हालांकि, इस मसले पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर निमिषा अरोड़ा की मानें तो इसकी एक बड़ी वजह खुद पैरेंट्स की ही एक गलती हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि माता-पिता की ऐसी क्या गलती है आइए जानते हैं डॉक्टर से विस्तार से।
सभी तस्वीरें-सांकेतिक हैं
बच्चे ने खाने से किया इनकार
इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए एक वीडियो में चाइल्डस्पेशलिस्ट डॉ. निमिषाअरोड़ा कहती हैं कि हाल ही में एक मां ने बताया कि ‘मैम, मेरा 9 महीने का बच्चा पिछले एक हफ्ते से कुछ भी नहीं खा रहा है। पहले तो बहुत अच्छे से सब कुछ खाता था, लेकिन अब मुंह ही नहीं खोलता। मुझे लगता है मुझसे ही कोई गलती हो गई है।’
छोटे बच्चे खाने से करते हैं मना

डॉ. निमिषा कहती हैं कि छोटे बच्चों को खाने से मना करना बहुत ही सामान्य बात है। माता-पिता को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये एक टेम्पररीफेज होता है, जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है।
फोर्स या डिस्ट्रक्शन फीडिंग न करें
डॉ. निमिषा कहती हैं कि फोर्स या डिस्ट्रक्शन फीडिंग से बच्चे का खाने के साथ निगेटिव एसोसिएशन बनने लगता है। बच्चा सोचने लगता है कि 'अब खाना आया है, तो मम्मा जबरदस्ती करेंगी', और फिर वह खाने को और ज्यादा रिजेक्ट करने लगता है। इस वजह से टेंपरेंरीरिजेक्शन की आदत परमानेंट हो जाती है। इसलिए ऐसा न करें।
खाना मना करने की हो सकती हैं ये वजहें
पीडियाट्रिशन डॉ. निमिषाअरोड़ा बताती हैं कि कई वजहों से बच्चा खाना मना कर सकता है। मुमकिन है कि वह अनवेल हो, टीथिंग की वजह से असहज महसूस कर रहा हो, रात में ठीक से न सोया हो और फीडिंग ज्यादा हो गई हो। कभी-कभी बच्चे का ध्यान भटका होता है (डिस्ट्रैक्टेड रहते हैं), या फिर उन्हें खाने का टेस्ट, टेक्सचर या टेम्परेचर पसंद नहीं आता। ये सभी कारण बच्चे की भूख को प्रभावित कर सकते हैं।
पैरेंट्स घबरा जाते हैं
डॉ. निमिषा बताती हैं कि कई बार ऐसा भी होता है जब पैरेंट्स यह समझ तक ही नहीं पाते कि बच्चा खाना क्यों नहीं खा रहा है। लेकिन इसके बावजूद बच्चा एक्टिव रहता है, खेलता है, हंसता है यानी उसकी एनर्जी बनी रहती है। लेकिन पैरेंट्स घबरा जाते हैं और या तो जबरदस्ती खाना खिलाने लगते हैं या फिर डिस्ट्रैक्ट कर-करके फीड करने लगते हैं। जबकि यह सही तरीका नहीं है।
खाने के टाइम पर डिस्ट्रैक्शन से रखें दूर

एक्सपर्ट कहती हैं कि इस बात का ध्यान रखें कि माता-पिता का काम सिर्फ बच्चे को प्यार से खाना ऑफर करना है। मील टाइम के दौरान किसी भी डिस्ट्रैक्शन से दूर रखें। साथ ही, बच्चे के साथ बैठकर खाना खाएं। बीच-बीच में स्नैक्स न दें, ताकि बच्चा भूख महसूस कर सके। इसके बाद, बच्चे पर छोड दें कि वो कितना खाना चाहता है।
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