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पानीपत में शिक्षिका ने संतान न होने के तनाव में आत्महत्या की

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पानीपत में शिक्षिका की आत्महत्या का मामला

पानीपत समाचार, एक शिक्षिका ने संतान न होने के तनाव में आत्महत्या की: हरियाणा के पानीपत में एक दुखद घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया है। धूप सिंह नगर की निवासी प्रियंका ने शादी के चार साल बाद भी मां न बन पाने के कारण फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।


यह घटना न केवल प्रियंका के परिवार के लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़ा सदमा बन गई है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। यह घटना मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबावों पर गंभीर सवाल उठाती है।


तनाव ने प्रियंका की जिंदगी ली

प्रियंका एक निजी स्कूल में शिक्षिका थीं, जबकि उनके पति एक कंपनी में कार्यरत थे। परिवार के सदस्यों के अनुसार, शादी के चार साल बीत जाने के बाद भी संतान न होने के कारण प्रियंका गहरे मानसिक तनाव में थीं।


यह तनाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने शनिवार शाम को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने आसपास के लोगों को चौंका दिया, क्योंकि प्रियंका को एक खुशमिजाज और मेहनती शिक्षिका के रूप में जाना जाता था।


घटना का विवरण

शनिवार को प्रियंका और उनके पति दोनों अपनी-अपनी ड्यूटी पर थे। छुट्टी के बाद प्रियंका घर लौटीं और कुछ समय बाद परिवार के साथ एक मंदिर में चल रहे कार्यक्रम में शामिल हुईं।


हालांकि, परिवार मंदिर में रुक गया, प्रियंका घर वापस लौट गईं। घर पहुंचने के बाद उन्होंने आत्महत्या का यह खौफनाक कदम उठाया। जब परिवार लौटे, तो उन्हें प्रियंका की यह दुखद स्थिति का सामना करना पड़ा। तुरंत पुलिस को सूचित किया गया।


पुलिस की कार्रवाई

चांदनीबाग थाना पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लिया। जांच अधिकारी मनोज ने बताया कि रविवार को शव का पोस्टमार्टम किया गया और इसे परिजनों को सौंप दिया गया।


पुलिस प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का कारण संतान न होने से जुड़ा तनाव मान रही है। मामले की गहन जांच जारी है ताकि अन्य संभावित कारणों का पता लगाया जा सके।


मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता

प्रियंका की यह दुखद घटना समाज में संतान न होने से जुड़े सामाजिक दबावों और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी को उजागर करती है। परिवार और समाज का समर्थन, साथ ही समय पर काउंसलिंग, ऐसी त्रासदियों को रोकने में मदद कर सकती है।


इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या हम अपने आसपास के लोगों की मानसिक स्थिति को समझने में पर्याप्त संवेदनशील हैं। लोगों को सलाह दी जाती है कि तनाव के समय परिवार या विशेषज्ञों से मदद लें।


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