राजस्थान न्यूज डेस्क !!! गुरुद्वारा का शाब्दिक अर्थ गुरु का द्वार होता है जो सिक्ख धर्म के लोगों के लिए पूजा और मोक्ष का स्थल है। गुरुद्वारों को विश्वभर में ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के अलावा इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि ये सभी समुदायों के लोगों का समानता और सम्मान से स्वागत करते हैं। गुरुद्वारों को पूरी दुनिया में बिना धर्म, जाति और विविधता के मानवता की सेवा के लिए जाना जाता है।
गुरुद्वारा सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामुदायिक सेवा, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देता है। कोरोना के समय जब सारी दुनिया अपनी जान बचाने में व्यस्त थी, उस कठिन समय में भी गुरूद्वारे वो जगह बने जहां लोगों को रहने, खाने और इलाज की सभी सेवाएं मिल रही थी। भारत विविधताओं वाला एक धर्म निरपेक्ष देश है जहां लोग मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों का समानता से सम्मान करते हैं, इसका एक उदाहरण हाल ही में अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में देखा गया था। अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोग शामिल हुए थे। हमारे अयोध्या राम मंदिर के वीडियो को अपार प्यार देने और देखने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद, अगर आप भी राम मंदिर के दर्शन और घूमने से जुडी हर जानकारी जानना चाहते हैं तो वीडियो के डिस्क्रिप्शन में आपको इसका लिंक मिल जायेगा। दुनिया में अनेकों गुरूद्वारे हैं जो अपनी किसी ना किसी विशेषता के चलते प्रसिद्ध है और राजस्थान में भी कई ऐसे गुरूद्वारे हैं जो अपने ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और मान्यताओं के चलते सारे देश में मशहूर हैं, तो आज हम बात करेगें राजस्थान के 5 प्रमुख गुरुद्वारों के बारे में
गुरुद्वारा श्री चरण कमल साहिब जयपुर: राजस्थान के जयपुर में स्थित यह गुरुद्वारा प्रदेश में सिख धर्म का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है। इस गुरुद्वारे का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सिख गुरु नानक देव जी अपनी पश्चिम धार्मिक यात्रा के दौरान यहां रुके थे। यहाँ गुरु नानक देव जी के चरण कमल विराजित होने के कारण इसे 'चरण कमल साहिब' के नाम से जाना जाता है। गुरुद्वारा श्री चरण कमल साहिब का निर्माण उस स्थान पर किया गया है जहाँ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने जयपुर की अपनी यात्रा के दौरान विश्राम और प्रवास किया था। जयपुर के इस सबसे मशहूर गुरूद्वारे को अपने शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण के लिए सारे देश में जाना जाता है। यहाँ दरबार साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को विराजित किया गया है, जहाँ श्रद्धालु आकर अरदास और कीर्तन का आनंद लेते हैं। इस गुरुदवारे में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और उनके संदेशों को जीवित रखने के साथ लंगर और कई सामाजिक कार्य किये जाते हैं।
बुड्ढा जोहड़ गुरुद्वारा गंगानगर: राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में स्थित यह गुरुद्वारा सारे भारत में सिख धर्म के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक है। इस गुरूद्वारे का इतिहास मुगलकाल और उसके संघर्ष से संबंधित होने के चलते यह सिख समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस ऐतिहासिक गुरूद्वारे का निर्माण सत्रह सौ चालीस में घटी एक महत्वपूर्ण घटना के कारण किया गया, जिसमें मस्सा रंगहर के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अ-पवित्रीकरण का दोषी पाए जाने पर सुक्खा सिंह और मेहताब सिंह द्वारा न्याय किया गया था। यह ऐतिहासिक निर्णय एक सिख जत्थेदार बूढ़ा सिंहजी ने कराया था जिसके चलते इस गुरूद्वारे को बुड्ढा जोहड़ नाम मिला। यहाँ निस्वार्थ सेवा, लंगर की परंपरा और गुरु ग्रंथ साहिब के कीर्तन के माध्यम से सिख समुदाय अपने धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को संवारता है। बुड्ढा जोहड़ गुरुद्वारा न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए आस्था और शांति का प्रतीक है।
गुरु नानक दरबार साहिब पुष्कर: सिख समुदाय के प्रथम गुरू नानकदेव के चलते अजमेर के पुष्कर स्थित गुरु नानक दरबार साहिब का सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है। सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव साहब ने दक्षिण की यात्रा से लौटते हुए पुष्कर तीर्थ के दर्शन किए थे और उनके बाद सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह भी पुष्कर आए थे. यही वजह है कि देश और दुनियाभर में सिख समुदाय के लोगों में पुष्कर के प्रति गहरी आस्था है. इस दौरान उन्होंने पुष्कर में समय बिताया और स्थानीय लोगों को अपने उपदेशों से प्रेरित किया। उनकी उपस्थिति ने इस स्थान को पवित्र बना दिया और इसे सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया। यहाँ स्थित पुष्कर झील और ब्रह्मा मंदिर जैसे स्थानों के साथ गुरु नानक दरबार साहिब इस पवित्र शहर के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा देते हैं।
श्री गुरुद्वारा सिंह सभा जोधपुर: श्री गुरुद्वारा सिंह सभा की स्थापना सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा जोधपुर में सिख समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में की गई थी। राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर में श्री गुरुद्वारा सिंह सभा के गुरुद्वारे में आज भी वह पलंग संग्रहित है जिस पर सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज विश्राम किया करते थे. महान योद्धा, चिन्तक, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता व खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का आध्यात्मिक नगरी से काफी जुड़ाव रहा है. जोधपुर में स्थापित ऐतिहासिक पलंग साहिब का यह पलंग फकीर पीर बुद्धूशाह ने हिजरी सन ग्यारह सौ दस में श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज को भेंट किया था और श्री गोविंद सिंह जी महाराज इस पलंग पर विश्राम करते थे. प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में सिख दर्शनार्थी यहां इसके दर्शन करने और मत्था टेकने आते हैं।
गुरुद्वारा श्री कलगीधर बागोर साहिब भीलवाड़ा: गुरुद्वारा श्री कलगीधर बागोर साहिब का इतिहास सिख धर्म के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी उत्तर यात्रा के दौरान भीलवाड़ा का दौरा किया था और यहाँ पर 17 दिन का प्रवास किया था। इस दौरान बागोर के तत्कालीन शासक शिव प्रताप सिंह जी ने गुरुजी से उत्तराधिकार युद्ध में मदद मांगी थी। जिसके बाद गुरु की सहायता से उन्होंने अपने राज्य के अंतर्युद्ध को समाप्त किया और गुरु के सम्मान में अपने महल के एक हिस्से में तीन मंजिला गुरुद्वारा श्री कलगीघर बागोर साहिब का निर्माण करवाया।
तो दोस्तों ये थे राजस्थान के सबसे मशहूर गुरूद्वारे, वीडियो देखने के लिए धन्यवाद, ऐसे ही ओर वीडियो देखने के लिए ऊपर दी गयी प्लेलिस्ट पर क्लिक करें और जाने राजस्थान के मंदिर, दरगाह, चर्च, किले और पर्यटक स्थलों के बारे में, अगर आपको यह वीडियो पसंद आया तो प्लीज कमेंट कर अपनी राय दें, चैनल को सब्सक्राइब करें, वीडियो को लाइक करें, और अपने फ्रेंड्स और फेमिली के साथ इसे जरूर शेयर करें।
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