इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना के प्रॉपगैंडा विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) ने एक बार फिर धमकी जारी की है। आईएसपीआर के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी बाहरी आक्रमण का "कड़ा और कठोर" जवाब दिया जाएगा। उनका यह बयान तालिबान के साथ जारी तनाव और भारत के त्रिशूल सैन्य अभ्यास के बीच आया है। हालांकि, अपने बयान में अहमद शरीफ चौधरी ने भारत या अफगानिस्तान का खुलकर नाम नहीं लिया। उन्होंनें इन दोनों देशों को पाकिस्तान के दुश्मन के नाम से संबोधित किया।   
   
पाकिस्तान-अफगानिस्तान में गंभीर तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस महीने कई बार सीमा पर गंभीर सैन्य झड़पें हुई हैं। इन झड़पों में दोनों ही पक्षों के सैकड़ों लोग मारे गए हैं। इसके बाद से ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा बंद है। दोनों पक्ष तुर्की के शहर इस्तांबुल में वार्ता भी कर रहे हैं, लेकिन इसका कुछ परिणाम निकलना नहीं दिख रहा है। इस्लामाबाद ने अपनी ओर से मांग की है कि तालिबान आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल करने से रोके। हालांकि, तालिबान ने अफगान धरती से आतंकवादियों को अपनी गतिविधियां संचालित करने देने के आरोप से इनकार किया है।
   
पाकिस्तानी सेना की तारीफों के पुल बांधे
खैबर-पख्तूनख्वा (केपी) के एबटाबाद जिले के विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षाविदों के साथ आज एक बैठक को संबोधित करते हुए, आईएसपीआर के महानिदेशक ने जोर देकर कहा, "सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी बाहरी आक्रमण का कड़ा और कठोर जवाब दिया जाएगा।" लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने विस्तार से बताया कि "पाकिस्तान ने आतंकवाद और फित्ना अल ख़्वारिज के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए हैं।"
   
टीटीपी के आतंकवादियों को धमकाया
फित्ना अल-ख़्वारिज एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े आतंकवादियों के लिए करती है। नवंबर 2022 में सरकार के साथ इस समूह के नाजुक युद्धविराम समझौते के समाप्त होने के बाद से, देश में, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में, आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिनमें ज़्यादातर पुलिस, क़ानून प्रवर्तन कर्मियों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया जाता है।
   
पाक-अफगान तनाव पर चर्चा और शहीदों को श्रद्धांजलि दी
बयान में आगे बताया गया है कि बैठक के दौरान, लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने पाक-अफगान तनाव और मरक-ए-हक सहित वर्तमान सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने आगे कहा कि "उपस्थित छात्रों और शिक्षकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।" पाकिस्तानी सेना ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले से लेकर 10 मई को ऑपरेशन बन्यानुम मरसूस के समापन तक भारत के साथ संघर्ष की अवधि को "मरक-ए-हक" नाम दिया है।
  
पाकिस्तान-अफगानिस्तान में गंभीर तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस महीने कई बार सीमा पर गंभीर सैन्य झड़पें हुई हैं। इन झड़पों में दोनों ही पक्षों के सैकड़ों लोग मारे गए हैं। इसके बाद से ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा बंद है। दोनों पक्ष तुर्की के शहर इस्तांबुल में वार्ता भी कर रहे हैं, लेकिन इसका कुछ परिणाम निकलना नहीं दिख रहा है। इस्लामाबाद ने अपनी ओर से मांग की है कि तालिबान आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल करने से रोके। हालांकि, तालिबान ने अफगान धरती से आतंकवादियों को अपनी गतिविधियां संचालित करने देने के आरोप से इनकार किया है।
पाकिस्तानी सेना की तारीफों के पुल बांधे
खैबर-पख्तूनख्वा (केपी) के एबटाबाद जिले के विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षाविदों के साथ आज एक बैठक को संबोधित करते हुए, आईएसपीआर के महानिदेशक ने जोर देकर कहा, "सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी बाहरी आक्रमण का कड़ा और कठोर जवाब दिया जाएगा।" लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने विस्तार से बताया कि "पाकिस्तान ने आतंकवाद और फित्ना अल ख़्वारिज के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए हैं।"
टीटीपी के आतंकवादियों को धमकाया
फित्ना अल-ख़्वारिज एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े आतंकवादियों के लिए करती है। नवंबर 2022 में सरकार के साथ इस समूह के नाजुक युद्धविराम समझौते के समाप्त होने के बाद से, देश में, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में, आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिनमें ज़्यादातर पुलिस, क़ानून प्रवर्तन कर्मियों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया जाता है।
पाक-अफगान तनाव पर चर्चा और शहीदों को श्रद्धांजलि दी
बयान में आगे बताया गया है कि बैठक के दौरान, लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने पाक-अफगान तनाव और मरक-ए-हक सहित वर्तमान सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने आगे कहा कि "उपस्थित छात्रों और शिक्षकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।" पाकिस्तानी सेना ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले से लेकर 10 मई को ऑपरेशन बन्यानुम मरसूस के समापन तक भारत के साथ संघर्ष की अवधि को "मरक-ए-हक" नाम दिया है।
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