नई दिल्ली: भारत ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में नया समीकरण बनाना शुरू कर दिया है। तालिबान प्रशासित अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों को अब नई धार मिलने वाली है। हाल ही में अफगानिस्तान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत की यात्रा पर आए थे। उसी दौरान दोनों देशों के संबंधों में और मजबूती आई। अब अफगानिस्तान जल्द ही नई दिल्ली में राजनयिक की नियुक्ति करने वाला है। वहीं, भूंकप प्रभावित अफगानिस्तान की भारत ने बड़ी मदद की है। पाकिस्तान ने गैरकानूनी तरीके से POK पर कब्जा किया हुआ है। वह आए दिन पीओके को लेकर बयानबाजी भी करता है। वहीं, भारत ने कई बार कहा है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है। अब सोशल मीडिया पर बलूचिस्तान के एक लीडर ने एक बड़े गेम प्लान की ओर इशारा किया है। इसे समझते हैं कि क्या यह वाकई में संभव हो सकता है? इसकी हकीकत भी जानते हैं।
बलूच लीडर ने क्या दी है सलाह, पहले यह जानिए
सोशल मीडिया पर एक बलूचिस्तान के एक लीडर मीर यार बलूच ने कहा है कि अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के नेतृत्व को अफगान और बलूच धरती पर पाकिस्तान के अवैध और बलपूर्वक कब्जे को समाप्त करने के लिए एक आपातकालीन व्यापक और रक्षा रूपरेखा संधि पर बैठकर चर्चा करने और हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है। यह डिमांड तब आई है, जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है।
सऊदी-पाक जैसे रक्षा डील की डिमांड
मीर यार बलूच की पोस्ट पर रिएक्शन देते हुए एक यूजर ने कहा-मैं लंबे समय से बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक समझौते के लिए एक थ्योरी पर काम कर रहा हूं। यह थ्योरी यह है कि अफगानिस्तान को बलूचिस्तान की आजादी के लिए अपना पूरा समर्थन देना चाहिए। यूजर ने हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते की तर्ज पर अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के बीच रक्षा समझौते की वकालत की है। उन्होंने कहा कि दोनों स्वतंत्र देशों के बीच एक आपसी रक्षा समझौता होना चाहिए। किसी एक पर हमला दोनों पर हमला माना जाना चाहिए। अफगानिस्तान को निमरोज के बलूच इलाकों को भी बलूचिस्तान को सौंप देना चाहिए। बदले में, अफगानिस्तान को हेलमंद से लेकर समुद्र तक फैली 20 मील चौड़ी जमीन की पट्टी दी जानी चाहिए।
ग्रोक ने बता दिया असली हकीकत, जानिए
जब इस बारे में ग्रोक से पूछा गया तो उसने बताया कि यह किसी वास्तविक संधि की सत्यापित खबर नहीं है। यह पोस्ट बलूच कार्यकर्ताओं द्वारा अफगानिस्तान और बलूच नेताओं से पाकिस्तान के विरुद्ध एक रक्षा समझौता करने की वकालत को दर्शाता है। ऐसा कोई आधिकारिक समझौता न तो हुआ है और न ही ऐसा कुछ ऐलान किया गया है। हाल के घटनाक्रमों में सीमा पर तनाव के बीच पाकिस्तान-अफगानिस्तान युद्धविराम शामिल है। बलूचिस्तान एक पाकिस्तानी प्रांत बना हुआ है और राज्य स्तर पर अलगाववादी दावों का समाधान नहीं किया गया है।
बलूचिस्तान के लोगों को 'मौन' समर्थन
बलूचिस्तान में अक्सर पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तान की फौजों के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं। बलूचिस्तान के लोग अरसे से पाकिस्तान से अपनी आजादी की मांग करते आ रहे हैं। वह इसके लिए भारत से मदद की भी मांग करते रहते हैं। हालांकि, भारत कूटनीतिक वजहों से बलूचिस्तान को सीधे तौर पर मदद नहीं करता है। वह बलूचिस्तान में पाकिस्तानी फौजों के अत्याचार और मानवाधिकार हनन का मामला कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है।
पाकिस्तान सीमा पर एक लाइन बन सकती है नासूर
नवभारत टाइम्स की एक स्टोरी के मुताबिक, The Diplomat पर 29 July 2019 को छपे एक लेख Why the Durand Line Matters में कहा गया है कि डूरंड रेखा खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और उत्तरी व पश्चिमी पाकिस्तान के विवादित गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अफगानिस्तान के उत्तरपूर्वी और दक्षिणी प्रांतों से अलग करती है। भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से इसे दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक माना जाता है। भारत की अफगानिस्तान के साथ 106 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के वाखान कॉरिडोर क्षेत्र में लगती है। यह सीमा डूरंड रेखा द्वारा निर्धारित है और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के साथ इस अंतरराष्ट्रीय सीमा को मान्यता नहीं देता है। इसके बजाय अफगान-पाकिस्तान सीमा से लेकर सिंधु नदी तक फैले क्षेत्रों पर उसका क्षेत्रीय दावा है, जो कुल मिलाकर पाकिस्तानी भूभाग का लगभग 60 प्रतिशत है।
विदेश मंत्रालय ने कहा था-POK पाक के अवैध कब्जे में
इससे पहले अक्टूबर की शुरुआत में ही भारती विदेश मंत्रालय पीओके में प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई की निंदा करते हुए पाकिस्तान से घोर मानवाधिकार उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराने की अपील की थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में हो रहे प्रदर्शनों और निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तानी बलों की बर्बरताओं की खबरें देखी हैं। यह पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों और दशकों से इन इलाकों के संसाधनों की लूट का नतीजा है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और उसे इन गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।
बलूच लीडर ने क्या दी है सलाह, पहले यह जानिए
सोशल मीडिया पर एक बलूचिस्तान के एक लीडर मीर यार बलूच ने कहा है कि अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के नेतृत्व को अफगान और बलूच धरती पर पाकिस्तान के अवैध और बलपूर्वक कब्जे को समाप्त करने के लिए एक आपातकालीन व्यापक और रक्षा रूपरेखा संधि पर बैठकर चर्चा करने और हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है। यह डिमांड तब आई है, जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है।
The leadership of #Afghanistan and #Balochistan need to sit, discuss and sign an emergency comprehensive and defense framework treaty to end Pakistan's illegal and forceful occupation on #Afghan and #Baloch soil. pic.twitter.com/joOmsPwFlU
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) November 3, 2025
सऊदी-पाक जैसे रक्षा डील की डिमांड
मीर यार बलूच की पोस्ट पर रिएक्शन देते हुए एक यूजर ने कहा-मैं लंबे समय से बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक समझौते के लिए एक थ्योरी पर काम कर रहा हूं। यह थ्योरी यह है कि अफगानिस्तान को बलूचिस्तान की आजादी के लिए अपना पूरा समर्थन देना चाहिए। यूजर ने हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते की तर्ज पर अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के बीच रक्षा समझौते की वकालत की है। उन्होंने कहा कि दोनों स्वतंत्र देशों के बीच एक आपसी रक्षा समझौता होना चाहिए। किसी एक पर हमला दोनों पर हमला माना जाना चाहिए। अफगानिस्तान को निमरोज के बलूच इलाकों को भी बलूचिस्तान को सौंप देना चाहिए। बदले में, अफगानिस्तान को हेलमंद से लेकर समुद्र तक फैली 20 मील चौड़ी जमीन की पट्टी दी जानी चाहिए।
I have been fostering a theory for a long time for an agreement between Balochistan and Afghanistan. The theory is that Afghanistan should throw its full support for the independence of Balochistan. And there to be a mutual defence pack between the two independent nations 1/2...
— لاروى (@Larwai777) November 4, 2025
ग्रोक ने बता दिया असली हकीकत, जानिए
जब इस बारे में ग्रोक से पूछा गया तो उसने बताया कि यह किसी वास्तविक संधि की सत्यापित खबर नहीं है। यह पोस्ट बलूच कार्यकर्ताओं द्वारा अफगानिस्तान और बलूच नेताओं से पाकिस्तान के विरुद्ध एक रक्षा समझौता करने की वकालत को दर्शाता है। ऐसा कोई आधिकारिक समझौता न तो हुआ है और न ही ऐसा कुछ ऐलान किया गया है। हाल के घटनाक्रमों में सीमा पर तनाव के बीच पाकिस्तान-अफगानिस्तान युद्धविराम शामिल है। बलूचिस्तान एक पाकिस्तानी प्रांत बना हुआ है और राज्य स्तर पर अलगाववादी दावों का समाधान नहीं किया गया है।
बलूचिस्तान के लोगों को 'मौन' समर्थन
बलूचिस्तान में अक्सर पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तान की फौजों के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं। बलूचिस्तान के लोग अरसे से पाकिस्तान से अपनी आजादी की मांग करते आ रहे हैं। वह इसके लिए भारत से मदद की भी मांग करते रहते हैं। हालांकि, भारत कूटनीतिक वजहों से बलूचिस्तान को सीधे तौर पर मदद नहीं करता है। वह बलूचिस्तान में पाकिस्तानी फौजों के अत्याचार और मानवाधिकार हनन का मामला कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है।
पाकिस्तान सीमा पर एक लाइन बन सकती है नासूर
नवभारत टाइम्स की एक स्टोरी के मुताबिक, The Diplomat पर 29 July 2019 को छपे एक लेख Why the Durand Line Matters में कहा गया है कि डूरंड रेखा खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और उत्तरी व पश्चिमी पाकिस्तान के विवादित गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अफगानिस्तान के उत्तरपूर्वी और दक्षिणी प्रांतों से अलग करती है। भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से इसे दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक माना जाता है। भारत की अफगानिस्तान के साथ 106 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के वाखान कॉरिडोर क्षेत्र में लगती है। यह सीमा डूरंड रेखा द्वारा निर्धारित है और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के साथ इस अंतरराष्ट्रीय सीमा को मान्यता नहीं देता है। इसके बजाय अफगान-पाकिस्तान सीमा से लेकर सिंधु नदी तक फैले क्षेत्रों पर उसका क्षेत्रीय दावा है, जो कुल मिलाकर पाकिस्तानी भूभाग का लगभग 60 प्रतिशत है।
विदेश मंत्रालय ने कहा था-POK पाक के अवैध कब्जे में
इससे पहले अक्टूबर की शुरुआत में ही भारती विदेश मंत्रालय पीओके में प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई की निंदा करते हुए पाकिस्तान से घोर मानवाधिकार उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराने की अपील की थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में हो रहे प्रदर्शनों और निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तानी बलों की बर्बरताओं की खबरें देखी हैं। यह पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों और दशकों से इन इलाकों के संसाधनों की लूट का नतीजा है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और उसे इन गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।
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