नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से 2000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगने की अटकलें तेज थीं। इससे आम लोगों और दुकानदारों में काफी कन्फ्यूजन था। खासकर कर्नाटक में कुछ दुकानदारों को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ट्रांजैक्शन डेटा के आधार पर जीएसटी डिमांड नोटिस मिलने के बाद ये अटकलें और तेज हो गईं थीं। अब केंद्र सरकार ने इन सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया है। उसने इस मामले पर अपना रुख पूरी तरह से साफ कर दिया है।
सरकार ने साफ किया है कि वह 2000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने की कोई योजना नहीं बना रही है। वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में यह जानकारी दी। उसने बताया कि जीएसटी काउंसिल की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है।
सरकार ने दी ये जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा के मॉनसून सत्र में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि जीएसटी दरें और छूट जीएसटी काउंसिल तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल होते हैं। यह स्पष्टीकरण तब आया है जब कर्नाटक में कुछ छोटे दुकानदारों को यूपीआई लेनदेन डेटा के आधार पर लगभग 6,000 जीएटी डिमांड नोटिस मिले थे। इससे लोगों में भ्रम पैदा हो गया था।
वित्त राज्य मंत्री से सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार यूपीआई से 2000 रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव कर रही है। इसके जवाब में मंत्री ने सदन को जीएसटी लगने का पूरा तरीका बताया। मंत्री ने कहा, 'जीएसटी दरों और छूटों का फैसला जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के आधार पर होता है।' इसका मतलब है कि जब तक जीएसटी काउंसिल कोई सिफारिश नहीं करती, तब तक सरकार अपनी मर्जी से जीएसटी नहीं लगा सकती।
क्यों पैदा हो गया था कन्फ्यूजन?
दरअसल, कर्नाटक में व्यापारियों को जीएसटी के जो नोटिस मिले हैं, वे यूपीआई ट्रांजैक्शन के डेटा पर आधारित थे। इससे दुकानदारों में कन्फ्यूजन और चिंता फैल गई थी। सरकार के इस विषय पर स्पष्टीकरण के बाद अब व्यापारियों को राहत मिलेगी। उन्हें पता चल गया है कि यूपीआई से ट्रांजैक्शन करने पर उन्हें किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा। यूपीआई का पूरा नाम यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस है। यह भारत में विकसित तत्काल भुगतान प्रणाली है। मोबाइल फोन के जरिये यह दो बैंक खातों के बीच तुरंत पैसे भेजने और प्राप्त करने की सुविधा देती है। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के तहत तैयार किया है।
सरकार ने साफ किया है कि वह 2000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने की कोई योजना नहीं बना रही है। वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में यह जानकारी दी। उसने बताया कि जीएसटी काउंसिल की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है।
सरकार ने दी ये जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा के मॉनसून सत्र में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि जीएसटी दरें और छूट जीएसटी काउंसिल तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल होते हैं। यह स्पष्टीकरण तब आया है जब कर्नाटक में कुछ छोटे दुकानदारों को यूपीआई लेनदेन डेटा के आधार पर लगभग 6,000 जीएटी डिमांड नोटिस मिले थे। इससे लोगों में भ्रम पैदा हो गया था।
वित्त राज्य मंत्री से सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार यूपीआई से 2000 रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव कर रही है। इसके जवाब में मंत्री ने सदन को जीएसटी लगने का पूरा तरीका बताया। मंत्री ने कहा, 'जीएसटी दरों और छूटों का फैसला जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के आधार पर होता है।' इसका मतलब है कि जब तक जीएसटी काउंसिल कोई सिफारिश नहीं करती, तब तक सरकार अपनी मर्जी से जीएसटी नहीं लगा सकती।
क्यों पैदा हो गया था कन्फ्यूजन?
दरअसल, कर्नाटक में व्यापारियों को जीएसटी के जो नोटिस मिले हैं, वे यूपीआई ट्रांजैक्शन के डेटा पर आधारित थे। इससे दुकानदारों में कन्फ्यूजन और चिंता फैल गई थी। सरकार के इस विषय पर स्पष्टीकरण के बाद अब व्यापारियों को राहत मिलेगी। उन्हें पता चल गया है कि यूपीआई से ट्रांजैक्शन करने पर उन्हें किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा। यूपीआई का पूरा नाम यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस है। यह भारत में विकसित तत्काल भुगतान प्रणाली है। मोबाइल फोन के जरिये यह दो बैंक खातों के बीच तुरंत पैसे भेजने और प्राप्त करने की सुविधा देती है। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के तहत तैयार किया है।
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