Next Story
Newszop

भारत पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन चलाने के लिए तैयार: हरित गतिशीलता की दिशा में एक बड़ी छलांग

Send Push

भारत रेलवे ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए देश की पहली हाइड्रोजन-चालित ट्रेन के शुभारंभ की तैयारी पूरी कर ली है, जिससे भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जो हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक को अपनाते हैं। यह पहल पर्यावरण के अनुकूल और स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाली रेलवे प्रणाली की दिशा में बड़ी छलांग है।यह नई हाइड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जिंद और सोनीपत के बीच दौड़ेगी, जो करीब 360 किलोमीटर के मार्ग को दैनिक दो राउंड ट्रिप में कवर करेगी। इस ट्रेन में 10 कोच होंगे और यह 2,600 से अधिक यात्रियों को लेकर चल सकेगी। ट्रेन का इंजन 1,200 हॉर्सपावर का होगा, जो इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली और लंबी हाइड्रोजन ट्रेन बनाता है।हाइड्रोजन ट्रेन के काम करने का तरीका बेहद पर्यावरण मित्र है—यह फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग करती है जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक प्रतिक्रया से बिजली बनती है और केवल पानी व ताप उत्सर्जित होता है। इस कारण यह ट्रेन शून्य कार्बन उत्सर्जन करती है, जिससे वायु प्रदूषण में भारी कमी आएगी।भारतीय रेलवे की इस परियोजना के अंतर्गत "Hydrogen for Heritage" अभियान के तहत कुल 35 हाइड्रोजन ट्रेनों का नेटवर्क विकसित किया जाएगा। हर ट्रेन की लागत लगभग 80 करोड़ रुपए आंकी गई है, वहीं संबंधित मार्गों के लिए 70 करोड़ रुपए तक का निवेश हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर किया जाएगा। जिंद में ही देश का सबसे बड़ा हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन बनाया गया है, जहां से यह ट्रेन ईंधन प्राप्त करेगी।इस पहल से भारतीय रेलवे का पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा, ऊर्जा दक्षता बढ़ेगी और शोरगुल में भी कमी आएगी। यह ट्रेन गैर-विद्युतीकृत और पहाड़ी मार्गों के लिए खासतौर पर उपयोगी साबित होगी। भारतीय रेल के इन्ट्रिग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई में इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस तकनीकी उपलब्धि को भारत के लिए एक भविष्य उन्मुख और सतत विकास की दिशा में बड़ी सफलता बताया है। इस ट्रेन के चलने से भारत न केवल ग्रीन मोबिलिटी के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा, बल्कि विश्व स्तर पर भी हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी के नेतृत्व में अपनी जगह मजबूत करेगा।
Loving Newspoint? Download the app now