नई दिल्ली: अमेरिका की ओर से अन्य देशों पर ऊंचे टैरिफ लगाने से भारत में डंपिंग बढ़ने की आशंका है। केयरएज रेटिंग्स ने यह चेतावनी दी है। रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ऊंचे टैरिफ का कुछ क्षेत्रों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अमेरिका के टैरिफ का सीधा असर अलग-अलग क्षेत्रों पर अलग-अलग होगा। दवाओं पर कोई असर नहीं होगा। कारण है कि उन्हें अभी टैरिफ से छूट मिली हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, कृषि उत्पाद, रसायन और ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर भी ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन, रत्न और आभूषणों पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था। जबकि अमेरिका से 42.2 अरब डॉलर का सामान आयात हुआ था। भारत से अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात होने वाले सामानों में इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, दवाइयां, रत्न और आभूषण, कृषि उत्पाद, रसायन और ऑटोमोबाइल पार्ट्स शामिल हैं। अमेरिका भारत से आयात होने वाले सामानों पर औसतन 3.50% का टैरिफ लगाता है। इसे अब बढ़ाकर 26% कर दिया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ में बराबरी पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका दूसरे देशों की ओर से लगाए गए टैरिफ के बराबर टैरिफ लगाएगा, ताकि व्यापार में बराबरी हो। चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान... ट्रंप ने सबको रुलाया केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ से भारत के कुछ क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ सकता है। अमेरिका ने दूसरे देशों पर जो टैरिफ लगाए हैं, वे भारत के मुकाबले ज्यादा हैं। वियतनाम पर 46%, बांग्लादेश पर 37%, चीन पर 34%, ताइवान पर 32%, इंडोनेशिया पर 32% और पाकिस्तान पर 29% टैरिफ लगाया गया है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, यह भारत के लिए अच्छा है, क्योंकि इससे भारत के निर्यात क्षेत्र को फायदा हो सकता है। मंडराने लगा है भारत पर डंपिंंग का खतरा हालांकि, एक खतरा यह है कि अमेरिकी सरकार जिन देशों पर टैरिफ लगाए हैं, उनकी कंपनियां भारत में अपने उत्पादों की डंपिंग कर सकती हैं। यानी लागत से भी कम कीमत पर उन्हें भारत में बेचा जा सकता है। डंपिंग उन देशों से होती है जो भारत के साथ व्यापार में प्रतिस्पर्धा करते हैं। जब कोई देश या कंपनी अपने उत्पादों को विदेशी बाजार में घरेलू बाजार की तुलना में कम कीमत पर बेचती है तो उसे डंपिंग कहा जाता है। इससे घरेलू उद्योग को नुकसान होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के टैरिफ का असर अलग-अलग क्षेत्रों पर अलग-अलग होगा। दवाइयों पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि उन्हें अभी टैरिफ से छूट मिली हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, कृषि उत्पाद, रसायन और ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर भी ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन, रत्न और आभूषणों पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसका मतलब है कि रत्न और आभूषणों के कारोबार में थोड़ी मुश्किल आ सकती है। भारत-अमेरिका के बीच कितना कारोबार?2023-24 में भारत ने अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था। वहीं, अमेरिका से 42.2 अरब डॉलर का सामान आयात हुआ था। इससे पता चलता है कि भारत अमेरिका को ज्यादा सामान बेचता है और कम खरीदता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ में बराबरी पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका दूसरे देशों की ओर से लगाए गए टैरिफ के बराबर टैरिफ लगाएगा, ताकि व्यापार में बराबरी हो। ट्रंप ने 2 अप्रैल को एक कार्यकारी आदेश जारी किया। इसके अनुसार, सभी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर 10% से 50% तक अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। 10% का बेसलाइन शुल्क 5 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। बाकी का शुल्क 9 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। भारत पर अतिरिक्त शुल्क 26% है। केयरएज की रिपोर्ट चेतावनी है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत को डंपिंग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे भारतीय उद्योगों को नुकसान हो सकता है। इसके लिए भारत को पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिए।
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