नई दिल्ली: इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) कोलकाता बेंच ने गिफ्ट के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। यह मामला डॉ. चौधरी नाम के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जो यूएई में रहते हैं। उन्हें अपने जीजा से 80 लाख रुपये का गिफ्ट मिला था। इनकम टैक्स विभाग ने इस राशि को उनकी इनकम मानकर टैक्स लगाने की कोशिश की थी, लेकिन ITAT कोलकाता ने साफ कर दिया है कि रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट पर टैक्स नहीं लगता है।
डॉ. चौधरी ने अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया था, जिसमें उन्होंने 20 लाख रुपये की कुल इनकम और 5.5 लाख रुपये टैक्स दिखाया था। लेकिन, उनके बैंक खाते में कुछ बड़े लेन-देन देखकर इनकम टैक्स विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा। इसके लिए उन्हें से सेक्शन 131 के तहत नोटिस मिला। इसके बाद डॉ. चौधरी को सेक्शन 133(6) के तहत एक और नोटिस मिला।
एसेसमेंट ऑर्डरउन्होंने अपने बैंक खाते में हुए बड़े लेन-देन के लिए जरूरी कागजात जमा किए। लेकिन, विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और उनके मामले को सेक्शन 148 के तहत री-असेसमेंट के लिए चुना गया। इस पर डॉ. चौधरी को एक और ITR फाइल करना पड़ा। उन्हें सेक्शन 142(1) का नोटिस भी मिला, जिसका उन्होंने जवाब दिया। इसके बावजूद, टैक्स अधिकारी डॉ. चौधरी के जवाब से खुश नहीं हुए और उन्होंने सेक्शन 143(3) के साथ सेक्शन 147 के तहत एक असेसमेंट ऑर्डर जारी कर दिया।
इस ऑर्डर में टैक्स अधिकारी ने डॉ. चौधरी की कुल आय 1.5 करोड़ रुपये बताई और 69 लाख रुपये का टैक्स डिमांड भी थमा दिया। इस असेसमेंट ऑर्डर से परेशान होकर डॉ. चौधरी ने CIT(A) में अपील की। CIT(A) ने सभी सबूतों, आदेशों और डॉ. चौधरी की दलीलों को ध्यान से देखा। उन्होंने डॉ. चौधरी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया, लेकिन 55 लाख रुपये के गिफ्ट डीड से जुड़े एक मुद्दे को खारिज कर दिया।
रिश्तेदार की परिभाषा इसके बाद, डॉ. चौधरी ने ITAT कोलकाता में अपील दायर की और 4 नवंबर 2025 को वे यह केस पूरी तरह से जीत गए। ITAT कोलकाता ने अपने फैसले में साफ किया कि सेक्शन 56(2)(vii) के तहत जीजा रिश्तेदार की परिभाषा में आता है। इसलिए ऐसे रिश्तेदार से मिला कोई भी गिफ्ट, उनकी कुल इनकम में नहीं गिना जाएगा।
डॉ. चौधरी ने अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया था, जिसमें उन्होंने 20 लाख रुपये की कुल इनकम और 5.5 लाख रुपये टैक्स दिखाया था। लेकिन, उनके बैंक खाते में कुछ बड़े लेन-देन देखकर इनकम टैक्स विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा। इसके लिए उन्हें से सेक्शन 131 के तहत नोटिस मिला। इसके बाद डॉ. चौधरी को सेक्शन 133(6) के तहत एक और नोटिस मिला।
एसेसमेंट ऑर्डरउन्होंने अपने बैंक खाते में हुए बड़े लेन-देन के लिए जरूरी कागजात जमा किए। लेकिन, विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और उनके मामले को सेक्शन 148 के तहत री-असेसमेंट के लिए चुना गया। इस पर डॉ. चौधरी को एक और ITR फाइल करना पड़ा। उन्हें सेक्शन 142(1) का नोटिस भी मिला, जिसका उन्होंने जवाब दिया। इसके बावजूद, टैक्स अधिकारी डॉ. चौधरी के जवाब से खुश नहीं हुए और उन्होंने सेक्शन 143(3) के साथ सेक्शन 147 के तहत एक असेसमेंट ऑर्डर जारी कर दिया।
इस ऑर्डर में टैक्स अधिकारी ने डॉ. चौधरी की कुल आय 1.5 करोड़ रुपये बताई और 69 लाख रुपये का टैक्स डिमांड भी थमा दिया। इस असेसमेंट ऑर्डर से परेशान होकर डॉ. चौधरी ने CIT(A) में अपील की। CIT(A) ने सभी सबूतों, आदेशों और डॉ. चौधरी की दलीलों को ध्यान से देखा। उन्होंने डॉ. चौधरी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया, लेकिन 55 लाख रुपये के गिफ्ट डीड से जुड़े एक मुद्दे को खारिज कर दिया।
रिश्तेदार की परिभाषा इसके बाद, डॉ. चौधरी ने ITAT कोलकाता में अपील दायर की और 4 नवंबर 2025 को वे यह केस पूरी तरह से जीत गए। ITAT कोलकाता ने अपने फैसले में साफ किया कि सेक्शन 56(2)(vii) के तहत जीजा रिश्तेदार की परिभाषा में आता है। इसलिए ऐसे रिश्तेदार से मिला कोई भी गिफ्ट, उनकी कुल इनकम में नहीं गिना जाएगा।
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