकता है. एक-दूसरे के इलाके में जाने पर बाघों के बीच लड़ाई होती है. लड़ाई में जीतने वाले बाघ का उस इलाके पर कब्जा हो जाता है. दूसरा बाघ इलाका छोड़कर चला जाता है.
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व करीब 1700 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला हुआ है. पूरा एरिया 10 जोन के अलग-अलग भागों में बंटा हुआ. इसमें टाइगर सफारी होती है. हर जोन में एक बड़ा वन क्षेत्र आता है. हर जोन का अपना एक राजा है. बाघ अकेला है तो अपने आप ही उस इलाके का मालिक हो जाता है. वरना दूसरे बाघ से लड़कर वह अपने इलाके को जीतता है.
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/ रोहित
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