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अमेरिका में बच्चों की छूट रही किताब पढ़ने की आदत, क्यों स्टूडेंट्स के दिमाग के लिए बनी ये बड़ी 'आफत'?

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US News: अमेरिका इन दिनों एक नए संकट में उलझता हुआ नजर आ रहा है, जो स्कूली छात्रों से जुड़ा हुआ है। देशभर के स्कूलों में अंग्रेजी की क्लास में बच्चों को पहले पढ़ने के लिए पूरी नोवल दी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। छात्रों को कम-कम से अंग्रेजी की नोवल पढ़ने को दी जा रही है। इसकी वजह से अमेरिकी स्टूडेंट्स के बीच पढ़ने की आदत कम हो रही है। ज्यादातर टीचर्स बच्चों को पढ़ने के लिए छोटे-छोटे पैराग्राफ दे रहे हैं। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, टीचर्स के बीच में ये धारणा बन गई है कि आजकल के बच्चों का किसी चीज पर ध्यान देने की समयसीमा काफी कम है। टीचर्स ये मानकर चल रहे हैं कि अगर बच्चों को छोटे पैराग्राफ या कंटेट पढ़ने को दिया जाएगा, तो वे मॉर्डन और डिजिटल वर्ल्ड के लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हो पाएंगे। उनके ऊपर स्टैंडर्ड टेस्ट तैयार करने का भी दबाव है। हालांकि, डर इस बात है कि कहीं ऐसा करने से स्टूडेंट्स के बीच पढ़ने की आदत खत्म ना हो जाए। मीडिया साक्षरता सिखाने पर दिया जा रहा जोर'नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स ऑफ इंग्लिश' ने 2022 में जारी किए गए अपने एक बयान में कहा था, "समय आ चुका है कि अंग्रेजी भाषा की शिक्षा के तौर पर किताब पढ़ने और निबंध-लेखन को बढ़ावा दिया जाए।" इस बयान को तैयार करने वाले लेखकों में से एक सेथ फ्रेंच ने कहा, "हमारा विचार किताबों को हटाने का नहीं है बल्कि मीडिया साक्षरता सिखाने और अन्य पाठ जोड़ने का है, जो छात्रों के लिए प्रासंगिक हों।" सेथ फ्रेंच खुद एक टीचर रह चुके हैं और अब अर्कांसस के बेंटोनविले हाई स्कूल में डीन हैं। उनकी क्लास में बच्चे नाटक, कविता और निबंध लेखन तो खूब करते थे, लेकिन सिर्फ एक ही किताब पढ़ते थे। वह कहते हैं, "आखिर में हमारे बहुत से छात्रों को इन किताबों से कुछ चैप्टर्स को पढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं होती है। उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था, लेकिन फिर भी उन्हें वह पढ़ना था।" क्यों जरूरी है बड़े पैराग्राफ या नोवल पढ़ना?छोटे और डिजिटल टेक्स्ट को पढ़ने की वकालत करना सभी को पसंद नहीं आ रहा है। डिस्लेक्सिया रिसर्च में स्पेशलाइजेशन रखने वाले यूसीएलए के न्यूरोसाइंटिस्ट मैरीएन वुल्फ का कहना है कि क्रिटिकल थिंकिंग, बैकग्राउंड नॉलेज और सहानुभूति के लिए गहनता के साथ पढ़ना बेहद जरूरी होता है। गहनता से पढ़ने से ही मस्तिष्क में सर्किट को मजबूती मिलती है। उन्होंने कहा, "हमें बच्चों को ये सीखने का मौका देना होगा कि वे कौन हैं, ऐसा चुटकियों में नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए भावनाओं को गहनता से समझना जरूरी है।"
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