Jobs For Indians in Saudi Arabia: सऊदी अरब और कुवैत मिडिल ईस्ट के दो सबसे बड़े देश हैं। जहां सऊदी में 26 लाख भारतीय हैं तो वहीं कुवैत में भारतीयों की संख्या 10 लाख के करीब है। ये दिखाता है कि इन दोनों देशों में भारतीय कामगार कितने ज्यादा प्रभावशाली हैं। हालांकि, इन दोनों मुल्कों से भारतीयों के लिए एक बुरी खबर आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सऊदी और कुवैत में जल्द ही स्किल और सेमी-स्किल नौकरियों में विदेशी कामगारों की जगह स्थानीय लोगों को रखा जा सकता है। सऊदी अरब और कुवैत में प्रवासी कामगारों पर एक इंटरनेशनल स्टडी हुई है। इसमें बताया गया है कि अभी मिडिल-स्किल वाली नौकरियों में प्रवासियों की जगह स्थानीय लोग काम कर रहे हैं। लेकिन जल्द ही हाई स्किल वाली नौकरियों में भी असर देखने को मिलेगा, क्योंकि इन नौकरियों में विदेशी लोगों की जगह स्थानीय कर्मचारी काम करते नजर आएंगे। स्थानीय कर्मचारी लगातार अपनी स्किल बढ़ा रहे हैं, जिसकी वजह से उनके लिए हाई स्किल वाली नौकरियों में काम करना आसान हो जाएगा। नीदरलैंड और कतर के रिसर्चर्स ने की है स्टडीये स्टडी नीदरलैंड के ग्रोनिंगन यूनिवर्सिटी के ग्रोनिंगन ग्रोथ एंड डेवलपमेंट सेंटर के फैकल्टी अब्दुल ए. एरुम्बन और कुवैत यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के अब्बास अल-मेजरन ने की है। इस स्टडी हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका "स्ट्रक्चरल चेंज एंड इकोनॉमिक डायनेमिक्स" में प्रकाशित हुई है। स्टडी के लेखकों ने बताया है किस तरह से भारत पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि भारतीय मजदूर ही बड़ी संख्या में हर साल सऊदी अरब और कुवैत में जाते हैं। भारतीयों पर कैसे पड़ेगा असर?अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बात करते हुए डॉ. एरुम्बन ने कहा कि भारत जैसे देशों के लिए मिडिल और हाई स्किल वाले प्रवासी कामगारों की जगह स्थानीय लोगों द्वारा लेना एक बड़ा खतरा है, क्योंकि इस क्षेत्र में स्थानीय लोग अपनी स्किल को बढ़ा रहे हैं। मसाज थेरेपिस्ट, ऑफिस मैनेजर, इलेक्ट्रिशन, पुलिस ऑफिसर, सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट, ट्रक ड्राइवर जैसी जॉब्स मिडिल स्किल नौकरियां कहलाती हैं। सऊदी अरब और कुवैत में भारतीय बड़ी संख्या में इन नौकरियों को कर रहे हैं। हालांकि, अब स्थानीय लोग भी ये काम कर रहे हैं, जिस वजह से भारतीयों के लिए नौकरी नहीं मिलने का संकट पैदा हो गया है। हाई स्किल नौकरियों की कैटेगरी में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, डाटा एनालिस्ट, साइंटिस्ट, इंजीनियर जैसी जॉब्स होती हैं। इन कामों को करने के लिए भारतीय मिडिल ईस्ट के देशों में जाते हैं। मगर अब स्थानीय लोग भी इन कोर्सेज की पढ़ाई कर रहे हैं, जिस वजह से वे भी अब इस काम को करने के योग्य हैं। ऐसा होने की स्थिति में भारतीयों को सऊदी अरब और कुवैत में नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
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