लखनऊ: यूपी के विकास प्राधिकरणों में अब मानचित्र पास करने का सिस्टम पहले से भी ज्यादा फूलप्रूफ करने की तैयारी है। इसके लिए मानचित्र पास करने के सिस्टम में आधार वैरिफिकेशन को लागू किया जा रहा है। इसके लिए आधार (यूआईडीएआई) की तरफ से आवास विभाग को मंजूरी मिल गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसी महीने नई व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
आवास विभाग के प्रमुख सचिव पी गुरु प्रसाद की अध्यक्षता में मानचित्र के इस नए मॉड्यूल को लेकर चर्चा हुई। इस मॉड्यूल के लागू होने के बाद फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकेगा। आवास विभाग के सूत्रों की मानें तो मेरठ में ऐसे कुछ मामले सामने आए थे, जिनमें आर्किटेक्ट्स के प्रमाणपत्रों की फोटो के जरिए मानचित्र पास करवा लिया गया।
यूपी के 29 विकास प्राधिकरणों में इस तरह की गड़बड़ियां होने की शिकायतें सामने आती रही हैं। हालांकि, अब इस तरह के फर्जीवाड़े आधार वैरिफिकेशन की व्यवस्था में आसानी से पकड़ लिए जाएंगे। वहीं, मानचित्र अनुमोदन भूस्वामी के नाम पर किसी दूसरे के लिए मानचित्र पास करवाना भी संभव नहीं होगा।
पारदर्शिता बढ़ेगी, बेनामी संपत्तियों पर लगेगी लगाम
आधार वैरिफिकेशन लागू होने के बाद एक तरफ जहां पारदर्शिता बढ़ेगी वहीं, बेनामी संपत्तियों पर भी लगाम लगने की उम्मीद जताई जा रही है। विकास प्राधिकरणों में मानचित्र पास करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू है। इसके लिए आर्किटेक्ट के रजिस्ट्रेशन नंबर और प्रमाणपत्र का इस्तेमाल होता है। आर्किटेक्ट की तरफ से मानचित्र विकास प्राधिकरण के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
इसके बाद उसकी जांच कर विकास प्राधिकरण पास करने या निरस्त करने का फैसला करता है। इसमें कई बार आर्किटेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन नंबर और प्रमाणपत्रों की नकल लेकर फर्जीवाड़ा करने वाले मनमाने तरीके से मानचित्र अपलोड कर देते हैं। अपनी मानचित्र पास करने के लिए ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल सिस्टम (ओबीपीएस) में बदलाव कर सॉफ्टवेयर में कई नए सुधार किए जा रहे हैं।
आर्किटेक्ट्स को दी गई बदलाव की जानकारी
इसकी जानकारी देने के लिए आवास बंधु की तरफ से बुधवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उन्हें आधार वैरिफिकेशन के बाद नक्शा पास होने समेत सभी बदलावों के बारे में बताया गया। आर्किटेक्ट्स के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिए फर्जीवाड़ा रुकेगा। सूत्रों के मुताबिक बिल्डरों के यहां नौकरी छोड़कर जा चुके आर्किटेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन नंबरों का दुरुपयोग कर मानचित्र पास करवाए जाते रहने की शिकायत भी मिल रही थी।
आधार वैरिफिकेशन लागू होने के बाद बिल्डरों कार खेल नहीं चल सकेगा। यह जगह किसी दूसरे के नाम पर मानचित्र जमा करवा देते हैं, ताकि उनकी संपत्तियों का खुलासा न होने पाए लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। जिसके नाम से मानचित्र जमा होगा, उसके मोबाइल पर इसकी जानकारी पहुंचेगी और सत्यापन के बाद ही मानचित्र पास हो सकेगा।
आवास विभाग के प्रमुख सचिव पी गुरु प्रसाद की अध्यक्षता में मानचित्र के इस नए मॉड्यूल को लेकर चर्चा हुई। इस मॉड्यूल के लागू होने के बाद फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकेगा। आवास विभाग के सूत्रों की मानें तो मेरठ में ऐसे कुछ मामले सामने आए थे, जिनमें आर्किटेक्ट्स के प्रमाणपत्रों की फोटो के जरिए मानचित्र पास करवा लिया गया।
यूपी के 29 विकास प्राधिकरणों में इस तरह की गड़बड़ियां होने की शिकायतें सामने आती रही हैं। हालांकि, अब इस तरह के फर्जीवाड़े आधार वैरिफिकेशन की व्यवस्था में आसानी से पकड़ लिए जाएंगे। वहीं, मानचित्र अनुमोदन भूस्वामी के नाम पर किसी दूसरे के लिए मानचित्र पास करवाना भी संभव नहीं होगा।
पारदर्शिता बढ़ेगी, बेनामी संपत्तियों पर लगेगी लगाम
आधार वैरिफिकेशन लागू होने के बाद एक तरफ जहां पारदर्शिता बढ़ेगी वहीं, बेनामी संपत्तियों पर भी लगाम लगने की उम्मीद जताई जा रही है। विकास प्राधिकरणों में मानचित्र पास करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू है। इसके लिए आर्किटेक्ट के रजिस्ट्रेशन नंबर और प्रमाणपत्र का इस्तेमाल होता है। आर्किटेक्ट की तरफ से मानचित्र विकास प्राधिकरण के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
इसके बाद उसकी जांच कर विकास प्राधिकरण पास करने या निरस्त करने का फैसला करता है। इसमें कई बार आर्किटेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन नंबर और प्रमाणपत्रों की नकल लेकर फर्जीवाड़ा करने वाले मनमाने तरीके से मानचित्र अपलोड कर देते हैं। अपनी मानचित्र पास करने के लिए ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल सिस्टम (ओबीपीएस) में बदलाव कर सॉफ्टवेयर में कई नए सुधार किए जा रहे हैं।
आर्किटेक्ट्स को दी गई बदलाव की जानकारी
इसकी जानकारी देने के लिए आवास बंधु की तरफ से बुधवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उन्हें आधार वैरिफिकेशन के बाद नक्शा पास होने समेत सभी बदलावों के बारे में बताया गया। आर्किटेक्ट्स के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिए फर्जीवाड़ा रुकेगा। सूत्रों के मुताबिक बिल्डरों के यहां नौकरी छोड़कर जा चुके आर्किटेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन नंबरों का दुरुपयोग कर मानचित्र पास करवाए जाते रहने की शिकायत भी मिल रही थी।
आधार वैरिफिकेशन लागू होने के बाद बिल्डरों कार खेल नहीं चल सकेगा। यह जगह किसी दूसरे के नाम पर मानचित्र जमा करवा देते हैं, ताकि उनकी संपत्तियों का खुलासा न होने पाए लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। जिसके नाम से मानचित्र जमा होगा, उसके मोबाइल पर इसकी जानकारी पहुंचेगी और सत्यापन के बाद ही मानचित्र पास हो सकेगा।
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