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धोखेबाज छगन भुजबल को हराओ- येवला में लोगों से माफी मांगते हुए भावुक दिखे शरद पवार

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान शरद पवार कई मौकों पर अपने पुराने साथियों को लेकर भावुक होते दिखे हैं और जनता के सामने उन्हें धोखेबाज बताते हुए हराने की अपील करते नजर आए हैं। ऐसे ही एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान शरद पवार ने छगन भुजबल को धोखेबाज बताते हुए हराने की अपील की। शरद पवार ने कहा कि अपने आकाओं को धोखा देने वाले भुजबल येवला के लोगों से वोट मांगने आएंगे और यह तय करना आपके ऊपर है कि आप ऐसे व्यक्ति का समर्थन करेंगे या नहीं। येवला में राकांपा (एसपी) ने माणिकराव शिंदे को भुजबल के खिलाफ मैदान में उतारा है।
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छगन भुजबल को हराने की अपील
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में पिछले साल बगावत के बाद शरद पवार ने अपने पूर्व विश्वासपात्र छगन भुजबल के येवला निर्वाचन क्षेत्र में मंगलवार को अपनी पहली रैली को संबोधित किया और 2019 के चुनावों में "गलत उम्मीदवार" देने के लिए लोगों से माफी मांगी। शरद पवार ने मतदाताओं से "विश्वासघाती" को हराने की भावुक अपील की, जो पिछले साल जुलाई में भुजबल के अजित पवार के साथ जाने से उन्हें लगी गहरी चोट को दर्शाता है।
छगन भुजबल को लेकर किए कई दावे
राकांपा (एसपी) प्रमुख ने खुलासा किया कि राकांपा में फूट के बाद भुजबल उनके घर पहुंचे और उनके व अजित पवार के बीच सुलह कराने की पेशकश की, लेकिन वह दोबारा कभी नहीं आए। शरद पवार ने कहा कि भुजबल की कमियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष से लेकर उपमुख्यमंत्री तक कई अहम पद सौंपे गए, बावजूद इसके उन्होंने राजनीतिक शालीनता की सभी सीमाएं लांघ दीं और उन्हें धोखा दिया। शरद पवार ने कहा कि भुजबल का उन्हें और दिवंगत बालासाहेब ठाकरे समेत अपने राजनीतिक गुरुओं को धोखा देने का इतिहास रहा है। उन्होंने मतदाताओं से इस दलबदलू नेता को सबक सिखाने का आह्वान किया। राकांपा (एसपी) प्रमुख ने कहा, "भुजबल ने बालासाहेब ठाकरे का मजाक उड़ाया, जिन्होंने उन्हें मुंबई का महापौर बनाया था। जब उन्हें शिवसैनिकों के हमलों का डर था, जो ठाकरे पर कटाक्ष से आहत थे, तो मैंने उनकी रक्षा की। बाद में जब उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, तो हमने उन्हें उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह हार गए।"

शरद पवार ने बताई अपनी गलती
शरद पवार ने कहा कि जब भुजबल विधानसभा चुनाव हार गए, तो उन्होंने उन्हें विधान परिषद में भेजा और यहां तक कि उन्हें विपक्ष का नेता भी बनाया। उन्होंने कहा कि जब मैंने राकांपा की स्थापना की, तो मैंने भुजबल को पार्टी का पहला प्रदेश अध्यक्ष बनाया। मैंने उन्हें येवला से मैदान में उतारकर सरकार में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मंत्री पद सौंपने की गलती की। शरद पवार ने कहा कि भुजबल ने कुछ गलतियां कीं और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन खुद को सही करने का आश्वासन देने के बाद उन्हें सरकार में वापस ले लिया गया। उन्होंने कहा, ''जब उन पर (भुजबल पर) कुछ आरोप लगने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा, तो मैं उनके साथ खड़ा रहा और यहां तक कि उन्हें महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में एक पद भी दिया।''

कभी सुलह कराने की कोशिश की थी
शरद पवार ने कहा कि जब राकांपा दो हिस्सों में बंट गई, तो भुजबल उनके आवास पर आए और उनके व उनके भतीजे अजित पवार के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की। राकांपा (एसपी) प्रमुख ने कहा, "उन्होंने मध्यस्थता की पेशकश की और चले गए, लेकिन तब से वापस नहीं लौटे। उन्होंने अगले दिन (मंत्री पद की) शपथ भी ले ली।"


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