पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ। बिहार के चुनावों में यह अब तक का सर्वाधिक मतदान है। राज्य में वोटिंग इतना अधिक होने के पीछे के कारणों को जानने की कोशिश करें तो इसके पीछे छठ पर्व और बिहार के प्रवासियों का संबंध बड़े कारण के रूप में सामने आता है। इस बार बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर छठ पर्व पर बिहार में अपने घर आए थे और वे चुनाव के कारण यहीं रुके रहे।
देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले बिहार के प्रवासी मजदूर आम तौर पर चुनाव के दौरान खास तौर पर वोट देने के लिए बिहार नहीं आते हैं। लेकिन इस बार छठ पर्व और पहले चरण के मतदान में ज्यादा दिनों का अंतर न होने से उन्होंने उत्साह के साथ अपने मताधिकार का उपयोग किया। यह रिकॉर्ड मतदान का एक अहम कारण माना जा रहा है।
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ने चिंता में डालाबिहार के प्रवासी मजदूर छठ पूजा पर अक्सर बिहार में अपने घर आते हैं। इस बार चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) किए जाने के कारण भी कई प्रवासी अपने गृह राज्य लौटे। कुछ राजनीतिक बयानों में नागरिकता की स्थिति को मतदाता सूची से जोड़ा गया। इससे चिंतित होकर भी कई प्रवासी मजदूर अपने घर चले आए।
बिहार की 2022-23 की जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक करीब 2.7 करोड़ बिहार के मूल निवासी राज्य के बाहर रहते हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार यह संख्या 74.5 लाख से अधिक थी। हालांकि कुछ अनधिकृत रिपोर्टों में यह संख्या एक से तीन करोड़ तक बताई गई है।
देश में हैं करोड़ों प्रवासी मजदूरहालांकि चुनाव में प्रवासी मतदाताओं की भूमिका को लेकर कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है लेकिन स्थानीय अनुमानों के अनुसार लाखों की संख्या में प्रवासी अपने घर लौटे। चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं, जिनमें से सभी प्रवासी नहीं हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों की कुल संख्या 4.1 करोड़ थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी 'माइग्रेशन इन इंडिया' रिपोर्ट के अनुसार 28.9 प्रतिशत लोग रोजगार के कारण अपने गृह राज्य से बाहर जाते हैं।
रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले इन प्रवासियों ने किसी एक दल को वोट नहीं दिया होगा। उनका वोट उनकी जाति, समुदाय, उम्मीदवार के प्रदर्शन और स्थानीय मुद्दों पर निर्भर करेगा। इसलिए उन्होंने सत्ताधारी एनडीए या विपक्षी महागठबंधन या फिर जन सुराज पार्टी जैसे नए विकल्प को चुना होगा। हालांकि स्थानीय मुद्दे और रोजगार व विकास के वादे उनके वोट को प्रभावित कर सकते थे।
अंतिम चरण में 22 सीटों पर होगा मतदानचुनाव आयोग ने पहले चरण में 64.66 प्रतिशत मतदान को बिहार के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक मतदान बताया है। इससे पहले सन 2000 में बिहार विधानसभा चुनाव में 62.57 प्रतिशत मतदान हुआ था और 1998 के लोकसभा चुनाव में 64.6 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। बिहार के 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को मतदान हुआ। इस चरण में 3.75 करोड़ से अधिक मतदाता थे। बाकी 22 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले बिहार के प्रवासी मजदूर आम तौर पर चुनाव के दौरान खास तौर पर वोट देने के लिए बिहार नहीं आते हैं। लेकिन इस बार छठ पर्व और पहले चरण के मतदान में ज्यादा दिनों का अंतर न होने से उन्होंने उत्साह के साथ अपने मताधिकार का उपयोग किया। यह रिकॉर्ड मतदान का एक अहम कारण माना जा रहा है।
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ने चिंता में डालाबिहार के प्रवासी मजदूर छठ पूजा पर अक्सर बिहार में अपने घर आते हैं। इस बार चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) किए जाने के कारण भी कई प्रवासी अपने गृह राज्य लौटे। कुछ राजनीतिक बयानों में नागरिकता की स्थिति को मतदाता सूची से जोड़ा गया। इससे चिंतित होकर भी कई प्रवासी मजदूर अपने घर चले आए।
बिहार की 2022-23 की जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक करीब 2.7 करोड़ बिहार के मूल निवासी राज्य के बाहर रहते हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार यह संख्या 74.5 लाख से अधिक थी। हालांकि कुछ अनधिकृत रिपोर्टों में यह संख्या एक से तीन करोड़ तक बताई गई है।
देश में हैं करोड़ों प्रवासी मजदूरहालांकि चुनाव में प्रवासी मतदाताओं की भूमिका को लेकर कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है लेकिन स्थानीय अनुमानों के अनुसार लाखों की संख्या में प्रवासी अपने घर लौटे। चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं, जिनमें से सभी प्रवासी नहीं हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों की कुल संख्या 4.1 करोड़ थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी 'माइग्रेशन इन इंडिया' रिपोर्ट के अनुसार 28.9 प्रतिशत लोग रोजगार के कारण अपने गृह राज्य से बाहर जाते हैं।
रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले इन प्रवासियों ने किसी एक दल को वोट नहीं दिया होगा। उनका वोट उनकी जाति, समुदाय, उम्मीदवार के प्रदर्शन और स्थानीय मुद्दों पर निर्भर करेगा। इसलिए उन्होंने सत्ताधारी एनडीए या विपक्षी महागठबंधन या फिर जन सुराज पार्टी जैसे नए विकल्प को चुना होगा। हालांकि स्थानीय मुद्दे और रोजगार व विकास के वादे उनके वोट को प्रभावित कर सकते थे।
अंतिम चरण में 22 सीटों पर होगा मतदानचुनाव आयोग ने पहले चरण में 64.66 प्रतिशत मतदान को बिहार के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक मतदान बताया है। इससे पहले सन 2000 में बिहार विधानसभा चुनाव में 62.57 प्रतिशत मतदान हुआ था और 1998 के लोकसभा चुनाव में 64.6 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। बिहार के 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को मतदान हुआ। इस चरण में 3.75 करोड़ से अधिक मतदाता थे। बाकी 22 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
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