सीए धीरज कंसल की आत्महत्या का केस मन में कई सवाल पैदा करता है। इन सवालों के जवाब दे रही हैं खार, मुंबई के पी.डी. हिंदुजा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर की साइकोलॉजी और काउंसलर कंसल्टेंट शीना सूद।
क्या अकेलापन मौत की वजह बन सकता है?
भीड़भाड़ भरे शहरों में रहने वाले लोग भी अकेलापन महसूस करते हैं। दिल्ली में आत्महत्या करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट धीरज कंसल का केस क्या अकेलेपन का घातक परिणाम है? आत्महत्या से पहले धीरज कंसल ने जो नोट लिखा, उसमें उसका अकेलापन साफ झलक रहा है।
धीरज के लिखे लंबे नोट में उसका अकेलापन साफ झलक रहा था। पूरा नोट हम नहीं लिख रहे, लेकिन अपना अकेलापन जाहिर करते हुए धीरज ने लिखा, ‘मेरी मौत पर किसी को परेशान न किया जाए। मेरे लिए मौत ही जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा है। मेरा न किसी से कोई लगाव था और न ही किसी को मुझसे जुड़ाव था।'
अकेलापन चुपके से पसरता जाता है
महानगरों की भीड़भाड़ में रहने वाले कई लोग इतने अकेले होते हैं कि उनके पास अपने मन की बात कहने के लिए कोई नहीं होता। उनके जीवन में एक गहरा सन्नाटा होता है। ये सन्नाटा तब और गहरा हो जाता है जब मन में कहने के लिए कई बातें होती हैं, लेकिन उन बातों को सुनने वाला कोई नहीं होता।
लोग मानवीय जुड़ाव चाहते हैं, लेकिन उनके आसपास सिर्फ भीड़ होती है। अपना कहने के लिए कोई नहीं होता। हर गुजरता दिन उनके अकेलेपन को बढ़ाता जाता है। कभी-कभार अकेलापन महसूस करना नॉर्मल है। लेकिन जब ये अकेलापन लंबे समय तक रहता है तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।
धीरज कंसल के साथ भी यही हुआ। उसने आत्महत्या से पहले जो नोट लिखा, उसमें अपनी दादी का जिक्र किया। दादी के जाने के बाद धीरज अकेलापन महसूस करने लगा। धीरज के पिता की मौत के बाद मां ने दूसरी शादी कर ली। धीरज करियर में कामयाब था। लेकिन पर्सनल लाइफ में खुद को अकेला महसूस करता था। यही अकेलापन उसके आखिरी नोट में नजर आता है।
अकेलेपन के परिणाम घातक होते हैं

वैज्ञानिक तथ्य इस बात का प्रमाण हैं कि अकेलेपन के कारण कई लोगों को सिगरेट-शराब की लत लग जाती है। मोटापा बढ़ने लगता है। स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ता है और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। शरीर में सूजन बढ़ जाती है। जो लोग लगातार अकेलेपन का अनुभव करते हैं, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। अकेलेपन से होने वाले भावनात्मक तनाव के कारण नशे की लत और आत्महत्या का खतरा बढ़ जाता है।
कई लोगों के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स होते हैं। लेकिन निजी जिंदगी में वो बहुत अकेले होते हैं। त्योहार, जन्मदिन या किसी खास अवसर पर उन्हें सोशल मीडिया पर खूब बधाइयां मिलती हैं। लेकिन असल जिंदगी में उनके मन की बात की सुनने वाला कोई नहीं होता। ऐसे लोग गहरे रिश्तों के अभाव में अकेलापन महसूस करते हैं और कमजोर पलों में आत्महत्या जैसा जघन्य कदम उठा लेते हैं।
अकेलेपन के हानिकारक संकेतों को पहचानें
लोग कभी-कभी अपने अकेलेपन को स्वीकार करने से बचते हैं। उन्हें इस बात की चिंता होती है कि दूसरे क्या सोचेंगे। अकेलेपन को पहचानना इस स्थिति से उबरने की दिशा में पहला कदम है।
अकेलेपन के लक्षण आमतौर पर दूसरों के सामने स्पष्ट रूप से प्रकट नहीं होते। लोग आमतौर पर शारीरिक थकान, चिड़चिड़ापन और उदासी की भावनाओं के माध्यम से अपने अकेलेपन को छिपाते हैं। ये संकेत बताते हैं कि अकेलापन किसी को नुकसान पहुंचा रहा है:
सामाजिक परिस्थितियों से बचना या दोस्तों और परिवार से संपर्क न करना।
ठीक से खाना न खाना, सफाई से न रहना, अपनी सेहत का ध्यान न रखना।
सोने में परेशानी, नींद न आना या बहुत ज्यादा नींद आना।
लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलने की बजाय सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना।
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