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दिल्ली में टूटी दोस्ती क्या गुजरात में एक बार फिर कांग्रेस और AAP होंगे साथ? चर्चा शुरू

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अहमदाबाद: 2024 लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं हो पाया था, तो वहीं इसके बाद हुए दिल्ली चुनावों में दोनों दलों की राहें अलग हो गई थीं, लेकिन गुजरात में दोनों दलों की दोस्ती की चर्चा शुरू हो गई है। 2027 में गुजरात का गढ़ जीतने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी 'नूतन गुजरात-नूतन कांग्रेस' स्लोगन के तहत संगठन को नए सिरे गढ़ने में जुटे गए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने मई में संभावित विसावदर विधानसभा के उपचुनावों के लिए शंखनाद कर दिया है। कांग्रेस के अधिवेशन के बाद आप ने दो बड़े फैसले लिए हैं। पहला विसावदर में पार्टी सम्मेलन और नए सिर से लोकसभा प्रभारी नियुक्त किए हैं। आप ने कर दिया बड़ा दावा विसावदर में आप के सम्मेलन से उत्साहित दिल्ली के पूर्व मंत्री और गुजरात प्रभारी गोपाल राय ने दावा किया है कि बीजेपी आने वाले 70 सालों में भी विसावदर सीट नहीं जीत पाएगी। गुजरात के बीजेपी के दिग्गज नेता रहे केशुभाई पटेल का चुनाव क्षेत्र रहे विसावदर में आखिरी बार कमल 2007 में खिला था। पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। उप चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले आप ने पूर्व प्रदेश प्रमुख गोपाल इटालिया को यहां से कैंडिडेट घोषित किया है। इटालिया ने दावा किया है कि वह जब अपना नामांकन करेंगे तो गुजरात के इतिहास की सबसे बड़ी रैली के साथ नामांकन करेंगे। इसमें 1 लाख लोग होंगे। आप के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी का कहना है कि 2027 का चुनावा महाभारत से कम नहीं होगा। क्या है कांग्रेस का रुख? कांग्रेस जहां अपने 41 जिला अध्यक्षों के चयन के साथ बदलाव की ओर बढ़ रही है तो आप ने अपनी ताकत विसावदर में झोंक दी है। ऐसे में सवाल यह है कि इस सीट पर क्या आप और कांग्रेस का गठबंधन होगा या फिर दोनों दल उतरेंगे। इस सवाल पर आप नेताओं का कहना है कि पिछले उपचुनावों में पार्टी ने वाव सीट पर अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। गेनीबेन के सांसद बनने पर इस सीट चुनाव हुआ था। ऐसे में चूंकि विसावदर सीट आप विधायक के बीजेपी में जाने से खाली हुई है। ऐसे में कांग्रेस को इस सीट पर अपना वादा निभाना चाहिए। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं। सियासी हलकों में चर्चा है कि बीजेपी को मुश्किल में डालने के लिए कांग्रेस हाे सकता है कि प्रत्याशी न उतारे। सूत्र बताते हैं कि विसावदर के साथ मेहसाणा विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव हो सकता है। यहां से बीजेपी के विधायक करसनभाई सोलंकी का फरवरी में निधन हो गया था। 2022 में क्या रहा था परिणाम? 2022 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने विसावदर की सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी। पार्टी के उम्मीदवार भूपत भायाणी 7,063 वोटों से जीते थे। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आकर लड़े हर्षद रिबाडिया का दांव उलटा पड़ गया था। 2017 में बीजेपी को हराने वाले रिबाडिया आप से हार गए थे। उन्हें सिर्फ 59,147 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार को 16,963 वोट मिले थे। इस बार बीजेपी से भूपत भायााणी के लड़ने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन आप के द्वारा गोपाल इटालिया को उतारने से बीजेपी रणनीति में बदलाव कर सकती है। आप और कांग्रेस के वोट को मिलाने पर यह 50 फीसदी से आगे निकल 57 फीसदी हो जाता है।
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