लाइव हिंदी खबर :- पुराणों के अनुसार, मां सरस्वती का प्रकट होना बसंत पंचमी के दिन हुआ था। इस दिन को लेकर एक प्राचीन कथा प्रचलित है। विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन मां सरस्वती की पूजा, वंदना और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कहा जाता है कि मां सरस्वती लोगों को विद्या और कला में दक्ष बनाती हैं। यह दिन भारत के छह मौसमों में से एक 'बसंत ऋतु' के आगमन का भी प्रतीक है।
पौराणिक कथा का सार
कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो एक दिन वे सृष्टि का अवलोकन करने निकले। उन्होंने देखा कि चारों ओर अजीब सी शांति छाई हुई थी। यह देखकर ब्रह्मा जी को लगा कि सृष्टि में कुछ कमी है। उन्होंने विचार किया और अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे एक दिव्य ज्योति के रूप में देवी प्रकट हुईं।
उनके हाथ में वीणा थी, और वह महादेवी सरस्वती थीं। ब्रह्मा जी ने उनसे कहा कि वे इस सृष्टि को संवाद करने की शक्ति दें। देवी ने वीणा बजाकर और विद्या देकर लोगों को गुणवान बनाया। तभी से उन्हें कला और शिक्षा की देवी माना जाने लगा।
बसंत ऋतु का आगमन
हिंदू मान्यता के अनुसार, बसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव भी है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में 'ऋतूनां कुसुमाकरः' कहकर बसंत को अपनी विभूति माना है। इस ऋतु में पीले रंग का विशेष महत्व है। लोग इस दिन पीले कपड़े पहनकर लोक गीत और नृत्य करते हैं, जिससे बसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है।
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