पटना: कांग्रेस बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस रही है। पार्टी की नेता प्रियंका गांधी "हर घर अधिकार रैली" के साथ चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी। यह रैली मोतिहारी में होगी। रैली से पहले पटना में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। इन आयोजनों का मकसद महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी (RJD) पर दबाव बनाना है। कांग्रेस इस बार 70 से ज्यादा सीटें मांग रही है।
कांग्रेस पार्टी बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रियंका गांधी मोतिहारी में रैली के साथ चुनावी बिगुल फूकेंगी। इस रैली का नाम "हर घर अधिकार रैली" रखा गया है।
रैली के साथ चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने बताया कि यह रैली महागठबंधन के चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत होगी। हालांकि, रैली की तारीख अभी तय नहीं हुई है। इस रैली के साथ बिहार की चुनावी राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री होगी। इसे सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के सामने शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है।
मोतिहारी रैली से पहले कांग्रेस 24 सितंबर को पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी। इस बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल समेत कई बड़े नेता शामिल होंगे। सीडब्लूसी की बैठक और मोतिहारी रैली को महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस को चाहिए 70 से ज्यादा सीटें
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार 70 से ज्यादा सीटें चाहती है। कांग्रेस ने 2020 में बिहार के विधानसभा चुनाव ने 70 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन वह सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी। महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी कांग्रेस को इतनी सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। आरजेडी का कहना है कि पिछली बार कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था।
आरजेडी को मुकेश सहनी की वीआईपी, पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) जैसी अन्य सहयोगी पार्टियों को भी सीटें देनी हैं। इसके अलावा, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव लेफ्ट पार्टियों, खासकर सीपीआई-एमएल को साथ लाना चाहते हैं। इसने 2020 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 सीटें जीती थीं। पिछले चुनाव में सीपीआई और सीपीआई-एम का प्रदर्शन भी कांग्रेस से बेहतर रहा था।
महागठबंधन में सीटों का बंटवारा तय
सीटों के बंटवारे के बारे में अखिलेश सिंह ने कहा कि सब कुछ तय हो गया है। उन्होंने कहा, "सब कुछ समय आने पर पता चल जाएगा।" लालू परिवार में चल रही कलह के बारे में कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, "हम लालू के परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं। लालू प्रसाद उन्हें डांटेंगे तो सब ठीक हो जाएगा।"
कांग्रेस बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी की रैली और कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस अपनी कोशिशों में कितनी सफल होती है और महागठबंधन में सीटों का बंटवारा किस तरह होता है।
कांग्रेस पार्टी बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रियंका गांधी मोतिहारी में रैली के साथ चुनावी बिगुल फूकेंगी। इस रैली का नाम "हर घर अधिकार रैली" रखा गया है।
रैली के साथ चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने बताया कि यह रैली महागठबंधन के चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत होगी। हालांकि, रैली की तारीख अभी तय नहीं हुई है। इस रैली के साथ बिहार की चुनावी राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री होगी। इसे सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के सामने शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है।
मोतिहारी रैली से पहले कांग्रेस 24 सितंबर को पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी। इस बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल समेत कई बड़े नेता शामिल होंगे। सीडब्लूसी की बैठक और मोतिहारी रैली को महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस को चाहिए 70 से ज्यादा सीटें
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार 70 से ज्यादा सीटें चाहती है। कांग्रेस ने 2020 में बिहार के विधानसभा चुनाव ने 70 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन वह सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी। महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी कांग्रेस को इतनी सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। आरजेडी का कहना है कि पिछली बार कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था।
आरजेडी को मुकेश सहनी की वीआईपी, पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) जैसी अन्य सहयोगी पार्टियों को भी सीटें देनी हैं। इसके अलावा, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव लेफ्ट पार्टियों, खासकर सीपीआई-एमएल को साथ लाना चाहते हैं। इसने 2020 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 सीटें जीती थीं। पिछले चुनाव में सीपीआई और सीपीआई-एम का प्रदर्शन भी कांग्रेस से बेहतर रहा था।
महागठबंधन में सीटों का बंटवारा तय
सीटों के बंटवारे के बारे में अखिलेश सिंह ने कहा कि सब कुछ तय हो गया है। उन्होंने कहा, "सब कुछ समय आने पर पता चल जाएगा।" लालू परिवार में चल रही कलह के बारे में कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, "हम लालू के परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं। लालू प्रसाद उन्हें डांटेंगे तो सब ठीक हो जाएगा।"
कांग्रेस बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी की रैली और कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस अपनी कोशिशों में कितनी सफल होती है और महागठबंधन में सीटों का बंटवारा किस तरह होता है।
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