राजस्थान की मौजूदा राज्य सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए पिछली कांग्रेस सरकार की सभी 33 योजनाओं को फ्लैगशिप प्रोग्राम्स की सूची से बाहर कर दिया है। इस निर्णय से कई जनकल्याणकारी और लोकप्रिय योजनाएं प्रभावित होंगी, जिनमें पेंशन योजनाएं, देवनारायण छात्रा स्कूटी योजना, और स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस जैसी योजनाएं शामिल हैं।
क्या हैं फ्लैगशिप योजनाएं?
फ्लैगशिप योजनाएं वे होती हैं जिन्हें सरकार विशेष प्राथमिकता देती है और जिनके लिए बजट, क्रियान्वयन और निगरानी का अलग से विशेष प्रबंध होता है। इन्हें राज्य की छवि और विकास मॉडल के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इन योजनाओं को सूची से बाहर करने का मतलब है कि अब उन्हें पहले जैसी प्राथमिकता और संसाधन नहीं मिलेंगे।
किन प्रमुख योजनाओं को किया गया बाहर?
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देवनारायण छात्रा स्कूटी योजना: पिछड़ी जातियों की छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए स्कूटी देने की योजना थी।
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स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस: मेधावी विद्यार्थियों को विदेशों में पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता दी जाती थी।
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सोशल सिक्योरिटी पेंशन योजनाएं: वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांग पेंशन के तहत लाखों लाभार्थियों को सहायता मिलती थी।
सरकार का तर्क
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह फैसला योजनाओं की पुनर्समीक्षा और प्राथमिकता निर्धारण के तहत लिया गया है। सरकार का कहना है कि वह नई योजनाओं को लेकर आ रही है, जो अधिक पारदर्शी, प्रभावी और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप होंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “नई सरकार की प्राथमिकताएं बदलती हैं। यह निर्णय योजनाओं के मूल्यांकन और फंडिंग की दक्षता को देखते हुए लिया गया है। जिन योजनाओं की उपयोगिता बनी हुई है, उन्हें नए प्रारूप में फिर से लागू किया जा सकता है।”
विपक्ष का हमला
वहीं इस फैसले पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बयान जारी कर कहा, “यह जनविरोधी निर्णय है। सरकार ने जनता से जुड़ी योजनाओं को सिर्फ राजनीतिक वजहों से खत्म किया है। इससे गरीब, छात्र और महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित होंगे।”
जनता में चिंता और भ्रम
इस फैसले के बाद लाभार्थियों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है। कई लोगों को अब यह चिंता सता रही है कि उन्हें मिलने वाली सहायता बंद हो जाएगी या उन्हें दोबारा आवेदन करना होगा।
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