उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक ऐसा रहस्यमयी पेड़ है, जो अपनी अद्भुत विशेषताओं की वजह से दुनियाभर के लोगों को हैरान कर देता है। इस पेड़ के बारे में सुनकर आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि एक पेड़ इंसानों जैसी हरकत कर सकता है। लेकिन यह सच है कि इस पेड़ को छूते ही वह इंसानों की तरह गुदगुदी होने लगती है और इसकी शाखाएं हिलने लगती हैं। यही कारण है कि इसे ‘हंसने वाला पेड़’ भी कहा जाता है।
यह पेड़ खास तौर पर कालाढूंगी के जंगलों में पाया जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम ‘रेंडिया डूमिटोरम’ (Rendia dumetorum) है। इसे देखकर कोई भी इंसान इसे साधारण पेड़ नहीं समझ सकता क्योंकि इसकी हरकतें इंसानों की तरह लगती हैं। इस पेड़ के तने को जब कोई छूता या रगड़ता है, तो यह गुदगुदी की प्रतिक्रिया देता है, जैसे कोई इंसान गुदगुदी होने पर हँसने लगता है। इस पेड़ की शाखाएं और पत्ते तेज़ी से हिलने लगते हैं, जिससे ऐसा लगता है जैसे पेड़ हँस रहा हो या खुशी व्यक्त कर रहा हो।
इस पेड़ की खासियत को देखने और समझने के लिए देश-विदेश से पर्यटक नैनीताल के इस जंगल में आते हैं। लोग अपने हाथों से इस पेड़ को गुदगुदी करते हैं और उसकी हरकतों को देखकर दंग रह जाते हैं। यह पेड़ स्थानीय लोगों के बीच भी काफी प्रसिद्ध है, और इसे लेकर कई कहानियां और लोककथाएं भी प्रचलित हैं।
वैज्ञानिक इस पेड़ की इस विचित्र प्रतिक्रिया की वजह जानने के लिए शोध कर रहे हैं। उन्होंने पाया है कि पेड़ के अंदर कुछ ऐसे तंत्र होते हैं जो स्पर्श या रगड़ने पर पेड़ की कोशिकाओं में परिवर्तन लाते हैं, जिससे शाखाओं में कंपन होता है। यह कंपन इतना तेज़ होता है कि पेड़ की शाखाएं हिलने लगती हैं। हालांकि इस गुदगुदी की प्रक्रिया इंसानों के गुदगुदी से अलग होती है, लेकिन प्रतिक्रिया देखने में बिल्कुल समान लगती है।
यह पेड़ न केवल अपने व्यवहार की वजह से खास है, बल्कि यह पर्यावरण और जैव विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। नैनीताल के इस जंगल में कई दुर्लभ और अनोखे जीव-जंतु पाए जाते हैं, और यह पेड़ वहां की जैव विविधता को समृद्ध करता है।
इसके अलावा, स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पेड़ के स्पर्श से मानसिक तनाव कम होता है और यह एक तरह से प्राकृतिक चिकित्सा का काम करता है। इसलिए कई लोग इसे छूकर अपनी थकान दूर करने और मन को शांति देने के लिए जंगल आते हैं।
यद्यपि वैज्ञानिक अभी भी इस पेड़ की गुदगुदी की प्रक्रिया को पूरी तरह से समझने में लगे हैं, लेकिन इतना स्पष्ट है कि यह पेड़ प्रकृति की एक अनोखी देन है जो इंसानों को चकित कर देता है। इसकी खासियत यह भी है कि यह अकेला ऐसा पेड़ नहीं है जो अपनी शाखाओं को हिला सकता है, लेकिन इस तरह गुदगुदी की प्रतिक्रिया देने वाला पेड़ बहुत कम जगहों पर पाया जाता है।
इस पेड़ के बारे में रोचक तथ्य यह भी है कि पर्यटक इसके साथ तस्वीरें लेना पसंद करते हैं और सोशल मीडिया पर इसे साझा करके इस रहस्यमयी पेड़ की लोकप्रियता बढ़ाते हैं। इसके आसपास के इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय प्रशासन भी प्रयासरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस अद्भुत पेड़ को देख सकें और प्रकृति के इस अनोखे चमत्कार का अनुभव कर सकें।
अंततः, यह पेड़ हमें प्रकृति की अद्भुतता और रहस्यों की याद दिलाता है। हमें इस तरह के रहस्यों का सम्मान करना चाहिए और इनके संरक्षण के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। नैनीताल के इस रहस्यमयी ‘हंसने वाले पेड़’ ने साबित कर दिया है कि प्रकृति में अभी भी ऐसे कई रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें जानने और समझने की जरूरत है।
इस पेड़ की कहानी न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से दिलचस्प है, बल्कि यह हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता का भी पाठ पढ़ाती है। अगर आप भी नैनीताल घूमने जाएं, तो इस अनोखे पेड़ को देखने जरूर जाएं और इसके साथ गुदगुदी कर इसे हंसाते हुए देखें—यह अनुभव आपको जीवन भर याद रहेगा।
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