पटना: बिहार के इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदान का रिकॉर्ड कायम हो गया। राज्य में दो चरणों में हुए मतदान का कुल आंकड़ा करीब 67 प्रतिशत पर पहुंच गया। इस वोटिंग ने कैसे इतिहास रच दिया? क्या किसी के पास 'अलादीन का चिराग' है जिसने उसे रगड़ा और 'जिन्न' ने आकर उसकी रिकॉर्ड वोटिंग की तमन्ना पूरी कर दी? वास्तव में 'महिला स्वरोजगार योजना' की तीली से 'अलादीन का चिराग' चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रोशन कर डाला था। इसके बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी 'माई बहिन मान योजना' के जरिए अपना चिराग रोशन कर लिया। इन रोशनियों के बीच बिहार की आधी आबादी मतदान के लिए उमड़ पड़ी। महिला मतदाताओं का बढ़-चढ़कर मताधिकार का उपयोग करना बिहार में ऐतिहासिक वोटिंग का प्रमुख कारण हो सकता है।
बंपर वोटिंग का किसे मिलेगा फायदा? बिहार में विशेष रूप से महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड भागीदारी चुनाव का सबसे बड़ा आकर्षण बन गई। जमीनी रिपोर्टों और एग्जिट पोल के अनुमानों से संकेत यही मिल रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को रिकॉर्ड मतदान में सबसे बड़ा फायदा मिल सकता है। करीब सभी प्रमुख एग्जिट पोल ने एनडीए की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की है। एनडीए का दावा है कि परिणाम इन पूर्वानुमानों से भी बेहतर होंगे, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला मतदाताओं के बीच स्थायी लोकप्रियता को दिया जा रहा है। हालांकि विपक्ष का तर्क है कि अधिक मतदान लोगों की परिवर्तन की आकांक्षा का संकेत देता है। वास्तविक स्थिति 14 नवंबर को सामने आएगी, जब वोटों की गिनती होगी।
बिहार में इस बार 73 वर्षों में सर्वाधिक मतदान हुआ। दूसरे चरण के बाद चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार दो चरणों में कुल मतदान 66.91 प्रतिशत हुआ। यह 2020 के विधानसभा चुनाव के मतदान की तुलना में 9.62 प्रतिशत अधिक है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह आंकड़े अस्थायी हैं और डाक मतपत्रों और सेवा मतों को जोड़ने के बाद इनमें थोड़ी वृद्धि होगी।
वोटिंग करने में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे पहले चरण में 121 विधानसभा क्षेत्रों में 65.08% मतदान दर्ज किया गया। महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में काफी अधिक संख्या में मतदान किया। वोट डालने वालों में महिलाएं 69.04 प्रतिशत और पुरुष 61.56 प्रतिशत थे। यानी पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता 7.5 प्रतिशत अधिक थे। पहले चरण की 121 सीटों में से 56 में महिलाओं का मतदान पुरुषों से अधिक रहा। कई चुनाव क्षेत्रों, जैसे सिंघेश्वर (मधेपुरा), कुशेश्वरस्थान, गौरा बौरम, अलीनागर (दरभंगा), भोर, हथुआ (गोपालगंज),अलाउली (खगड़िया) में यह अंतर 8 प्रतिशत से अधिक था।
दूसरे चरण के चुनाव का सीट-वार महिला-पुरुष मतदान का डेटा अभी जारी नहीं किया गया है, लेकिन समग्र रुझान बताते हैं कि 74.03 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। पुरुषों ने 64.1 प्रतिशत मतदान किया। महिलाओं का मतदान पुरुषों की तुलना में करीब 10 प्रतिशत अधिक हुआ। दोनों चरणों में कुल करीब 2.51 करोड़ महिलाओं ने मतदान किया। पुरुष मतदाताओं का यह आंकड़ा करीब 2.47 करोड़ रहा। मतदान में करीब 440000 महिलाओं की अधिक भागीदारी रही। यानी प्रत्येक विधानसभा सीट पर पुरुषों की तुलना में औसत करीब 1800 अधिक महिलाएं मतदान केंद्रों पर पहुंचीं।
नीतीश बिहार की राजनीति के केंद्र में बरकरारचुनाव प्रचार जब शुरू हुआ था तब नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे इस स्थिति में बिहार की राजनीति के केंद्र में कैसे बने रहेंगे। हालांकि जैसे-जैसे चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा, उनके सहयोगियों के साथ विरोधियों ने भी स्वीकार किया कि वे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं। यहां तक कि बीजेपी, जिसने पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए अपने विकल्प खुले रखे थे, ने भी प्रचार के बीच ही यह साफ कर दिया कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जा रहा है।
महिलाओं का नीतीश पर भरोसा
जमीनी रिपोर्टों से पता चलता है कि महिलाओं के एक बड़े वर्ग में, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं में, नीतीश कुमार पर भरोसा बरकरार है। हालांकि मुस्लिम महिलाओं के एक वर्ग की राय इससे अलग है। महिला मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा एनडीए की योजनाओं की निरंतरता, स्थिरता और सुरक्षा के वादे से आश्वस्त दिखाई दिया।
ऐतिहासिक मतदान यही संकेत देता है कि एनडीए की पारंपरिक मतदाता बन चुकी महिलाएं पूरे जोश से मतदान के लिए घर से निकलीं। मतदाताओं ने बड़ी संख्या में मतदान सत्ता पक्ष के समर्थन में किया या परिवर्तन के लिए यह रहस्य 14 नवंबर को उजागर होगा, जब मतगणना के बाद नतीजे घोषित होंगे।
बंपर वोटिंग का किसे मिलेगा फायदा? बिहार में विशेष रूप से महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड भागीदारी चुनाव का सबसे बड़ा आकर्षण बन गई। जमीनी रिपोर्टों और एग्जिट पोल के अनुमानों से संकेत यही मिल रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को रिकॉर्ड मतदान में सबसे बड़ा फायदा मिल सकता है। करीब सभी प्रमुख एग्जिट पोल ने एनडीए की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की है। एनडीए का दावा है कि परिणाम इन पूर्वानुमानों से भी बेहतर होंगे, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला मतदाताओं के बीच स्थायी लोकप्रियता को दिया जा रहा है। हालांकि विपक्ष का तर्क है कि अधिक मतदान लोगों की परिवर्तन की आकांक्षा का संकेत देता है। वास्तविक स्थिति 14 नवंबर को सामने आएगी, जब वोटों की गिनती होगी।
बिहार में इस बार 73 वर्षों में सर्वाधिक मतदान हुआ। दूसरे चरण के बाद चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार दो चरणों में कुल मतदान 66.91 प्रतिशत हुआ। यह 2020 के विधानसभा चुनाव के मतदान की तुलना में 9.62 प्रतिशत अधिक है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह आंकड़े अस्थायी हैं और डाक मतपत्रों और सेवा मतों को जोड़ने के बाद इनमें थोड़ी वृद्धि होगी।
वोटिंग करने में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे पहले चरण में 121 विधानसभा क्षेत्रों में 65.08% मतदान दर्ज किया गया। महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में काफी अधिक संख्या में मतदान किया। वोट डालने वालों में महिलाएं 69.04 प्रतिशत और पुरुष 61.56 प्रतिशत थे। यानी पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता 7.5 प्रतिशत अधिक थे। पहले चरण की 121 सीटों में से 56 में महिलाओं का मतदान पुरुषों से अधिक रहा। कई चुनाव क्षेत्रों, जैसे सिंघेश्वर (मधेपुरा), कुशेश्वरस्थान, गौरा बौरम, अलीनागर (दरभंगा), भोर, हथुआ (गोपालगंज),अलाउली (खगड़िया) में यह अंतर 8 प्रतिशत से अधिक था।
दूसरे चरण के चुनाव का सीट-वार महिला-पुरुष मतदान का डेटा अभी जारी नहीं किया गया है, लेकिन समग्र रुझान बताते हैं कि 74.03 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। पुरुषों ने 64.1 प्रतिशत मतदान किया। महिलाओं का मतदान पुरुषों की तुलना में करीब 10 प्रतिशत अधिक हुआ। दोनों चरणों में कुल करीब 2.51 करोड़ महिलाओं ने मतदान किया। पुरुष मतदाताओं का यह आंकड़ा करीब 2.47 करोड़ रहा। मतदान में करीब 440000 महिलाओं की अधिक भागीदारी रही। यानी प्रत्येक विधानसभा सीट पर पुरुषों की तुलना में औसत करीब 1800 अधिक महिलाएं मतदान केंद्रों पर पहुंचीं।
नीतीश बिहार की राजनीति के केंद्र में बरकरारचुनाव प्रचार जब शुरू हुआ था तब नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे इस स्थिति में बिहार की राजनीति के केंद्र में कैसे बने रहेंगे। हालांकि जैसे-जैसे चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा, उनके सहयोगियों के साथ विरोधियों ने भी स्वीकार किया कि वे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं। यहां तक कि बीजेपी, जिसने पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए अपने विकल्प खुले रखे थे, ने भी प्रचार के बीच ही यह साफ कर दिया कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जा रहा है।
महिलाओं का नीतीश पर भरोसा
जमीनी रिपोर्टों से पता चलता है कि महिलाओं के एक बड़े वर्ग में, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं में, नीतीश कुमार पर भरोसा बरकरार है। हालांकि मुस्लिम महिलाओं के एक वर्ग की राय इससे अलग है। महिला मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा एनडीए की योजनाओं की निरंतरता, स्थिरता और सुरक्षा के वादे से आश्वस्त दिखाई दिया।
ऐतिहासिक मतदान यही संकेत देता है कि एनडीए की पारंपरिक मतदाता बन चुकी महिलाएं पूरे जोश से मतदान के लिए घर से निकलीं। मतदाताओं ने बड़ी संख्या में मतदान सत्ता पक्ष के समर्थन में किया या परिवर्तन के लिए यह रहस्य 14 नवंबर को उजागर होगा, जब मतगणना के बाद नतीजे घोषित होंगे।
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