आपका यह कथन बहुत गहरी बात कहता है — “ध्यान से समाधि की ओर तभी चलेंगे, जब द्वंद्वमुक्त होंगे।” आइए इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
द्वंद्व क्या है?द्वंद्व का मतलब होता है विरोधाभासी विचार, भावनाएं और मानसिक उलझनें। जैसे- सुख-दुख, प्रेम-घृणा, जीत-हार, उम्मीद-निराशा। जब हमारा मन इन द्वंद्वों से घिरा होता है, तब वह शांति और स्थिरता से दूर रहता है।
ध्यान और समाधि का महत्वध्यान वह प्रक्रिया है जो हमें अपने मन की भीड़ से अलग करती है। जब मन शुद्ध और स्थिर हो जाता है, तभी हम गहरी अवस्था यानी समाधि में पहुंच पाते हैं। समाधि वह अवस्था है जहां सब कुछ एकाकार हो जाता है, मन पूर्ण शून्यता और परम शांति में होता है।
द्वंद्वमुक्ति कैसे संभव है?द्वंद्वमुक्त होने का मतलब है अपने मन को हर तरह के द्वैत या विरोधी भावों से मुक्त करना। इसके लिए:
-
स्वयं का निरीक्षण करें: जब भी द्वंद्व आए, उसे पहचानें, उसका विश्लेषण करें और उससे खुद को अलग करें।
-
सर्वदा एकाग्र रहें: मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना सीखें।
-
स्वीकार करें और छोड़ दें: जो चीजें नियंत्रण से बाहर हैं, उन्हें स्वीकार करके छोड़ देना सीखें।
-
सकारात्मक सोच अपनाएं: नकारात्मक द्वंद्वों को सकारात्मकता से बदलने का अभ्यास करें।
ध्यान तभी सफल होगा और समाधि प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा, जब मन द्वंद्वमुक्त और शुद्ध हो। द्वंद्वमुक्ति के बिना मन में स्थिरता नहीं आ सकती और बिना स्थिरता के गहन ध्यान की अवस्था संभव नहीं।
इसलिए कहा गया है — “ध्यान से समाधि की ओर तभी चलेंगे, जब द्वंद्वमुक्त होंगे।” यह एक मार्गदर्शक सिद्धांत है जो बताता है कि आंतरिक शांति और स्थिरता के बिना आध्यात्मिक उन्नति संभव नहीं।
अगर आप चाहें, तो मैं आपको द्वंद्वमुक्ति के कुछ अभ्यास और ध्यान की विधि भी बता सकता हूँ जो आपके इस रास्ते को सरल बनाएंगे।
You may also like
'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर भारत एकजुट, पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति : समिक भट्टाचार्य
पहली बार भारत ने पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर तक एयर स्ट्राइक किया : अमित शाह
मप्र में एक और लव जिहाद का मामला, इंदौर में हिंदू लड़कियों को झांसे में लेकर मुस्लिम युवकों ने किया दुष्कर्म
कामायनी एक्सप्रेस में बम की सूचना, एक घंटे खंडवा में खड़ी रही ट्रेन, नहीं मिली कोई संदिग्ध चीज
शादी की पहली रात: सुहागरात का महत्व और ध्यान रखने योग्य बातें