सीतामढ़ीः बिहार के सीतामढ़ी जिले के बथनाहा विधानसभा का चुनाव 1969 से हो रहा है। इसी विस क्षेत्र से आते है सूर्यदेव राय भी, जो यहां से जीत कर मंत्री बने थे। इनके नाम चुनाव से जुड़े कई रिकॉर्ड है। उस रिकार्ड को अबतक कोई तोड़ नही सका है। राय पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर, तो अंतिम चुनाव राजद प्रत्याशी के तौर पर जीते थे। पहले यह विस क्षेत्र सामान्य हुआ करता था। वर्ष 2010 में एससी के लिए सुरक्षित कर दिया गया, जो अब तक बरकरार है।
करीब 24 वर्षों तक विधायक रहने का रिकॉर्ड
विधायक और बाद में मंत्री बने सूर्यदेव राय का उक्त विस क्षेत्र में लंबे अरसे तक दबदबा रहा है। वे करीब 24 वर्षों तक बथनाहा के विधायक रहे। राय पहली बार वर्ष- 1977 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। 3560 मतों के अंतर से जनता पार्टी के ललितेश्वर शाही को शिकस्त दिए थे। उस चुनाव में 128157 में से 69070 वोटरों ने 141 बूथों पर वोटिंग में हिस्सा लिया था। 52 फीसदी मतदान हुआ था। 80 के चुनाव में कांग्रेस के कैप्टन रामनिवास को पराजित किए थे। इस हार का बदला 85 के चुनाव में कैप्टन रामनिवास ने राय से चुकता कर लिया था। सूर्यदेव राय 17580 वोट से हारे थे।
कांग्रेस का दामन छोड़ जनता दल में शामिल
1990 में सूर्यदेव राय कांग्रेस का दामन छोड़ जनता दल से चुनाव मैदान में उतरे और 42432 वोट से जीते थे। सबसे अधिक मतों से जितने का रिकार्ड कायम किए थे। वह रिकार्ड अब तक बना हुआ है। उक्त चुनाव में उनकी टक्कर निर्दलीय राजेंद्र सिंह से हुई थी। 1995 में राय जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और समता पार्टी के इंदल सिंह नवीन को मात दिए थे। वर्ष -2000 के चुनाव में राय जनता दल को छोड़ कर राजद का लालटेन थाम लिए थे। वे टिकट पाने और जीतने में भी सफल रहे थे। यानी 90, 95 और 2000 के चुनाव में लगातार जीतकर राय ने जीत की हैट्रिक मारी थी।
विस चुनाव हारे, विधान पार्षद बने
वर्ष 2000 के चुनाव में सूर्यदेव राय ने समता पार्टी के राजकिशोर सिंह कुशवाहा को शिकस्त दी थी। वैसे हारने के बावजूद कुशवाहा विधान पार्षद बने थे। तब जदयू में थे। 2005 में लोजपा के टिकट पर नगीना देवी जीती थी। यानी नगीना देवी ने ही सूर्यदेव की जीत का पहिया रोका था। नगीना देवी ने फरवरी- 2005 और नवंबर -2005 के चुनावों में पूर्व विधायक राय को लगातार दो बार करारी शिकस्त दी थी। दोनों राय राजद के प्रत्याशी थे। गौरतलब है कि राय सूबे के सहकारिता मंत्री रह चुके है।
2010 में बथनाहा विस हुआ सुरक्षित सीट
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में बथनाहा विधानसभा क्षेत्र को सुरक्षित घोषित कर दिया गया। तब से अब तक सुरक्षित ही है। इससे पूर्व मेजरगंज सुरक्षित सीट घोषित था। वर्ष 2010 में बथनाहा (सुरक्षित) से पहली बार भाजपा के दिनकर राम जीते थे। उन्होंने लोजपा प्रत्याशी ललिता देवी को पराजित किया था। 2015 के चुनाव में एक बार फिर दिनकर राम को जीत का सेहरा पहनने का मौका मिला था। 2020 के चुनाव में इंजीनियर अनिल राम ने कांग्रेस के संजय राम को पराजित किया था।
फूट डालकर काटी थी चांदी
कहा जाता है कि जिस कद्दावर नेता ने उक्त दोनों पूर्व विधायकों और कुशवाहा समाज में फूट डाला था, उसकी चांदी रही थी। 1969 में इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर राम बहादुर सिंह (कुशवाहा) जीते थे। उन्हें 25581 वोट मिले थे। 1972 में 25762 वोट प्राप्त कर निर्वाचित हुए थे फतुरी सिंह। अन्य चुनावों में इस समाज के कई नेता जैसे राजकिशोर सिंह कुशवाहा, इंदल सिंह नवीन और अन्य चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2010 में यह क्षेत्र सुरक्षित ही हो गया।
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2005
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2010
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2015
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2020
दो बार कुशवाहा जाति के प्रत्याशी जीते
बथनाहा विस क्षेत्र में कुशवाहा जाति की जनसंख्या प्रथम स्थान पर है। इस क्षेत्र से इस समाज के मात्र दो विधायक चुने गये। वो थे फतुरी सिंह और राम बहादुर सिंह। दोनों को मात्र एक-एक बार विधायक चुने जाने का मौका मिल सका था। इस समाज के नेता को पीछे को रखा जाए और राजनीति में भागीदारी न के बराबर हो, इसके लिए बड़ा तिकड़म हुआ था। जानकार लोग कहते है कि बथनाहा विस क्षेत्र का एक कद्दावर नेता ने कुशवाहा समाज के बढ़ते राजनीति की पहिया को रोकने के लिए इस समाज में ही फूट डाल दिया था। समाज दो खेमों में बंट गया था। एक खेमा का बागडोर फतुरी सिंह के हाथ में था, तो दूूसरा खेमा था राम बहादुर सिंह के साथ। इसका परिणाम बुरा निकला। यानी उक्त दोनों नेता फिर दूसरी बार न कभी खुद चुनाव जीत सके और न इस समाज का कोई दूसरा नेता ही जीता।
वर्ष 1952 से लेकर 2020 के चुनाव में बथनाहा सीट से विजयी उम्मीदवार
चुनाव परिणाम 2020
करीब 24 वर्षों तक विधायक रहने का रिकॉर्ड
विधायक और बाद में मंत्री बने सूर्यदेव राय का उक्त विस क्षेत्र में लंबे अरसे तक दबदबा रहा है। वे करीब 24 वर्षों तक बथनाहा के विधायक रहे। राय पहली बार वर्ष- 1977 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। 3560 मतों के अंतर से जनता पार्टी के ललितेश्वर शाही को शिकस्त दिए थे। उस चुनाव में 128157 में से 69070 वोटरों ने 141 बूथों पर वोटिंग में हिस्सा लिया था। 52 फीसदी मतदान हुआ था। 80 के चुनाव में कांग्रेस के कैप्टन रामनिवास को पराजित किए थे। इस हार का बदला 85 के चुनाव में कैप्टन रामनिवास ने राय से चुकता कर लिया था। सूर्यदेव राय 17580 वोट से हारे थे।
कांग्रेस का दामन छोड़ जनता दल में शामिल
1990 में सूर्यदेव राय कांग्रेस का दामन छोड़ जनता दल से चुनाव मैदान में उतरे और 42432 वोट से जीते थे। सबसे अधिक मतों से जितने का रिकार्ड कायम किए थे। वह रिकार्ड अब तक बना हुआ है। उक्त चुनाव में उनकी टक्कर निर्दलीय राजेंद्र सिंह से हुई थी। 1995 में राय जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और समता पार्टी के इंदल सिंह नवीन को मात दिए थे। वर्ष -2000 के चुनाव में राय जनता दल को छोड़ कर राजद का लालटेन थाम लिए थे। वे टिकट पाने और जीतने में भी सफल रहे थे। यानी 90, 95 और 2000 के चुनाव में लगातार जीतकर राय ने जीत की हैट्रिक मारी थी।
विस चुनाव हारे, विधान पार्षद बने
वर्ष 2000 के चुनाव में सूर्यदेव राय ने समता पार्टी के राजकिशोर सिंह कुशवाहा को शिकस्त दी थी। वैसे हारने के बावजूद कुशवाहा विधान पार्षद बने थे। तब जदयू में थे। 2005 में लोजपा के टिकट पर नगीना देवी जीती थी। यानी नगीना देवी ने ही सूर्यदेव की जीत का पहिया रोका था। नगीना देवी ने फरवरी- 2005 और नवंबर -2005 के चुनावों में पूर्व विधायक राय को लगातार दो बार करारी शिकस्त दी थी। दोनों राय राजद के प्रत्याशी थे। गौरतलब है कि राय सूबे के सहकारिता मंत्री रह चुके है।
2010 में बथनाहा विस हुआ सुरक्षित सीट
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में बथनाहा विधानसभा क्षेत्र को सुरक्षित घोषित कर दिया गया। तब से अब तक सुरक्षित ही है। इससे पूर्व मेजरगंज सुरक्षित सीट घोषित था। वर्ष 2010 में बथनाहा (सुरक्षित) से पहली बार भाजपा के दिनकर राम जीते थे। उन्होंने लोजपा प्रत्याशी ललिता देवी को पराजित किया था। 2015 के चुनाव में एक बार फिर दिनकर राम को जीत का सेहरा पहनने का मौका मिला था। 2020 के चुनाव में इंजीनियर अनिल राम ने कांग्रेस के संजय राम को पराजित किया था।
फूट डालकर काटी थी चांदी
कहा जाता है कि जिस कद्दावर नेता ने उक्त दोनों पूर्व विधायकों और कुशवाहा समाज में फूट डाला था, उसकी चांदी रही थी। 1969 में इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर राम बहादुर सिंह (कुशवाहा) जीते थे। उन्हें 25581 वोट मिले थे। 1972 में 25762 वोट प्राप्त कर निर्वाचित हुए थे फतुरी सिंह। अन्य चुनावों में इस समाज के कई नेता जैसे राजकिशोर सिंह कुशवाहा, इंदल सिंह नवीन और अन्य चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2010 में यह क्षेत्र सुरक्षित ही हो गया।
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2005
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2010
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2015
बथनाहा विधानसभा चुनाव परिणाम 2020
दो बार कुशवाहा जाति के प्रत्याशी जीते
बथनाहा विस क्षेत्र में कुशवाहा जाति की जनसंख्या प्रथम स्थान पर है। इस क्षेत्र से इस समाज के मात्र दो विधायक चुने गये। वो थे फतुरी सिंह और राम बहादुर सिंह। दोनों को मात्र एक-एक बार विधायक चुने जाने का मौका मिल सका था। इस समाज के नेता को पीछे को रखा जाए और राजनीति में भागीदारी न के बराबर हो, इसके लिए बड़ा तिकड़म हुआ था। जानकार लोग कहते है कि बथनाहा विस क्षेत्र का एक कद्दावर नेता ने कुशवाहा समाज के बढ़ते राजनीति की पहिया को रोकने के लिए इस समाज में ही फूट डाल दिया था। समाज दो खेमों में बंट गया था। एक खेमा का बागडोर फतुरी सिंह के हाथ में था, तो दूूसरा खेमा था राम बहादुर सिंह के साथ। इसका परिणाम बुरा निकला। यानी उक्त दोनों नेता फिर दूसरी बार न कभी खुद चुनाव जीत सके और न इस समाज का कोई दूसरा नेता ही जीता।
वर्ष 1952 से लेकर 2020 के चुनाव में बथनाहा सीट से विजयी उम्मीदवार
चुनाव परिणाम 2020
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