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न महंगाई बढ़ने का डर, न नौकरी जाने का खतरा... भारत में ट्रंप का टैरिफ बस हौव्वा, एक्सपर्ट्स से समझिए संकेत

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नई दिल्‍ली: अमेरिका ने भारत समेत कई देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए हैं। इस पर अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय जाहिर की है। उनका कहना है कि इससे भारत में महंगाई बढ़ने और रोजगार जाने का खतरा कम है। उनका मानना है कि अमेरिका के साथ मोस्‍ट फेवर्ड नेशन (MFN) दर्जे के तहत व्यापार करने वाले देश ज्यादा प्रभावित होंगे। अलबत्‍ता, भारत के पास वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का अच्छा मौका है। बांग्लादेश, श्रीलंका और वियतनाम जैसे देशों की तुलना में भारत पर कम शुल्क लगाया गया है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अमेरिकी टैर‍िफ से कुछ क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है। लेकिन, कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जो वैश्विक व्यापार में लाभ की स्थिति में हैं। भारत सरकार और RBI स्थिति पर नजर रख रहे हैं। वे जरूरी कदम उठा रहे हैं। यानी ट्रंप की जिस ट्रैरिफ पॉलिसी से दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है, वे भारत के लिए वरदान भी बन सकते हैं। एक्‍सपर्ट्स की बातों से संकेत मिलता है कि भारत में ट्रंप के टैरिफ का हौव्‍वा ज्‍यादा है। अमेरिका ने हाल ही में भारत सहित कई देशों पर जवाबी शुल्क लगाया है। इस फैसले के बाद कई अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी है। उनका मानना है कि इस शुल्क का भारत पर ज्यादा असर नहीं होगा। भारत में महंगाई बढ़ने और रोजगार जाने की आशंका कम है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अमेरिका का यह कदम उन देशों को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा जो अमेरिका के साथ 'सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र' यानी एमएफएन के दर्जे के तहत व्यापार करते हैं। एमएफएन का मतलब है कि अमेरिका उन देशों को व्यापार में विशेष छूट देता है।हालांकि, भारत के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है। भारत वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बांग्लादेश, श्रीलंका और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले भारत पर कम शुल्क लगाया गया है। स्थिति से निपटने के लिए तैयार है भारत आरआईएस (रिसर्च एंड इन्‍फॉर्मेशन सिस्‍टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज) के महानिदेशक प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अभी यह कहना मुश्किल है कि इस टैरिफ का भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा। यह तो आने वाला समय ही बताएगा।प्रो. चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि भारत इस नई स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, 'वैश्विक और भारतीय दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर इसके पूर्ण प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। कारण है कि ये व्यापार उपाय अभी विकसित हो रहे हैं। भारत इस नई व्यापार वास्तविकता के साथ सक्रिय रूप से तालमेल बैठा रहा है। यह उन देशों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है जो मुख्य रूप से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत अमेरिका के साथ व्यापार करते रहे हैं।'प्रो. चतुर्वेदी के अनुसार, अमेरिका की ओर से शुल्क लगाने से भारत में महंगाई बढ़ने और रोजगार जाने का खतरा कम है। भारत हर साल अमेरिका को लगभग 75.9 अरब डॉलर का निर्यात करता है। इसमें दवा (8 अरब डॉलर), कपड़ा (9.3 अरब डॉलर) और इलेक्ट्रॉनिक्स (10 अरब डॉलर) जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में मांग स्थिर रहने की उम्मीद है।उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि अमेरिका के शुल्क लगाए जाने से भारतीय घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने और रोजगार जाने का जोखिम कम है। भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 75.9 अरब डॉलर का है।' भारत पर टैर‍िफ दूसरे देशों के मुकाबले कम प्रो. चतुर्वेदी ने एक महत्वपूर्ण बात बताई। उन्होंने कहा कि दवा क्षेत्र को शुल्क से छूट दी गई है। इसके अलावा, भारत पर सिर्फ 26% शुल्क लगाया गया है। जबकि बांग्लादेश (37%), श्रीलंका (44%) और वियतनाम (46%) जैसे देशों पर ज्यादा शुल्क लगाया गया है। ऐसे में भारत के पास कम कीमत पर वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका है।मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक प्रो. एनआर भानुमूर्ति ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि अभी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। यह देखना होगा कि क्या दूसरे देश भी अमेरिका के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाते हैं या नहीं। चीन ने इस दिशा में कदम उठाया है। कनाडा ने भी कुछ समय पहले जवाबी शुल्क लगाया था। इसलिए, अभी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का अंदाजा लगाना मुश्किल है।प्रो. भानुमूर्ति ने कहा, 'चीजें अभी भी विकसित हो रही है और देखना होगा कि क्या कोई देश भी जवाबी शुल्क लगाएगा। चीन ने इस दिशा में कदम उठाया है और कनाडा ने कुछ समय पहले जवाबी शुल्क लगाया है। इस लिहाज से इस समय अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करना मुश्किल है।'हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है। कुछ लोग अमेरिका में मंदी की आशंका भी जता रहे हैं। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी कहा है कि महंगाई बढ़ सकती है। इसलिए, उन्हें 2024 के अंत में शुरू की गई उदार मौद्रिक नीति को बदलना पड़ सकता है। लेकिन, इसका दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा, यह देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा।अमेरिका ने भारत पर 26% का जवाबी शुल्क लगाने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन का मानना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैक्स लगाता है। इसलिए, अमेरिका ने व्यापार घाटे को कम करने और अपने देश में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है। ट्रंप ने दुनिया भर में अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए ऊंचे शुल्क का मुकाबला करने के लिए लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाया है। बदलते माहौल का फायदा उठाने की स्थिति में भारतप्रो. चतुर्वेदी RBI के निदेशक मंडल के सदस्य भी हैं। उन्‍होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत नौकरी खोने के बजाय इस बदलते माहौल का फायदा उठाने की अच्छी स्थिति में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच एक व्यापार समझौते (बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट - BTA) की घोषणा की गई है। इससे व्यापार नीतियां आसान होंगी। आर्थिक सहयोग बढ़ेगा। इसके अलावा, भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) में अमेरिका की भागीदारी से भारत को नए अवसर मिलेंगे।उन्होंने कहा, 'भारत नौकरी खोने के बजाय बदलते व्यापार परिदृश्य से लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के बाद एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की घोषणा की गई, जो व्यापार नीतियों को सुव्यवस्थित करेगा और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा। इसके अतिरिक्त, भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) में अमेरिकी भागीदारी भारत के लिए नये अवसर बनाती है।'प्रो. चतुर्वेदी ने आगे कहा कि रोजगार, घरेलू मांग और निर्यात, दोनों पर निर्भर करता है। भारत से अमेरिका को निर्यात करने वाले ज्यादातर क्षेत्रों को शुल्क से छूट दी गई है या उन पर कम शुल्क लगाया गया है। इसलिए, भारत में लोगों की नौकरियां जाने की आशंका कम है। बल्कि, भारत इन उद्योगों में और भी मजबूत हो सकता है।प्रो. भानुमूर्ति ने भी कहा कि अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसलिए, नौकरियों पर पड़ने वाले असर का अंदाजा लगाना मुश्किल है। उनका मानना है कि अमेरिकी शुल्क से कुछ क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जो इस वैश्विक व्यापार में लाभ की स्थिति में हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह मौजूदा व्यापार संबंधों में एक रुकावट है।उन्होंने कहा, 'जहां तक घरेलू बाजार में महंगाई का सवाल है, अमेरिकी शुल्क के मिले-जुले नतीजे हो सकते हैं। हमने वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट देखी है और इसलिए कुछ जिंसों की कीमतों में भी गिरावट आई है। इसका एक स्पष्ट असर अमेरिका को होने वाले हमारे निर्यात पर पड़ेगा, जिसके साथ हमारा व्यापार अधिशेष है। निर्यात में कमी या अमेरिका से आयात बढ़ाकर इसे बेअसर करने का प्रयास किया जा रहा है।' कौन से सेक्‍टर्स पर पड़ सकता है असर?प्रो. भानुमूर्ति ने यह भी बताया कि दवा जैसे कुछ उत्पादों को पहले से ही जवाबी शुल्क से छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौता तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगर ऐसा होता है तो भारत को ट्रंप के शुल्क से फायदा हो सकता है।एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिका के शुल्क से वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और लोहा तथा इस्पात जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। वहीं, दवा और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्रों पर ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसी रहती है।प्रो. भानुमूर्ति ने कहा, 'अमेरिका के शुल्क से वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और लोहा तथा इस्पात सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। वहीं औषधि, पेट्रोलियम जैसी छूट वाली वस्तुएं हैं, जो शायद बहुत प्रभावित न हों। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर कैसी रहती है।'कुल मिलाकर, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका की ओर से लगाए गए जवाबी शुल्क का भारत पर ज्यादा नकारात्मक असर नहीं होगा। भारत के पास वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर है। सरकार और RBI स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। वे जरूरी कदम उठा रहे हैं।
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