नई दिल्ली: मेटा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में अपनी बड़ी योजनाओं का खुलासा किया है। कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने 28 साल के अलेक्जेंडर वांग को मेटा सुपरइंटेलिजेंस लैब्स का चीफ बनाया है। वांग स्केल एआई के संस्थापक हैं। यह नियुक्ति 14.3 अरब डॉलर (करीब ₹1.26 लाख करोड़ रुपये) के एक बड़े सौदे का हिस्सा है, जो हाल के समय में एआई के क्षेत्र में हुई सबसे बड़ी नियुक्तियों में से एक है। यह कदम मेटा की एआई में बढ़ती दिलचस्पी को दिखाता है।
किसी फिल्म से कम नहीं है वांग की कहानी
अलेक्जेंडर वांग की कहानी किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। वह न्यू मैक्सिको में पैदा हुए थे। उनके माता-पिता चीनी मूल के वैज्ञानिक थे। वे लॉस अलमोस नेशनल लेबोरेटरी में काम करते थे। वांग को बचपन से ही गणित और कंप्यूटर साइंस में गहरी रुचि थी। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में दाखिला लिया। लेकिन, 2016 में पढ़ाई छोड़कर स्केल एआई की शुरुआत की। स्केल एआई का काम मशीन लर्निंग मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए हाई क्वालिटी वाला डेटा तैयार करना था।
स्केल एआई जल्द ही एआई बनाने वाली बड़ी कंपनियों के लिए एक जरूरी पार्टनर बन गया। एनवीडिया, अमेजन और खुद मेटा जैसी कंपनियां अपने एआई प्रोजेक्ट्स के लिए स्केल एआई के डेटा पर निर्भर रहने लगीं। 2024 तक स्केल एआई का वैल्यूएशन लगभग 14 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। इससे वांग एआई इंडस्ट्री के सबसे कम उम्र के अरबपतियों में से एक बन गए।
बहुत बड़ा है टारगेट
जून 2025 में मेटा ने घोषणा की कि अलेक्जेंडर वांग कंपनी की एआई रणनीति का नेतृत्व करेंगे। इसके लिए उन्होंने मेटा सुपरइंटेलिजेंस लैब्स नाम से एक नया डिवीजन बनाया है। यह डिवीजन मेटा के सभी एआई रिसर्च, इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रोडक्ट डेवलपमेंट के कामों को एक साथ लाएगा। वांग ने तुरंत मेटा के एआई सिस्टम को फिर से व्यवस्थित करना शुरू कर दिया। उन्होंने एक इंटर्नल मेमो में लिखा: 'सुपरइंटेलिजेंस आ रहा है और इसे गंभीरता से लेने के लिए हमें उन प्रमुख क्षेत्रों के आसपास खुद को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है जो इसे प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे, जो कि रिसर्च, प्रोडक्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर हैं।' इस पुनर्गठन से मेटा के एआई प्रयासों को चार मुख्य क्षेत्रों में बांटा गया है। इसका टारगेट जनरल-पर्पस, सुपरइंटेलिजेंट सिस्टम की ओर प्रगति को तेज करना है। इसे एआई तकनीक का अगला बड़ा पड़ाव माना जा रहा है।
बड़ी चुनौतियां भी सामने
मेटा का स्केल एआई में 14.3 अरब डॉलर का निवेश सिर्फ एक कंपनी को खरीदने से कहीं ज्यादा है। स्केल एआई की डेटा एनोटेशन पाइपलाइन, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्केलेबल ट्रेनिंग सिस्टम में महारत मेटा को शक्तिशाली एआई मॉडल बनाने में एक बड़ा फायदा देगी। इसके अलावा, जब ओपनएआई, गूगल डीपमाइंड जैसी कंपनियां एआई की सीमाओं को आगे बढ़ा रही हैं तो वांग के साथ मेटा की यह साझेदारी उसे आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) की दौड़ में सीधे मुकाबले के लिए तैयार करती है। एजीआई का मतलब है एक ऐसा एआई जो इंसानों की तरह किसी भी बौद्धिक कार्य को समझ सके और कर सके।
हालांकि, अलेक्जेंडर वांग के सामने बड़ी चुनौतियां भी हैं। मेटा के विशाल एआई ऑपरेशंस को संभालना इनोवेशन और नैतिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने की मांग करेगा। 'सुपरइंटेलिजेंस' की खोज सुरक्षा, पारदर्शिता और विनियमन के बारे में गंभीर सवाल खड़े करती है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां अतीत में मेटा और वांग दोनों पर सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा, यह देखना भी दिलचस्प होगा कि मेटा का यह पुनर्गठन सहयोग और गति को कैसे प्रभावित करता है।
किसी फिल्म से कम नहीं है वांग की कहानी
अलेक्जेंडर वांग की कहानी किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। वह न्यू मैक्सिको में पैदा हुए थे। उनके माता-पिता चीनी मूल के वैज्ञानिक थे। वे लॉस अलमोस नेशनल लेबोरेटरी में काम करते थे। वांग को बचपन से ही गणित और कंप्यूटर साइंस में गहरी रुचि थी। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में दाखिला लिया। लेकिन, 2016 में पढ़ाई छोड़कर स्केल एआई की शुरुआत की। स्केल एआई का काम मशीन लर्निंग मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए हाई क्वालिटी वाला डेटा तैयार करना था।
स्केल एआई जल्द ही एआई बनाने वाली बड़ी कंपनियों के लिए एक जरूरी पार्टनर बन गया। एनवीडिया, अमेजन और खुद मेटा जैसी कंपनियां अपने एआई प्रोजेक्ट्स के लिए स्केल एआई के डेटा पर निर्भर रहने लगीं। 2024 तक स्केल एआई का वैल्यूएशन लगभग 14 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। इससे वांग एआई इंडस्ट्री के सबसे कम उम्र के अरबपतियों में से एक बन गए।
बहुत बड़ा है टारगेट
जून 2025 में मेटा ने घोषणा की कि अलेक्जेंडर वांग कंपनी की एआई रणनीति का नेतृत्व करेंगे। इसके लिए उन्होंने मेटा सुपरइंटेलिजेंस लैब्स नाम से एक नया डिवीजन बनाया है। यह डिवीजन मेटा के सभी एआई रिसर्च, इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रोडक्ट डेवलपमेंट के कामों को एक साथ लाएगा। वांग ने तुरंत मेटा के एआई सिस्टम को फिर से व्यवस्थित करना शुरू कर दिया। उन्होंने एक इंटर्नल मेमो में लिखा: 'सुपरइंटेलिजेंस आ रहा है और इसे गंभीरता से लेने के लिए हमें उन प्रमुख क्षेत्रों के आसपास खुद को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है जो इसे प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे, जो कि रिसर्च, प्रोडक्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर हैं।' इस पुनर्गठन से मेटा के एआई प्रयासों को चार मुख्य क्षेत्रों में बांटा गया है। इसका टारगेट जनरल-पर्पस, सुपरइंटेलिजेंट सिस्टम की ओर प्रगति को तेज करना है। इसे एआई तकनीक का अगला बड़ा पड़ाव माना जा रहा है।
बड़ी चुनौतियां भी सामने
मेटा का स्केल एआई में 14.3 अरब डॉलर का निवेश सिर्फ एक कंपनी को खरीदने से कहीं ज्यादा है। स्केल एआई की डेटा एनोटेशन पाइपलाइन, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्केलेबल ट्रेनिंग सिस्टम में महारत मेटा को शक्तिशाली एआई मॉडल बनाने में एक बड़ा फायदा देगी। इसके अलावा, जब ओपनएआई, गूगल डीपमाइंड जैसी कंपनियां एआई की सीमाओं को आगे बढ़ा रही हैं तो वांग के साथ मेटा की यह साझेदारी उसे आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) की दौड़ में सीधे मुकाबले के लिए तैयार करती है। एजीआई का मतलब है एक ऐसा एआई जो इंसानों की तरह किसी भी बौद्धिक कार्य को समझ सके और कर सके।
हालांकि, अलेक्जेंडर वांग के सामने बड़ी चुनौतियां भी हैं। मेटा के विशाल एआई ऑपरेशंस को संभालना इनोवेशन और नैतिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने की मांग करेगा। 'सुपरइंटेलिजेंस' की खोज सुरक्षा, पारदर्शिता और विनियमन के बारे में गंभीर सवाल खड़े करती है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां अतीत में मेटा और वांग दोनों पर सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा, यह देखना भी दिलचस्प होगा कि मेटा का यह पुनर्गठन सहयोग और गति को कैसे प्रभावित करता है।
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