मुंबई: भाऊबीज से पहले महाराष्ट्र की लाडली बहनों की नाराजगी दूर करने के लिए देवेंद्र फडणवीस सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने लाडकी बहिन योजना (Ladki Bahin Yojana) की ई-केवाईसी प्रक्रिया को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। लाडकी बहिन योजना ने विधानसभा चुनावों में महायुति को काफी फायदा पहुंचाया था। हालांकि ई-केवाईसी प्रक्रिया के चलते लाडकी बहिन योजना की लाभार्थी कुछ नाराज थीं। हालांकि चर्चा है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए महिला वर्ग की नाराजगी दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसलिए अक्टूबर महीने की किस्त जल्द मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है।
लाडकी बहिन योजना के कितने लाभार्थी हैं?
हमारे सहयोगी महाराष्ट्र टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लाडकी बहिन योजना पिछले साल जुलाई में शुरू की गई थी। 28 जून 2024 को मंजूरी मिलने के बाद जुलाई से महिलाओं के खातों में किस्तें जमा होनी शुरू हो गईं। अक्टूबर 2024 तक राज्य भर में आवेदन करने वाली लाडकी बहिन योजना की संख्या 2 करोड़ 56 लाख तक पहुंच गई थी। अक्टूबर-नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान यह योजना महायुति सरकार के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हुई थी।
अब तक कितनी किस्त जारी
लाडकी बहिन योजना में 14 किस्तों का वितरण अगस्त 2025 तक पूरा हो चुका है। सितंबर के लिए धनराशि उपलब्ध होने के साथ उम्मीद है कि जल्द ही प्रत्येक पात्र महिला के बैंक खाते में 1,500 रुपये जमा हो जाएंगे।
अपात्र महिलाएं बाहर
इस बीच छह महीने की अवधि के बाद मानदंडों की पूर्ति की गहन जांच शुरू की गई। लाभार्थियों की जांच में चार पहिया वाहन रखने वाली महिलाएं, केंद्र और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ ले रही 'बहनें', सरकारी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी, साथ ही एक ही परिवार की कई लाभार्थी बहनें इस योजना से बाहर हो गईं। जिन महिलाओं ने अपनी आयु गलत दर्ज कराई थी या मानदंडों का उल्लंघन किया था, उन्हें भी इससे बाहर कर दिया गया। इससे लगभग 45 लाख लड़की बहनें बाहर हो गई हैं।
ई-केवाईसी पर फिलहाल रोक
वर्तमान में जिन महिलाओं की वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, उनकी ई-केवाईसी के माध्यम से खोज की जा रही है। इसमें महिला के पिता और पति की आय का भी सत्यापन किया जा रहा है। इसके चलते अधिकारियों ने 70 लाख से अधिक महिलाओं के अयोग्य होने की आशंका जताई थी। लेकिन महायुति सरकार ने इस लंबित मामले पर फिलहाल रोक लगा दी है।
योजना के लिए कितने का बजट?
इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने लाडकी बहिन योजना की सितंबर 2025 की किस्त के लिए सामाजिक न्याय विभाग से 410.30 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए हैं। इससे सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत क्रियान्वित संजय गांधी निराधार योजना और श्रवणबल सेवा निवृत्ति भत्ता जैसी महत्वपूर्ण पहलों पर वित्तीय संकट आने की आशंका है। हालांकि सरकार के इस फैसले में योजना के लिए कुल 3960 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
लाडकी बहिन योजना के कितने लाभार्थी हैं?
हमारे सहयोगी महाराष्ट्र टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लाडकी बहिन योजना पिछले साल जुलाई में शुरू की गई थी। 28 जून 2024 को मंजूरी मिलने के बाद जुलाई से महिलाओं के खातों में किस्तें जमा होनी शुरू हो गईं। अक्टूबर 2024 तक राज्य भर में आवेदन करने वाली लाडकी बहिन योजना की संख्या 2 करोड़ 56 लाख तक पहुंच गई थी। अक्टूबर-नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान यह योजना महायुति सरकार के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हुई थी।
अब तक कितनी किस्त जारी
लाडकी बहिन योजना में 14 किस्तों का वितरण अगस्त 2025 तक पूरा हो चुका है। सितंबर के लिए धनराशि उपलब्ध होने के साथ उम्मीद है कि जल्द ही प्रत्येक पात्र महिला के बैंक खाते में 1,500 रुपये जमा हो जाएंगे।
अपात्र महिलाएं बाहर
इस बीच छह महीने की अवधि के बाद मानदंडों की पूर्ति की गहन जांच शुरू की गई। लाभार्थियों की जांच में चार पहिया वाहन रखने वाली महिलाएं, केंद्र और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ ले रही 'बहनें', सरकारी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी, साथ ही एक ही परिवार की कई लाभार्थी बहनें इस योजना से बाहर हो गईं। जिन महिलाओं ने अपनी आयु गलत दर्ज कराई थी या मानदंडों का उल्लंघन किया था, उन्हें भी इससे बाहर कर दिया गया। इससे लगभग 45 लाख लड़की बहनें बाहर हो गई हैं।
ई-केवाईसी पर फिलहाल रोक
वर्तमान में जिन महिलाओं की वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, उनकी ई-केवाईसी के माध्यम से खोज की जा रही है। इसमें महिला के पिता और पति की आय का भी सत्यापन किया जा रहा है। इसके चलते अधिकारियों ने 70 लाख से अधिक महिलाओं के अयोग्य होने की आशंका जताई थी। लेकिन महायुति सरकार ने इस लंबित मामले पर फिलहाल रोक लगा दी है।
योजना के लिए कितने का बजट?
इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने लाडकी बहिन योजना की सितंबर 2025 की किस्त के लिए सामाजिक न्याय विभाग से 410.30 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए हैं। इससे सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत क्रियान्वित संजय गांधी निराधार योजना और श्रवणबल सेवा निवृत्ति भत्ता जैसी महत्वपूर्ण पहलों पर वित्तीय संकट आने की आशंका है। हालांकि सरकार के इस फैसले में योजना के लिए कुल 3960 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
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