धर्मराज के विशाल पुर में जाता है प्राणी

एक बार गरुड़जी ने भगवान विष्णु से पूछा कि बुरे कर्म करने वाला पापी यम मार्ग की यात्रा पूरी करने के बाद यम के भवन में किस प्रकार की यातना का सामना करता है? यह आप मुझे बताइए। इस पर भगवान ने जवाब देते हुए कहा कि जब मैं तुम्हारे सामने नरक का वर्णन करूंगा तो तुम कांप उठोगे। वो बताते हैं कि यम मार्ग की यात्रा के आगे चौवालीस योजन में फैला हुआ धर्मराज का विशाल पुर है, जिसे देखकर पापी व्यक्ति विलाप करने लगता है। उसकी चीखें सुनकर यम के गण द्वारपाल के पास जाकर पापी के बारे में बताते हैं। इसके बाद, द्वारपाल चित्रगुप्त को प्राणी के सभी अच्छे-बुरे कर्मों के बारे में बताता है। व्यक्ति जो भी छिपकर या प्रत्यक्ष रूप से करता है, वह सब श्रवण एवं श्रवणियां चित्रगुप्त से बताती हैं। श्रवण ब्रह्मा के पुत्र हैं और श्रवणी नाम की उनकी अलग-अलग पत्नियां हैं। जो व्यक्ति दान न करता हो और सिर्फ अपना खानपान पर ध्यान देता हो व जो लोग गलत राह पर चलते हैं और दूसरों के प्रति अच्छी सोच नहीं रखते हों उन्हें नरक जाना पड़ता है। इसके अलावा, अधर्म के काम करके धन कमाने वाले, साधु-संतों को दान न करने वाले और भगवान की पूजा न करने वाले लोगों को भी नरक जाना पड़ता है।
पाशे से बांधकर ले जाया जाता है नरक
जो भी व्यक्ति व्रत, दान और सत्य वचन से उन्हें प्रसन्न करता है, उनके लिए वे सौम्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाले बन जाते हैं। वहीं, पापियों के विषय में हर चीज जानने के बाद यम उन्हें बुलाकर अपना अत्यंत भयंकर रूप दिखाते हैं। यम की तरह ही भयानक दूत प्राणी के पास जाकर गरजना करने लगते हैं, जिसे देखकर व्यक्ति की रूह कांप जाती है। चित्रगुप्त पापियों से कहते हैं कि जो भी तुमने पाप किए हैं वही तुम्हारे दुखों का कारण है। यहां हर किसी के साथ एक समान व्यवहार किया जाता है। पापियों को दंड देने की आज्ञा लेने के बाद निर्दयी दूत प्राणियों को पीटने लगते हैं और उन्हें पाशे से बांधकर भयानक नरक की ओर लेकर जाते हैं।
अत्यंत भयानक और विशाल पेड़ के नीचे मिलते हैं ऐसे दंड
नरक में आग की तरह तपने वाला एक विशाल शाल्मली वृक्ष है, जो बहुत दूरी तक फैला हुआ है। उसी पेड़ के नीचे पापियों को पाशों से बांधकर दूत उन्हें पीटने लगते हैं। मार पड़ने और शरीर जलने से प्राणी जोर-जोर से विलाप करने लगते हैं। उस वृक्ष में ऐसे की कई पापी लटके हुए रहते हैं, जो भूखे और प्यासे होते हैं। प्राणियों को वहां लोहे, लाठी, भाले, गदा और मूसलों से अत्यंत भयानक पीड़ा दी जाती है। जब पापी मूर्छित हो जाते हैं, तो यम के दूत कहते हैं कि अपने जीवन में तुमने अन्न और जल का दान क्यों नहीं किया और पितरों का तर्पण क्यों नहीं किया। न संत की सेवा की और न ही देवताओं को पूजा। अब तुम अपने पापों का दंड भोगो।
नरक की यातनाएं जानकर कांप जाएगी रूह
दूत प्राणी को उसके अपराध बताने के बाद दोबारा उन्हें पीटने लगते हैं, जिसके चलते पापी जलते हुए अंगार की तरह नीचे गिर जाते हैं। वृक्ष के पत्तों से उनका शरीर कट जाता है और कुत्ते उन्हें खाते हैं, जिससे प्राणी विलाप करने लगता है और अपराधों को क्षमा करने के लिए कहता है। इस पर यमदूत पापियों का मुंह धूल से भर देते हैं। कुछ प्राणियों को भूमि पर गिराकर कुल्हाड़ी से उन्हें मारा जाता है। कुछ को गड्ढों में आधा गाड़ दिया जाता है और उसके सिर में बाण मारे जाते हैं। कुछ प्राणियों को जलती हुई लकड़ियों से ढक दिया जाता है।
अलग-अलग नरक में कर्मों के अनुसार मिलता है फल
घी और तेल की खौलती हुए कड़ाही में भी कुछ पापियों को तलने के समान चलाया जाता है। किसी को पर्वत से नीचे गिराया जाता है, किसी को गिद्धों और मांस भोजी पक्षियों को दे दिया जाता है। उस विशाल और भयंकर वृक्ष के समीप दुखों से भरा हुआ नरक है जहां पापियों को मिलने वाले दुखों का वर्णन करना बहुत मुश्किल है। गरुड़ पुराण में 21 प्रकार की प्रमुख नरकों का वर्णन किया गया है, जिनमें अलग-अलग प्रकार के कर्मों का अलग-अलग दंड जीवों को मिलता है। इन नरक में कई प्रकार की यातनाएं पापियों को भोगनी पड़ती हैं, जो अत्यंत कष्टकारी और भयानक होती हैं।
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