वॉशिंगटन: ओमान में परमाणु समझौते पर होने वाली बैठक से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि ईरान को परमाणु रखने का कोई अधिकार नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर होने वाली महत्वपूर्ण बैठक से पहले कहा कि ईरान के पास "परमाणु हथियार नहीं हो सकते हैं।" डोनाल्ड ट्रंप ने एयरफोर्स वन में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि "मैं चाहता हूं कि ईरान एक अद्भुत, महान और खुशहाल देश बने। लेकिन उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते।" डोनाल्ड ट्रंप का ये बयान उस वक्त आया है, जब उनके मिडिल ईस्ट दूत स्टीव विटकॉफ के ओमान में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची के साथ बैठक होने वाली है।इससे पहले ईरान ने कहा था कि वह शनिवार को अमेरिका के साथ उच्च स्तरीय परमाणु वार्ता को "एक वास्तविक मौका" दे रहा है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि यदि वार्ता नाकाम हो गई, तो वे बमबारी करेंगे। यानि आज होने वाली बैठक अगर नाकाम हो जाती है तो अमेरिका, ईरान पर हमला शुरू कर सकता है। अमेरिकी समय के मुताबिक सोमवार को ट्रंप ने हैरान करते हुए एक घोषणा में कहा था कि वाशिंगटन और तेहरान, ओमान में वार्ता शुरू करेंगे। आपको बता दें कि ओमान एक खाड़ी राज्य है और वो पहले भी पश्चिम और इस्लामी गणराज्य के बीच मध्यस्थता कर चुका है। इजरायल के खिलाफ सख्त स्टैंड ले सकता है ईरानवहीं ईरानी मीडिया ने बैठक से पहले सूत्रों के हवाले कहा है कि ईरान अब परमाणु कूटनीति को एक नए मोड़ पर ले जाने की तैयारी में है। Iran Nuances की रिपोर्ट के मुताबिक, तेहरान अमेरिकी प्रशासन पर 'परमाणु हथियार मुक्त मिडिल ईस्ट' की नीति को दोबारा अपनाने का दबाव बनाएगा। इस नीति की मांग के पीछे ईरान की मंशा है, कि इजरायल के परमाणु कार्यक्रम पर भी अंतरराष्ट्रीय निगरानी और जवाबदेही तय हो। सूत्रों ने बताया है कि ईरान कूटनीतिक वार्ताओं में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाएगा, कि यदि अमेरिका वास्तव में क्षेत्र में स्थिरता चाहता है, तो उसे सिर्फ ईरान को टारगेट करने की बजाय पूरे क्षेत्र को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में पहल करनी होगी। यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब अमेरिका और ईरान के बीच JCPOA को लेकर बातचीत फिर से गर्माने लगी है। ऐसे में ईरान का यह रुख न सिर्फ अमेरिका के लिए चुनौती बन सकता है, बल्कि इजरायल के लिए भी नई कूटनीतिक जटिलताएं खड़ी कर सकता है। क्या ईरान पर हमला शुरू करेगा अमेरिका?ओमान में होने वाली इस बैठक के कामयाब होने की संभावना काफी कम है और व्हाइट हाउस ने भी इस बात को स्वीकार किया है। व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को ट्रंप की धमकी दोहराते हुए कहा, कि वह चाहते हैं कि ईरान को पता चल जाए कि यदि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने के लिए सहमत नहीं हुआ तो उसे "बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी"। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा कि ट्रंप प्रशासन की "रेड लाइन" ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है और उसके परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना शुरुआती मांग है। लेकिन उन्होंने सुझाव दिया, कि वाशिंगटन "समझौता खोजने के अन्य तरीकों" के लिए खुला रहेगा। ईरान के परमाणु हथियार के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक साथ हैं और अगर ये हमला होता है, तो दोनों देश साथ मिलकर ईरान के ऊपर बमबारी शुरू कर सकते हैं।आपको बता दें कि 2015 में बराक ओबामा के प्रशासन ने कई ग्लोबल लीडर्स, जैसे चीन, फ्रांस और रूस जैसे देशों के साथ मिलकर ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था। लेकिन 2018 में ट्रंप ने एकतरफा 2015 के समझौते को रद्द कर दिया है। वहीं इस साल दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने फिर से समझौते की बात शुरू की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ईरान और अमेरिका के बीच वाकई समझौता संभव है? बाइडेन प्रशासन ने भी ईरान के साथ समझौता करने की कोशिश की थी लेकिन इसके लिए ईरान की पहली शर्त ही ये थी कि अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से जो नुकसान हुआ है, अमेरिका उसकी भरपाई करेगा। ईरान ने अरबों डॉलर का मुआवजा मांगा है, जो जाहिर तौर पर अमेरिका नहीं देगा। ओमान में ईरान और अमेरिका की बैठकईरानी सरकारी मीडिया ने कहा कि वार्ता का नेतृत्व ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची और अमेरिकी दूत विटकॉफ करेंगे, जिसमें ओमानी विदेश मंत्री बद्र अल-बुसैदी मध्यस्थ होंगे। ईरानी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका को इस्लामिक गणराज्य के वार्ता में शामिल होने के फैसले का सम्मान करना चाहिए। प्रवक्ता एस्माईल बाघई ने एक्स पर पोस्ट किया, "हम दूसरे पक्ष के इरादे का आकलन करने और इस शनिवार को समाधान निकालने का इरादा रखते हैं।" उन्होंने कहा कि "ईमानदारी और स्पष्ट सतर्कता के साथ, हम कूटनीति को एक वास्तविक मौका दे रहे हैं।" ईरानी उप विदेश मंत्री माजिद तख्त-ए रवांची ने ईरान की अर्ध-सरकारी समाचार एजेंसी ISNA से कहा कि "अमेरिकी पक्ष की धमकियों और धमकी के बिना, समझौते पर पहुंचने की अच्छी संभावना है।" उन्होंने आगे कहा कि "हम किसी भी तरह की धमकी और जबरदस्ती को खारिज करते हैं।"
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