जयपुर: राजस्थान के झालावाड़ जिले में दो दिन पहले सरकारी स्कूल में हुए हादसे की गूंज सोमवार को लोकसभा में पहुंच गई। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल, भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर रावण तख्तियां लेकर लोकसभा पहुंचे। हनुमान बेनीवाल ने वेल में आकर तख्तियां लहराई। बेनीवाल ने कहा कि झालावाड़ में स्कूल भवन ढहना हादसा नहीं बल्कि सिस्टम की अनदेखी से हुई हत्या है। इस हत्याकांड के जिम्मेदारों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
स्लोगन के जरिए उठाए सवालसांसद हनुमान बेनीवाल, राजकुमार रोत, संजय सिंह और चंद्रशेखर रावण हाथों में जो तख्तियां थी। उन तख्तियों पर लिखे गए स्लोगन के जरिए झालावाड़ दुखांतिका पर सवाल उठाए गए। तख्तियां पर लिखा था कि 'हम तो पाठशाला समझ रहे थे, यह तो आपकी मृत्युशाला थी।' तख्तियों पर लिखे स्लोगन के जरिए मुआवजे को लेकर भी सवाल उठाए गए। एक तख्ती पर लिखा था कि 'लंदन जाने वाले को एक करोड़ रुपए और स्कूल जाने वाले को दस लाख। मानव मानव में इतना भेद क्यों..?' दूसरी तख्ती पर लिखा था कि 'जाति नहीं, धर्म देखकर गोली मारी है' का नारा दिया था आपने तो, फिर अब हमारा धर्म नहीं जाति देखकर मुआवजा क्यों..?'
सिर्फ शिक्षकों को सस्पेंड करके इतिश्री कर ली
हनुमान बेनीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार इस त्रासदी को सिर्फ हादसा करार देना चाहती है जबकि यह कोई हादसा नहीं है बल्कि यह सिस्टम की अनदेखी से हुई हत्या है। सरकार ने केवल पांच शिक्षकों को सस्पेंड करके मामले की इतिश्री कर ली। सात मृतक बच्चों में छह अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं जबकि एक बालक ओबीसी वर्ग से था। वंचित वर्ग के इन पीड़ित परिवारों के साथ सरकार ने मुआवजे में भी बड़ा धोखा किया है। केवल दस दस लाख रुपए के मुआवजा दिया जा रहा है। बेनीवाल ने दिवंगत बच्चों के परिजनों को एक एक करोड़ रुपए और घायलों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की है। बेनीवाल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर दोनों हाड़ौती क्षेत्र से हैं और उनके इलाके में यह त्रासदी हुई है। उन दोनों नेताओं के बयानों से काम नहीं चलेगा।
स्लोगन के जरिए उठाए सवालसांसद हनुमान बेनीवाल, राजकुमार रोत, संजय सिंह और चंद्रशेखर रावण हाथों में जो तख्तियां थी। उन तख्तियों पर लिखे गए स्लोगन के जरिए झालावाड़ दुखांतिका पर सवाल उठाए गए। तख्तियां पर लिखा था कि 'हम तो पाठशाला समझ रहे थे, यह तो आपकी मृत्युशाला थी।' तख्तियों पर लिखे स्लोगन के जरिए मुआवजे को लेकर भी सवाल उठाए गए। एक तख्ती पर लिखा था कि 'लंदन जाने वाले को एक करोड़ रुपए और स्कूल जाने वाले को दस लाख। मानव मानव में इतना भेद क्यों..?' दूसरी तख्ती पर लिखा था कि 'जाति नहीं, धर्म देखकर गोली मारी है' का नारा दिया था आपने तो, फिर अब हमारा धर्म नहीं जाति देखकर मुआवजा क्यों..?'
सिर्फ शिक्षकों को सस्पेंड करके इतिश्री कर ली
हनुमान बेनीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार इस त्रासदी को सिर्फ हादसा करार देना चाहती है जबकि यह कोई हादसा नहीं है बल्कि यह सिस्टम की अनदेखी से हुई हत्या है। सरकार ने केवल पांच शिक्षकों को सस्पेंड करके मामले की इतिश्री कर ली। सात मृतक बच्चों में छह अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं जबकि एक बालक ओबीसी वर्ग से था। वंचित वर्ग के इन पीड़ित परिवारों के साथ सरकार ने मुआवजे में भी बड़ा धोखा किया है। केवल दस दस लाख रुपए के मुआवजा दिया जा रहा है। बेनीवाल ने दिवंगत बच्चों के परिजनों को एक एक करोड़ रुपए और घायलों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की है। बेनीवाल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर दोनों हाड़ौती क्षेत्र से हैं और उनके इलाके में यह त्रासदी हुई है। उन दोनों नेताओं के बयानों से काम नहीं चलेगा।
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